क्या आप जानते है एक भारतीय ने किया था ई-मेल का अविष्कार

आज इंटरनेट के युग में ईमेल एड्रेस इंटरनेट उपभोगता की एक मूल पहचान बन गया है जिसका उपयोग हम न केवल सन्देश भेजने बल्कि नेट बैंकिंग, जॉब सर्चिंग, ऑनलाइन आवेदन से लेकर और भी अन्य कार्यों में करते हैं ! ई-मेल जो हम सबके जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है ! क्या आप जानते हैं कि इस ई-मेल रूपी द्रुत संदेश भेजने वाली सुविधा का जनक कौन है ? ईमेल एड्रेस के अविष्कार का श्रेय शिवा अय्यादुरई को जाता है जो कि अमेरिका में रहते हैं पर मूल रूप से भारतीय ही हैं !

शिवा आय्यादुराई का जन्म बॉम्बे के एक तमिल परिवार में हुआ ! 7 साल की उम्र में वे अपने परिवार को छोड़कर यूएस पढ़ने के लिए चले गए ! जिस उम्र में बच्चे स्कूल की पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं उस उम्र में शिवा ने एक ऐसे नेटवर्क का निर्माण किया जो ऑफिस में संदेश सुविधा को संचालित करता था ! शिवा ने इस सुविधा की खोज तब कर ली थी जब वे मात्र 14 साल के थे !

शिवा की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बहुत अच्छी थी उस समय पर फोरट्रान प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग होता था ! इनकी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के वजह से इनको "University of Medicine and Dentistry of New Jersey" में प्रोग्रामर के रूप में कार्य करने का अवसर मिला जहाँ इनके मार्गदर्शक Dr. Leslie P. Michelson ने इनकी प्रोग्रामिंग कुशलता को पहचानते हुए इन्हे चुनौती के तौर पर एक प्रोग्रामिंग असाइनमेंट दिया ! इस असाइनमेंट में इनका काम किसी भी संस्था में किसी भी जानकारी को साझा करने के लिए उपयोग होने वाले पेपर संचार प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रणाली में बदलना था !

आज हम इलेक्ट्रॉनिक सन्देश भेजने के लिए जिन प्रमुख फंक्शन जैसे -"Inbox, Outbox, Compose (To, From, Date, Subject, Body, CC: ,BCC:) Send, Reply, Attachment, Folder, Draft, Forward, Addressbook , Group etc." का उपयोग करते हैं इन सभी की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में शिव ने कोडिंग की और सबको मिलाकर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाया जिसको "email" नाम दिया गया ! 

शिवा आय्यादुराई के इस कार्य को विशेष पहचान जब मिली जब इनके इस प्रोग्राम को Westinghouse Science Talent Search Honors Group द्वारा चयनित किया गया ! अमेरिका की सरकार ने 30 अगस्त, 1982 को उनकी इस उपलब्धि को मान्यता दी और 1982 में ही इनको इनके इस काम के लिए कॉपीराइट मिला जो उस समय में आज के समय में रेसेर्च वर्क के प्राप्त किये गए पेटेंट के बराबर माना जाता था !

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