सिंग्युलरिटी प्रौद्योगिकी अर्थात मानव और मशीन का संविलयन - एक दोधारी तलवार


विशेषज्ञ इस बात पर ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं कि नई प्रौद्योगिकी के क्या अनपेक्षित परिणाम हो सकते है, जैसे कि मान लीजिये अत्यंत बुद्धिमान मशीन अगर बुराई की ओर अग्रसर हो जाए तो क्या सम्पूर्ण मानव सभ्यता का नाश कर सकती है ?

ऑक्सफोर्ड के फ्यूचर ऑफ़ ह्यूमिनिटी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ निक बोस्त्रोम ने एक विचार गोष्ठी में कहा कि - "मनुष्य की तुलना में अधिक परिष्कृत कोई भी इकाई स्वाभाविक रूप से मानव से अधिक शक्तिशाली भी होगी | हमारी एक गलती का परिणाम मानव प्रजाति का विलुप्त होना भी हो सकता है ।" 

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि मशीनी बुद्धि अंततः मानव बुद्धि को पार कर सकती है । यह सुपर बुद्धिमान मशीनी कृतियों, एक दिन स्वयं जागरूक होकर अपने प्रतिरूपों को बनाने में भी सक्षम हो सकती हैं |

बोस्त्रोम एक दार्शनिक और ट्रांसह्यूमिनिज्म के एक अग्रणी विचारक हैं | वे एक आन्दोलन चला रहे हैं, जो प्रौद्योगिकियों के कारण भविष्य में मानव जीवन पर आने वाले संभावित खतरों का अध्ययन करने को प्रेरित करता है, साथ ही प्रौद्योगिकियों के बेहतर इस्तेमाल के लिए मार्गदर्शन भी करता है ।

बोस्त्रोम के अनुसार, उस नए युग की कल्पना करो, जिसमें जैव प्रौद्योगिकी, आणविक नैनो प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धि और अन्य नए प्रकार के संज्ञानात्मक उपकरण हमारी बौद्धिक और शारीरिक क्षमताओं में सुधार करने के साथ भावनात्मक भलाई में भी वृद्धि करेंगे । लेकिन उसका अंतिम परिणाम यह होगा कि गुण और कौशल में उन्नत वह प्राणी मनुष्येतर होगा | अहम सवाल यह है कि क्या वह मनुष्य होगा ? 

बोस्त्रोम ने कहा कि -"हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल अपनी सुख सुविधा बढाने के लिए ही नहीं, बल्कि स्वयं के जैविक प्रबंधन के लिए भी प्रारंभ करना होगा । क्योंकि इसके कारण होने वाले परिवर्तन प्राकृतिक रूप से हजारों वर्षों में बहुत धीमी गति से हुए जैविक विकास की तुलना में बहुत तेजी से और अधिक गहरे होंगे । इस क्रांतिकारी जैव प्रौद्योगिकी कायापलट में आठ वर्ष भी लग सकते हैं और 200 वर्ष भी । इसकी सटीक भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है।"

अन्य विशेषज्ञों का भी मत है कि आगामी दो दशकों में मानव जाति एक क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजरने वाली है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक व भविष्यवेत्ता डॉ रे कुर्ज़वेल का मानना है कि यह परिवर्तन लोगों की कल्पना से कहीं अधिक शीघ्र होगा | 

आजकल अक्सर एक शब्द सुनने में आता है “सिंग्युलरिटी” | मूल रूप से यह शब्द सैद्धांतिक भौतिकी से आता है। यह अंतरिक्ष और समय में उस बिंदु को दर्शाता है जहां गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र अनंत हो जाता है । उदाहरण के लिए ब्लैक होल में हमें “सिंग्युलरिटी” मिल सकती है। यह एक गणितीय शब्द को भी दर्शाता है, जहां एक निश्चित फंक्शन अनंत हो जाता है । लेकिन आप आजकल जिस “सिंग्युलरिटी” के बारे में सुन रहे है, वह प्रौद्योगिकी को लेकर है और यह एक नई अवधारणा है | हालांकि, यह निश्चित रूप से बातचीत का एक मुख्य विषय होता जा रहा है। यहाँ तक कि हाल ही में टाइम पत्रिका ने भी “2045 का वर्ष – जब इंसान अमर हो जाएगा” शीर्षक से इस विषय को अपने कवर पृष्ठ का हिस्सा बनाया । 

1980 में कुर्ज़वेल ने भविष्यवाणी की थी कि 21 वीं सदी के प्रारम्भ में एक छोटे से, हाथ से संचालित डिवाइस का आविष्कार होगा, जिसकी मदद से नेत्रहीन लोग कहीं भी किसी भी समय दस्तावेज पढ़ सकेंगे और इस वर्ष वह ईजाद अस्तित्व में आ चुका है । उन्होंने यह भविष्यवाणी भी की थी कि 1990 के दशक में इंटरनेट के उपयोग में विस्फोटक वृद्धि होगी ।

कुर्ज़वेल ने “हमारी जैविक सोच और अस्तित्व का प्रौद्योगिकी के साथ विलय का परिणाम” विषय पर लिखी अपनी एक पुस्तक में इसे सिंग्युलरिटी नाम दिया है | जिसका हम हिन्दी अनुवाद विलक्षण एकात्मता समझ सकते हैं | पुस्तक में उन्होंने भविष्यवाणी की है कि इस संविलयन के परिणाम स्वरुप एक ऐसी दुनिया बनेगी जिसमें मानव तो होगा किन्तु उसकी जैविक जड़ों पर अतिक्रमण हो चुका होगा ।

वह लिखते हैं कि इस सिंग्युलरिटी के बाद मानव और मशीन के बीच या भौतिक और आभासी वास्तविकता के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगा | जीव विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर की मदद से जैसे जैसे सूचना तंत्र प्रक्रिया बढ़ेगी बैसे बैसे सिंग्युलरिटी भी तीव्रता से होगी | मानव-निर्मित प्रौद्योगिकी तो छोटी होती जायेगी, किन्तु उसकी शक्ति लगातार बढती जायेगी | 

कुर्ज़वेल के अनुसार 2030 आते आते, मनुष्य जैविक से अधिक गैर-जैविक हो जाएगा । वह इंटरनेट पर अपने मस्तिष्क को अपलोड करने में सक्षम हो जाएगा | इस प्रकार वह विभिन्न आभासी दुनियाओं में सदा बना रहेगा | इस प्रकार वह आयु बढ़ने और मृत्यु से भी मुक्त हो जाएगा |

कुर्ज़वेल की भविष्यवाणी है कि, मानव की आज जो जैविक बुद्धि है, उससे 2040 की गैर जैविक बुद्धि लाखों गुना बेहतर होगी | लेकिन उसके कारण हमारा वर्तमान दिमाग तो कालबाह्य और निरुपयोगी हो ही जाएगा ।

कुर्ज़वेल का कथन है कि "हमारा दिमाग इलेक्ट्रॉनिक्स की तुलना में लगभग एक लाख गुना धीमा होता है । आगामी दशकों में वह तेजी से सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों जैसा बन जाएगा। सचाई तो यह है कि आदमी और मशीन के विलय का यह आंदोलन प्रारम्भ हो चुका है और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिखने भी लगा है।

जैसे जैसे वैज्ञानिक मानव अस्तित्व की आनुवंशिक प्रक्रियाओं को समझते जा रहे हैं, बैसे बैसे वे प्रभावी ढंग से मानव जीव विज्ञान से सम्बंधित एंजाइमों और आरएनए हस्तक्षेप को जीन थेरेपी और सक्षम दवाओं की मदद से ओन या ऑफ़ या साईलेंट करने में भी सक्षम हो गए हैं।

कुर्ज़वेल ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि " अमूमन जीवविज्ञान और स्वास्थ्य और चिकित्सा में किस पर जोर दिया जाए, किसे छोड़ा जाए, इसकी न तो कोई कार्यपद्धति है, और न ही इस बारे में कोई सुसंगत नीति।"

उभरती जैव प्रौद्योगिकी क्रांति से हजारों नई दवाएं निर्मित की जा सकती हैं, जिनसे हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों की रोकथाम की जा सकती है ।

कुर्ज़वेल ने यह भविष्यवाणी भी की है कि 2020 तक नैनो तकनीक के क्षेत्र में भी एक दूसरी क्रांति होगी । उनकी गणना के अनुसार वैज्ञानिकों द्वारा मधुमेह के इलाज या रीढ़ की हड्डी की चोट ठीक करने के लिए पहली पीढ़ी के nanobots का परीक्षण शुरू करने से इस दिशा में तेजी से प्रगति का संकेत मिल रहा है।

एक वैज्ञानिक ने रेस्पिरोसाईट नामक एक रोबोटिक लाल रक्त कोशिका विकसित की है, जिसे यदि रक्त में इंजेक्ट किया जाये तो मनुष्य 15 मिनट तक बिना सांस लिए ओलंपिक में दौड़ सकता है या कई घंटों तक स्विमिंग पूल के तल में बैठा रह सकता है ।

अन्य शोधकर्ताओं ने ट्यूमर का पता लगाने और उसे एक दिन में समाप्त करने वाले नैनोकणों को विकसित किया है ।

और कुछ पार्किंसंस रोगियों के दिमाग में प्रत्यारोपित मटर के आकार के कंप्यूटर, उन न्यूरॉन्स का स्थान ले लेते हैं, जो बीमारी के कारण नष्ट हो गए थे; इसके लिए मानव शरीर के बाहर मिनी कंप्यूटर पर नए सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया जा सकते है।

"नैनो तकनीक केवल reprogram करने के लिए नहीं है, बल्कि जीव विज्ञान को पार कर उसकी सीमाओं से परे गैर जैविक प्रणालियों के साथ विलय के लिए है । हम नैनो के माध्यम से जैविक प्रणालियों का सीमातीत पुनर्निर्माण कर सकते हैं।"

कुर्ज़वेल के अनुसार सिंग्युलरिटी के आगमन की अंतिम क्रांति है कृत्रिम बुद्धि, या सुपर इंटेलीजेंस | इसके माध्यम से कई बड़े खतरों का सामना संभव है, जैसे पर्यावरण विनाश, गरीबी और बीमारियां ।

कुर्ज़वेल लिखते हैं कि "एक और अधिक बौद्धिक प्रक्रिया जो कि ब्रह्मांड की सर्वाधिक शक्तिशाली शक्ति है, अपनी स्वाभाविक पूर्णता पर है, वह यह कि जो कम बुद्धिमान है, उसे बुद्धिमान बनाना” ।

अभी तक जिन कई उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकियों का आविष्कार हुआ है तथा मनुष्यों के साथ नई प्रौद्योगिकियों के विलय की संभावना, ये दोनों मानव जाति के लिए जोखिम बनेंगी या सुनहरे भविष्य की ओर ले जायेंगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है | लेकिन यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि प्रौद्योगिकी हमेशा एक दोधारी तलवार की तरह है।


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