नेताजी सुभाष की मृत्यु और ममता का चुनावी पेंतरा |


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित 64 खुफिया विभाग की फ़ाइलें सार्वजनिक करने का फैसला किया है | स्मरणीय है कि विगत अनेक दशकों से इस बात पर कुहासा छाया हुआ है कि, नेताजी हवाई दुर्घटना में मरे, अथवा नेहरू जी की जानकारी में उनकी ह्त्या बाद में रूसी कैद में हुई | 

एक प्रकार से ममता बैनर्जी के इस कदम ने केंद्र सरकार पर भी दबाब बना दिया है, कि अब वह भी उन 130 फाईलों को सार्वजनिक करे, जिनसे नेताजी के लापता होने के रहस्य पर से पर्दा उठ सकता है | प्रधानमंत्री कार्यालय के नौकरशाह लगातार गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से सम्बंधित इन फाइलों को लेकर असमंजस की स्थिति बनाए रखे हुए हैं और इन्हें सार्वजनिक करने की मांग को अनसुना करते रहे हैं ।

ऐसे समय में जबकि अगले वर्ष पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ममता बैनर्जी ने बंगाली भद्र मानुषों के बीच अपनी पैठ बढाने का यह प्रयास किया है | बंगाली अस्मिता से जुडा यह मुद्दा उन्हें खासी लोकप्रियता प्रदान कर सकता है | 

एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य मंत्री ममता बैनर्जी ने कहा कि "जनता के मन में भारी जिज्ञासा है कि उन फाईलों में क्या है, इसे देखते हुए राज्य सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से सम्बंधित सारी फाईलें सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है अतः 1937 से 1947 के बीच के ये सभी दस्तावेज डिजीटल किये गए हैं । मुझे नहीं लगता कि इसके कारण कोई क़ानून व्यवस्था की आंतरिक समस्या उत्पन्न होगी " ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी के रहस्यमय ढंग से लापता होने की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय मुखर्जी आयोग ने राज्य से कुछ फ़ाइलों की मांग की थी | जांच उपरांत वे फाईलें वापस प्राप्त हुई हैं, जिन्हें अब सार्वजनिक किया गया है ।

नेताजी के तीसरी पीढी के वंशज चंद्र कुमार बोस ने पश्चिम बंगाल सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि "मैं बोस परिवार की ओर से मुख्यमंत्री को बधाई देता हूं। केंद्र सरकार को भी इस निर्णय से प्रेरणा लेकर सभी तथ्य सार्वजनिक करना चाहिए" ।

स्मरणीय है कि 22 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो प्रसारण में बताया गया था कि 18 अगस्त, 1945 को फारमोसा (अब ताइवान) में हुई एक विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 'मौत' हो गई ।

लेकिन विमान दुर्घटना की यह बात नेताजी के अनुयायियों और प्रशंसकों के गले कभी नहीं उतरी | अधिकाँश भारतीयों की मान्यता रही है कि महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष किसी साजिश का शिकार हुए थे | 

नेताजी के परिवार के सदस्य, जनता का एक बड़ा वर्ग तथा कुछ इतिहास कारों की मान्यता है कि उनकी मौत की खबर झूठ थी | कुछ लोगों की मान्यता रही कि नेताजी को तत्कालीन सोवियत संघ के एक श्रम शिविर में कैद रखा गया था | कुछ की मान्यता है कि उन्हें 1969 में पेरिस में देखा गया ।

लेकिन परदे के पीछे की वास्तविकता आज भी रहस्य के कुहासे में है | भारत सरकार ने नेताजी के लापता होने के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए तीन बार जांच आयोगों का गठन किया, लेकिन रहस्य पर से अभी तक पर्दा नहीं उठा ।

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