क्योँ पूज्यनीय है हिन्दू धर्म में गाय ? जानिये गाय की उपयोगिता से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य !

गाय का दूध हो, गोबर हो या गौमूत्र गाय मरते दम तक समाज की भलाई का काम निष्काम भाव से करती है ! इसीलिए वेद पुराणों में गाय को कामधेनु कहा गया है ! गाय का दूध कई तरह के रोगों को रोकने और उपचार में काम आता है और गाय ही मनुष्य के आसपास मौजूद एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसका मल मूत्र भी पवित्र और उपयोगी माना जाता हैं ! 

वैज्ञानिक रिसर्च में ये साबित हुआ है कि गाय के दूध में Protein, Carbohydrates, Minerals और Vitamin D होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास में सहायक होता है ! यज्ञ और हवन के दौरान गाय के दूध के घी की आहुति इसलिए दी जाती है क्योंकि इससे हवा में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है !

गाय हिन्दू धर्म में पूजनीय के साथ साथ हमारे लिए बहुत लाभकारी भी है ! इसी लिए सिर्फ सनातन धर्म में नहीं अपितु हर वर्ग यहां तक की वैज्ञानिक भी इसे लाभकारी मानते हैं ! हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि के देवी-देवता निवास करते हैं ! कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है ! इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास करते हैं ! ये देवता हैं - 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार ! ये मिलकर कुल 33 होते हैं ! यही वजह है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है !

जैसा कि हम जानते हैं, हिन्दुओं में सारे धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम पूज्य गणेश व उनकी माता पार्वती को गाय के गोबर से लीपे पूजा स्थल में रखा जाता है ! वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं, पर धर्म की दृष्टि से गाय माता होती है ! धर्म के हिसाब से यह माना जाता है कि किसी संत में ही उतनी ऊर्जा हो सकती है ! जिसका आशय है कि गाय में संत जैसी ऊर्जा होती है !

सारे वैज्ञानिक मानते और कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसी प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं ! पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं, तथा यह एक आयाम है जो गाय को शुद्धता के स्रोत के तौर पर पेश करती है ! वस्तुतः घर के आसपास गाय के होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं !

लाभकारी जानकारी

गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनता हैं ! यह पर्यावरण के लिए लाभदायक होता है ! वहीं दूसरी तरफ नज़र डालें तो, सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है ! गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है ! रिसर्च से पता चलता है की पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है ! पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है ! पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है ! ऐसा कोई रोग नहीं है जिसका इलाज पंचगव्य से न किया जा सके !

गाय का दूध व घी अमृत के समान है, वहीं दही हमारे पाचन तंत्र को सेहतमंद बनाए रखने में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है, साथ ही दही के सैकड़ों फायदे हैं ! दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु होते हैं, जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं ! पंचगव्य का निर्माण देसी मुक्त वन विचरण करने वाली गायों से प्राप्त उत्पादों द्वारा ही करना चाहिए। ! स्मरणीय है कि पंचगव्य से लगभग सभी रोगों (कैंसर) तक का इलाज हो जाता है ! गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट कैंसर अस्पताल में तीन हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज हो चुका है ! पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से पेटेंट भारत ने प्राप्त किए हैं ! 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों पर प्राप्त किए जा चुके हैं !

शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं ! उनमें से गाय भी एक है ! इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है ! हम जितनी भी गाएं देखते हैं, ये 84 लाख योनियों के विकास क्रम में आकर अब अपने अंतिम पड़ाव में विश्राम कर रही हैं ! गाय की योनि में होने का अर्थ है - विश्राम, शांति और प्रार्थना !

गौमूत्र के फायदे 

गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है ! वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं ! यदि आप गो-मूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं ! गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है ! दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है !

गाय के गोबर का महत्त्व एवं इसके फायदे 

गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है ! प्राचीनकाल के मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था ! रासायनिक खाद के मुकाबले गोबर से बनी प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल से कृषि योग्य भूमि की नमी पचास फीसदी तक बढ़ जाती है जिससे फसल अच्छी होती है ! गाय के गोबर से बनी बायोगैस अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में गाड़ियों के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो रही है ! मशहूर कार निर्माता कंपनी Toyota गाय के गोबर से Hydrogen Fuel बनाने की तकनीक पर भी काम कर रही है !

पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक है गौमांस 

वैज्ञानिक शोधों में ये बात साबित हो चुकी है कि गाय का मांस खाना पर्यावरण के लिए भी नुकसान दायक है ! संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम ने गाय के मांस को जलवायु के लिए नुकसानदायक बताया है ! अमरीका की Yale University की रिपोर्ट के मुताबिक गाय के मांस के उत्पादन के लिए अन्य मवेशियों के मुकाबले 28 गुना ज़्यादा जगह चाहिए होती है और ये ग्लोबल वॉर्मिंग में 11 गुना ज़्यादा योगदान देता है !

एक स्वीडिश स्टडी के मुताबिक एक किलो गौ मांस पकाने में जितनी ग्रीनहाउस Gases का emission होता है वो 160 किलोमीटर तक कार चलाने के बराबर होता है इसका मतलब ये हुआ कि दिल्ली से आगरा तक कार से यात्रा करने से ग्लोबल वॉर्मिंग पर जो असर पड़ेगा वो एक किलो गौ मांस खाने के बराबर होगा ! गौमांस उत्पादन जल सरंक्षण के लिहाज़ से भी ख़राब है क्योंकि गेहूं और चावल जैसी मुख्य फ़सलों के मुकाबले गौमांस के लिए पशुपालन में करीब 10 गुना ज्यादा पानी लगता है !

ये वो वैज्ञानिक तथ्य हैं जिनकी सत्यता पर उंगली उठाना मुश्किल है यानी गाय को मारने से ज्यादा फायदा ज़िंदा रखने में है !

आपको यह तर्क अजीब लग सकता है पर अगर आप गौर से किसी गाय या बैल की आंखों में देखिए, तो आपको उसकी निर्दोषता अलग ही नजर आएगी ! आपको उसमें देवी या देवता के होने का आभास होगा ! यदि कोई व्यक्ति गाय का मांस खाता है तो यह निश्चित जान लें कि उसे रेंगने वालों कीड़ों की योनि में जन्म लेना ही होगा ! यह शास्त्रोक्त तथ्य है ! यदि कोई ऐसा पाप करता है तो उन्हें फिर से 84 लाख योनियों के क्रम-विकास में यात्रा करना होगी जिसके चलते नई आत्माओं को मनुष्य योनि में आने का मौका मिलता रहता है ! मानव योनि बड़ी मुश्किल से मिलती है !

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