गंभीर चेतावनी - रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठिये बन सकते है भारतीय हिन्दुओं के लिए घातक तबाही का सबब ।


rohingya

दिल्ली से श्री उपानंद ब्रह्मचारी की विशेष रिपोर्ट का हिन्दी अनुवाद हरिहर शर्मा द्वारा 

नई दिल्ली | अवैध रूप से भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यांमार से आये रोहिंग्या घुसपैठयों से उत्पन्न एक संभावित खतरे के बारे में खुफिया एजेंसियों के आंतरिक और बाह्य दोनों स्रोतों ने सतर्क किया है। खुफिया एजेंसियों को इस बात के संकेत मिले हैं कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ सम्बन्ध हैं, जबकि कुछ सऊदी अरब के 'गल्फ रोहिंग्या परिषद' के संपर्क में हैं | स्वाभाविक ही यह जुड़ाव कभी भी खतरनाक प्रमाणित हो सकता है । 

खुफिया सूत्रों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि आईएसआई जिहाद के नाम पर रोहिंग्या मुसलमानों का उपयोग कर सकती है... यह भी संभावना है कि रोहिंग्या युवकों को बरगला कर कट्टरपंथी रास्ते पर ले जाया जा सकता है । 

सुरक्षा एजेंसियां भारत में बसे रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि को खतरे की घंटी मान रही है | आप्रवासन ब्यूरो (Bureau of Immigration) के अनुसार 10,000 से अधिक परिवारों का आगमन भारत में हुआ है, जो अब तक की अधिकतम संख्या है | ये लोग आकर भारत में बस गए हैं, यहाँ तक कि जम्मू-कश्मीर में भी | सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलामानों की वास्तविक संख्या उपलब्ध जानकारी की तुलना में बहुत अधिक हो सकती है | हो सकता है कि इन लोगों के साथ कुछ माओवादी और अन्य विध्वंसक समूह भी आ गए हों, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए और अधिक गंभीर खतरा बन सकते हैं । 

उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 6684 रोहिंग्या परिवार जम्मू-कश्मीर में बस गए हैं, जबकि 1755 के आंध्र प्रदेश में होने की सूचना है । केंद्र द्वारा जून में राज्यों के साथ एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविंद गुप्ता ने म्यांमार से भारत में रोहिंग्या घुसपैठ में वृद्धि पर चिंता जताई । केंद्र सरकार ने राज्यों से इन परिवारों, शरणार्थी शिविरों, उनके व्यवसाय और म्यांमार में उनके मूल स्थान की सूची तैयार करने के लिए कहा। 

लेकिन, भारत में इन रोहिंग्या घुसपैठयों को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सहित कई भारतीय मुस्लिम समूहों का समर्थन हासिल है | इनमें से कुछ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोहिंग्या मुद्दे को उठाने हेतु भी सक्रिय हो गए हैं । AIMIM द्वारा आंध्र विधानसभा और भारतीय संसद में लगातार इन रोहिंग्या मुसलामानों के पुनर्वास की मांग उठाई जाती है । 

खुफिया रिपोर्ट के अनुसार 1,755 रोहिंग्या मुसलमान आंध्र प्रदेश में बने अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। केंद्र ने राज्य सरकार से रोहिंग्या आबादी पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है। जम्मू-कश्मीर के बाद आंध्र में रोहिंग्या मुसलमानों की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी है। 

बंगलादेश के रोहिंग्या आतंकवादी खालिद मोहम्मद की पिछले साल बंगाल में हुए बर्दवान विस्फोट के सिलसिले में हुई गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत में 'लश्कर-ए-तैयबा और रोहिंग्या कनेक्शन' का पता लगा है। सूत्रों के अनुसार खालिद लश्कर-ए-तैयबा द्वारा प्रशिक्षित और रोहिंग्या मुसलमानों से जुडे हुए एक अंतरराष्ट्रीय मॉड्यूल का हिस्सा था । 

सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र को भी आगाह किया है कि पाकिस्तान की इंटर स्टेट इंटेलिजेंस (आईएसआई) रोहिंग्या मुसलामानों का जिहाद के नाम पर समर्थन हासिल करने हेतु प्रयत्नशील है तथा वह आतकी घटनाओं के लिए उनका उपयोग कर सकती है । हाल ही में दिल्ली में बसे कुछ रोहिंग्या युवा, “इंटरनेशनल राइट्स फोरम” में रोहिंग्या मुद्दों को उठाने के साथ ही ऐसे अंतर्राष्ट्रीय रोहिंग्या समूहों के साथ जुड़ते दिखाई दिए हैं, जिनके तार जेहादी गतिविधियों के साथ जुड़े हुए हैं । 

खुफिया एजेंसियों को एक और चौंकाने वाले घटनाचक्र की जानकारी मिली है, और वह यह कि घाटी में रोहिंग्या मुसलमान कश्मीरी लड़कियों से शादी कर रहे हैं, जिससे उनका भारत की धरती पर स्थायी रूप से बसने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है । अगस्त 2011 में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (United Nations High Commission for Refugee) ने उन रोहिंग्या मुसलमानों को 'शरण चाहने वाले कार्ड’ जारी किए हैं जो पिछले 4-5 वर्षों से भारत में रह रहे हैं । 

इन लोगों ने यूएनएचसीआर से शरणार्थी के दर्जे की मांग शुरू कर दी है, ताकि वे कानूनी तौर पर यहाँ रहने के अधिकारी बन सकें अथवा किसी तीसरे देश के लिए स्थानांतरित होने के अधिकारी बन जाएँ । वर्तमान में जिन भारतीय राज्यों में रोहिंग्या सबसे अधिक हैं, उनमें जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर शामिल हैं । 

म्यांमार के राखिने प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच 2012 में हुए दंगों के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं ने म्यांमार से भगाना शुरू कर दिया, और उनमें से अधिकाँश पूर्वोत्तर में भूमि मार्गों के माध्यम से, भारत में प्रवेश कर गए । राखिने से भागने वाले कई शरणार्थियों ने नावों के माध्यम से अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में शरण ली । पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी भारत में रोहिंग्या घुसपैठियों का एक और प्रवेश बिंदु रहा । 

इसे हम 'घुसपैठ जिहाद' का नाम दे सकते हैं, जिसके माध्यम से रोहिंग्या घुसपैठिये पूरे भारत में तेजी से फैल रहे हैं और वे वर्तमान में जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। 

भारत में इस्लामिक राज्य की स्थापना की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए इस्लामिक जिहाद का नापाक मंसूबा लिए लोगों ने इन रोहिंग्या घुसपैठियों को बसने में पूरी पूरी मदद की | इस्लामिक जिहाद का काला घोडा isim लश्कर और आईएसआईएस की मदद से बहुसंख्यक हिंदू समाज के लिए घातक तबाही का सबब बन सकता है

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