प्रज्ञा भारती के छूटने की सुगबुगाहट से मिर्ची चबा रहे हैं दिग्गी राजा |


आज के इंडियन एक्सप्रेस में जुलियस रिबेरो का एक लेख प्रकाशित हुआ है | वही जूलियस रिबेरो जो कभी मुम्बई के पुलिस कमिश्नर हुआ करते थे | महत्वपूर्ण यह भी है कि उनके इस लेख को श्री दिग्विजयसिंह जी ने ट्विटर पर साझा भी किया है | लेख में श्री रिबेरो ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि सरकार पब्लिक प्रोसीक्यूटर रोहिणी सलिआन को प्रज्ञा भारती केस से प्रथक क्यों कर रही है | 

जूलियस रिबेरो का लेख और उसमें हेमंत करकरे का भावुक अंदाज में उल्लेख, दिग्विजयसिंह जी द्वारा उसे साझा करना, कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रज्ञा भारती के खिलाफ रचे गए अपने षडयंत्र को फेल होता महसूस कर दिग्विजय सिंह जी इस समय मिर्ची चबा रहे है | 

पहले तो हमें दिग्गी राजा के उस बयान का पूण्य स्मरण भी करना चाहिए, जिसमें उन्होंने हेमंत करकरे की ह्त्या में भगवा आतंकवाद का हाथ बताया था और पाकिस्तानी सूरमाओं को क्लीन चिट दी थी | उसके बाद स्मरण किया जाना चाहिए उस तथ्य को कि पब्लिक प्रोसीक्यूटर महोदया व सम्पूर्ण कांग्रेसी तंत्र मिलकर भी प्रज्ञा के खिलाफ अभी तक कोई चार्जशीट भी प्रस्तुत नहीं कर सका | 

रिबेरो स्वीकारते हैं कि हेमंत करकरे और सलिआन परस्पर मिलकर योजना बनाते थे | रिबेरो साहब फरमाते हैं कि - As Karkare was to probity in investigations, Rohini is to probity in prosecution. वो जिसे कर्तव्य परायणता बता रहे हैं, क्या वह एक कूट रचित गठजोड़ नहीं था ? कुल मिलाकर ये सब दिग्विजयसिंह जी के प्यादे ही प्रतीत होते हैं, जिनका उन्होंने अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया | अब अगर न्यायिक प्रक्रिया से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार प्रज्ञा छूटती हैं, तो उसमें भी ये अपना राजनैतिक उल्लू सीधा करना चाहते हैं, भले ही उसके कारण पाकिस्तान को विश्व रंगमंच पर चीखने के लिए ही मुद्दा क्यूं न मिल जाए |

जैसा कि रिबेरो महोदय ने पाकिस्तान को अभी से लाईन दे भी दी है | वे कहते हैं कि अगर सलिआन को हटाने के बाद भगवा आतंकी मुक्त होते हैं तो हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी के मामले को लेकर हमें पाकिस्तान की निंदा करने का नैतिक अधिकार नहीं रहेगा | 

क्या कहें अब दिग्विजय सिंह जी और उनके चहेते रिबेरो साहब को ?

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