राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इजराईल की संसद को संबोधित किया |


President Pranab Mukherjee during the laying wreath at tomb of Theodor Herzl at Mount Herzl, Jerusalem, in Israel on Tuesday.
आज लगभग ढाई बजे इजराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू और भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इजराईली संसद के नेसेट हॉल में प्रवेश किया | अध्यक्ष युली एसेलस्टेन राष्ट्रपति रयूवेन रिवलिन ने उनका स्वागत किया । भारतीय राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए अध्यक्ष युली ने कहा कि "आपने हवाला दिया है कि हमारा देश बहुत अशांत दौर से गुजर रहा है, चारों ओर हिंसा फ़ैल रही है | आपका देश भी हिंसक इस्लामी चरमपंथी हमलों का शिकार रहा है | कोई भी समझदार व्यक्ति यही कहेगा कि निर्दोष लोगों की हत्या से किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है ।

इस अवसर पर इजराईल के राष्ट्रपति श्री एसेलस्टीन ने कहा कि इसराइल और भारत को साफ़ दिखाई दे रहा है कि उन्हें एक साथ कट्टरपंथी तत्वों से लड़ना होगा ।

ठीक 2 बजकर 42 मिनिट पर राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नेसेट को संबोधित करना प्रारम्भ किया | उन्होंने भाषण की शुरूआत सलोम और नमस्ते से की | उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में नेसेट आकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं | मेरी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जबकि भारत और इजराईल के बहुत सकारात्मक सम्बन्ध विकसित हो रहे हैं | यहूदी 2000 से अधिक वर्षों तक भारत में भारतीय समाज का अभिन्न अंग बनकर रहे हैं

राष्ट्रपति ने 1999 में महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति के लिए इसराइल को धन्यवाद दिया | उन्होंने कहा कि भारत ने सदैव अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लोकतांत्रिक देशों को सशक्त स्वर दिया है | आज संयुक्त राष्ट्र को उन चुनौतियों के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए जिनका दुनिया को सामना करना पड़ रहा है । राष्ट्रपति ने कृषि के क्षेत्र में अपनी उन्नत तकनीकी और उपलब्धि के लिए इसराइल की प्रशंसा की ।

उन्होंने कहा कि हमारे दोनों देशों के बीच कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ना चाहिए । इजरायल की विकसित तकनीकी मदद से भारत के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हो सकती है । साथ ही इस सहयोग से भारत और इसराइल दोनों देशों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा हो सकते हैं । राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बताया गया है कि उत्तरी भारत के कुछ गांवों में हिब्रू सीखी जाती है । अनेक भारतीय इज्राईली व्यंजन हुम्मुस का स्वाद भी लेते हैं, लेकिन वे इसे हमास बोलते हैं | राष्ट्रपति ने अपने भाषण में फिलीस्तीन का कोई जिक्र नहीं किया |

उसके बाद प्रधानमंत्री नेतनयाहू का भाषण शुरू हुआ | उन्होंने अपना भाषण हिब्रू में दिया । इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और इसराइल के बीच सहयोग की अनंत संभावनाएं हैं । हम कुछ बातों से बंधे हुए हैं। हमारी संस्कृति दुनिया में सबसे प्राचीन है । विगत सात दशकों में इजरायल और भारत लोकतांत्रिक देशों के बीच एक उदाहरण के रूप में सामने आये हैं | भारत और इसराइल के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग भी अभूतपूर्व है | हमें भारत को अपनी प्रौद्योगिकी प्रदान करने में खुशी होगी।

नेतन्याहू ने कहा कि दोनों देशों पर कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों द्वारा हमले हो रहे हैं । हम कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं | मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2008 में आपके देश को निशाना बनाया गया था | निर्दोष लोगों पर आतंकी कार्यवाही का कोई औचित्य नहीं है। हमें आतंकी समूहों के खिलाफ एक साथ काम करना होगा। फिलिस्तीनियों को देखो, वे कट्टरपंथी समूहों द्वारा गुमराह हो रहे हैं | उकसाने वाले कट्टरपंथी उनसे कहते हैं कि हम अल अक्सा मस्जिद को नष्ट करने जा रहे हैं | जबकि हम सभी धर्मों और धार्मिक स्थानों का सम्मान करते हैं । इसराइल इस अस्थिर क्षेत्र में स्थिरता का एक द्वीप है | वे हमारे लोगों को नष्ट करना चाहते हैं | लेकिन निश्चित तौर पर हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे |

शांति वार्ता के लिए हमारी कुछ पूर्व शर्त है। सबसे पहले तो आतंक पर रोक लगनी चाहिए। उसके बाद ही वार्ता का कुछ परिणाम निकल सकता है । और उन्हें यह समझना होगा कि इसराइल यहूदी लोगों का अपना देश है । यही हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है |

श्री मुखर्जी ने अपने भाषण में इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का कोई उल्लेख नहीं किया, जबकि स्पष्ट ही श्री नेतनयाहू का सम्पुर्ण भाषण अपने देश की सुरक्षा चिंताओं और आतंकवाद पर केंद्रित रहा । श्री नेतनयाहू ने कहा कि मैं अक्सर श्री मोदी से बात करता हूँ । जब हम पिछली बार मिले थे तब उन्होंने कहा था कि "मैं हमारे दोनों देशों के बीच वंशानुगत समानता अनुभव करता हूँ ।“

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