विश्व में एक या दो नहीं 13 हिन्दू राष्ट्र है, जानिये कौन कौन है यह हिन्दू राष्ट्र ?

जब लोग कहते हैं कि विश्व में केवल एक ही हिन्दू देश है तो यह पूरी तरह गलत है यह बात केवल वे ही कह सकते हैं जो हिन्दू की परिभाषा को नहीं जानते । इसके लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि हिन्दू की परिभाषा क्या है ।




हिन्दुत्व की जड़ें किसी एक पैगम्बर पर टिकी न होकर सत्य, अहिंसा सहिष्णुता, ब्रह्मचर्य , करूणा पर टिकी हैं । हिन्दू विधि के अनुसार हिन्दू की यह परिभाषा नकारात्मक है कि जो ईसाई मुसलमान व यहूदी नहीं है वे सब हिन्दू है। इसमें आर्यसमाजी, सनातनी, जैन सिख बौद्ध इत्यादि सभी लोग आ जाते हैं । एवं भारतीय मूल के सभी सम्प्रदाय पुर्नजन्म में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि व्यक्ति के कर्मों के आधार पर ही उसे अगला जन्म मिलता है ।

तुलसीदास जी ने लिखा है परहित सरिस धरम नहीं भाई । पर पीड़ा सम नहीं अधमाई । अर्थात दूसरों को दुख देना सबसे बड़ा अधर्म है एवं दूसरों को सुख देना सबसे बड़ा धर्म है । यही हिन्दू की भी परिभाषा है । कोई व्यक्ति किसी भी भगवान को मानते हुए, एवं न मानते हुए हिन्दू बना रह सकता है । हिन्दू की परिभाषा को धर्म से अलग नहीं किया जा सकता । यही कारण है कि भारत में हिन्दू की परिभाषा में सिख बौद्ध जैन आर्यसमाजी सनातनी इत्यादि आते हैं । 

हिन्दू की संताने यदि इनमें से कोई भी अन्य पंथ अपना भी लेती हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं समझी जाती एवं इनमें रोटी बेटी का व्यवहार सामान्य माना जाता है । एवं एक दूसरे के धार्मिक स्थलों को लेकर कोई झगड़ा अथवा द्वेष की भावना नहीं है । सभी पंथ एक दूसरे के पूजा स्थलों पर आदर के साथ जाते हैं । जैसे स्वर्ण मंदिर में सामान्य हिन्दू भी बड़ी संख्या में जाते हैं तो जैन मंदिरों में भी हिन्दुओं को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है । 





जब गुरू तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितो के बलात धर्म परिवर्तन के विरूद्ध अपना बलिदान दिया तो गुरू गोविन्द सिंह ने इसे तिलक व जनेउ के लिए उन्होंने बलिदान दिया इस प्रकार कहा । इसी प्रकार हिन्दुओं ने भगवान बुद्ध को अपना 9वां अवतार मानकर अपना भगवान मान लिया है । एवं भगवान बुद्ध की ध्यान विधि विपश्यना को करने वाले अधिकतम लोग आज हिन्दू ही हैं एवं बुद्ध की शरण लेने के बाद भी अपने अपने घरों में आकर अपने हिन्दू रीतिरिवाजों को मानते हैं । इस प्रकार भारत में फैले हुए पंथों को किसी भी प्रकार से विभक्त नहीं किया जा सकता एवं सभी मिलकर अहिंसा करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य को ही पुष्ट करते हैं ।

इसी कारण कोई व्यक्ति चाहे वह राम को माने या कृष्ण को बुद्ध को या महावीर को अथवा गोविन्द सिंह को परंतु यदि अहिंसा, करूणा मैत्री सद्भावना ब्रह्मचर्य, पुर्नजन्म, अस्तेय, सत्य को मानता है तो हिन्दू ही है । इसी कारण जब पूरे विश्व में 13 देश हिन्दू देशों की श्रेणी में आएगें । इनमें वे सब देश है जहाँ बौद्ध पंथ है । भगवान बुद्ध द्वारा अन्य किसी पंथ को नहीं चलाया गया उनके द्वारा कहे गए समस्त साहित्य में कहीं भी बौद्ध शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है । उन्होंने सदैव इस धर्म कहा । 

भगवान बुद्ध ने किसी भी नए सम्प्रदाय को नहीं चलाया उन्होनें केवल मनुष्य के अंदर श्रेष्ठ गुणों को लाने उन्हें पुष्ट करने के लिए ध्यान की पुरातन विधि विपश्यना दी जो भारत की ध्यान विधियों में से एक है जो उनसे पहले सम्यक सम्बुद्ध भगवान दीपंकर ने भी हजारों वर्ष पूर्व विश्व को दी थी । एवं भगवान दीपंकर से भी पूर्व न जाने कितने सम्यंक सम्बुद्धों द्वारा यही ध्यान की विधि विपश्यना सारे संसार को समय समय पर दी गयी ( एसा स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा कहा गया है । 

भगवान बुद्ध ने कोई नया पंथ नहीं चलाया वरन् उन्होंने मानवीय गुणों को अपने अंदर बढ़ाने के लिए अनार्य से आर्य बनने के लिए ध्यान की विधि विपश्यना दी जिससे करते हुए कोई भी अपने पुराने पंथ को मानते हुए रह सकता है । परंतु विधि के लुप्त होने के बाद विपश्यना करने वाले लोगों के वंशजो ने अपना नया पंथ बना लिया । परतुं यह बात विशेष है कि इस ध्यान की विधि के कारण ही भारतीय संस्कृति का फैलाव विश्व के 21 से भी अधिक देशों में हो गया एवं ११ देशों में बौद्धों की जनसंख्या अधिकता में हैं ।

हिन्दुत्व व बौद्ध मत में समानताएं -

१- दोनों ही कर्म में पूरी तरह विश्वास रखते हैं । दोनों ही मानते हैं कि अपने ही कर्मों के आधार पर मनुष्य को अगला जन्म मिलता है ।

2- दोनों पुर्नजन्म में विश्वास रखते हैं ।

3- दोनों में ही सभी जीवधारियों के प्रति करूणा व अहिंसा के लिए कहा गया है ।

4- दोनों में विभिन्न प्रकार के स्वर्ग व नरक को बताया गया है ।

5- दोनों ही भारतीय हैं भगवान बुद्ध ने भी एक हिन्दू सूर्यवंशी राजा के यहां पर जन्म लिया था इनके वंशज शाक्य कहलाते थे । स्वयं भगवान बुद्ध ने तिपिटक में कहा है कि उनका ही पूर्व जन्म राम के रूप में हुआ था । 6- दोनों में ही सन्यास को महत्व दिया गया है । सन्यास लेकर साधना करन को वरीयता प्रदान की गयी है ।





7- बुद्ध धर्म में तृष्णा को सभी दुखों का मूल माना है । चार आर्य सत्य माने गए हैं ।

- संसार में दुख है

- दुख का कारण है

- कारण है तृष्णा

- तृष्णा से मुक्ति का उपाय है आर्य अष्टांगिक मार्ग । अर्थात वह मार्ग जो अनार्य को आर्य बना दे ।

इससे हिन्दुओं को भी कोई वैचारिक मतभेद नहीं है ।

8- दोनों में ही मोक्ष ( निर्वाण )को अंतिम लक्ष्य माना गया है एवं मोक्ष प्राप्त करने के लिए पुरूषार्थ करने को श्रेष्ठ माना गया है ।

दोनों ही पंथों का सूक्ष्मता के साथ तुलना करने के पश्चात यह निष्कर्ष बड़ी ही आसानी से निकलता है कि दोनों के मूल में अहिंसा, करूणा, ब्रह्मचर्य एवं सत्य है । दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता । और हिन्दओं का केवल एक देश नहीं बल्कि 13 देश हैं ।

इस प्रकार हम देखते हैं विश्व की कुल जनसंख्या में भारतीय मूल के धर्मों की संख्या 20 प्रतिशत है जो मुस्लिम से केवल एक प्रतिशत कम हैं । एवं हिन्दुओं की कुल जनसंख्या बौद्धों को जोड़कर 130 करोड़ है। है जो मुसलमानों से कुछ ही कम है । व हिन्दुओं के 13 देश थाईलैण्ड, कम्बोडिया म्यांमार, भूटान, श्रीलंका, तिब्बत, लाओस वियतनाम, जापान, मकाउ, ताईवान नेपाल व भारत हैं । इसी कारण जब लोग कहते हैं कि विश्व में केवल एक ही हिन्दू देश है तो यह पूरी तरह गलत है यह बात केवल वे ही कह सकते हैं जो हिन्दू की परिभाषा को नहीं जानते हैं । 

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24 टिप्पणियाँ

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  2. जो लोग पुनर्जन्म पर विश्वास करते उससे मुझे कहना है ,मानव जात अगर मरने के बाद उसका दुसरा जन्म होता है तो इस स्थिति मे देश कि जनसंख्या इतना विसाल नहीं होता , दिमाग लगाए ,मेरे अध्ययन के अनुसार बाईबल बताती है ,तब प्रमेश्वर ने मानव जाती से कहा फुलो फलो औऱ पृथ्वी मे फैल जाओ। मानव जाति का जो जीवन है वह ईश्वर का दिया हुआ उपहार है एक बार मिलता है दोबारा कभी नहीं मिलेगा ,लोग यह भी सोचते है जीवन एक बार मिलता है तो हम अपने तरीका से जियेगें ।लेकिन यह भी सच है की जीवन ईश्वर का वर्दान है। वह अतिंम समय मे उस जीवन के साथ न्याय करेगा औऱ उससे न्याय के अनुसार अनन्त जीवन या फिर अनन्त मृत्यु को झेलना पड़ेगा। इसलिए सच्चाई को खोज किजीए ,सच्चाई आपको अनन्त जीवन देगा। धन्यवाद

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    1. Apko abhi tak dubara janm lene wale log nahi miley .unki rebirth walo ki kahani padho dekho mahsus karo or aap khud khoj karo apko rebirth ka pata chal jayega

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  3. 13 हिंदु राष्ट्रों के नाम बताने का कष्ट करें । परिभाषा विश्लेषण व्याख्या नही चाहिए ।धन्यवाद

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  4. जहा तक मैंने अध्ययन किया हिन्दू धर्म पे इन 13 देशों में जो हिन्दू बसे हुए है उनका ताल्लुक भारत से जुड़ा हुआ है
    खुद का कोई उस देश 【 country 】 का एक सख्श भी हिन्दू धर्म को नही अपनाया है 260 साल पहले थाईलैंड में 80 परिवारों ने हिन्दू धर्म को अपना था जो वहां की उस वक़्त की सरकार ने उनसे उनकी नागरिकता छीन लिया था
    बाकी हर देशों के हिन्दू का ताल्लुक भारत से जुड़ा हुआ है जानकारी दे रहे हो तो सही जानकारी दो,
    धन्यवाद

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    1. आपकी जानकारी गलत है |आलेख का मूल तत्व है कि बौद्ध और हिन्दू मूलतः एक ही वृक्ष की दो शाखाएं हैं और बुद्ध को हिन्दू विष्णू का ही अवतार मानते हैं और स्वयं बुद्ध ने भी लिखा है कि वे ही पूर्व जन्म में राम थे | तो इस नाते से जितने भी बौद्ध देश हैं, वे सब एक प्रकार से हिन्दू देश ही हैं |
      जो भी देश ऊपर दर्शाए गए हैं सबकी विकी पीडिया प्रोफाईल देख लीजिये –
      थाईलैंड - Thailand's prevalent religion is Theravada Buddhism, which is an integral part of Thai identity and culture. Active participation in Buddhism is among the highest in the world. According to the 2000 census, 94.6% and 93.58% in 2010 of the country's population self-identified as Buddhists of the Theravada tradition. अर्थात संक्षेप में थाईलैंड के लगभग 94 प्रतिशत लोग बौद्ध हैं |
      Cambodia - The official religion is Theravada Buddhism, आगे लिखा मिलेगा - In 802 AD, Jayavarman II declared himself king, uniting the warring Khmer princes of Chenla under the name "Kambuja". जय वर्मन और कम्बूज दोनों ही नाम संस्कृत से हैं !
      म्यांमार - A large majority of the population practices Buddhism; estimates range from 80%[305] to 89%.[306] According to 2014 Myanmar Census, 87.9% of the population identifies as Buddhists.[298] Theravāda Buddhism is the most widespread. यहाँ भी लगभग 88 प्रतिशत लोग बौद्ध हैं !
      यही स्थिति शेष सब देशों की है !

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  5. जानकारी ठीक नहीं लग रही है

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    1. मैं नहीं समझ पा रहा कि आपको कौन सी बात गलत लग रही है | आलेख का मूल तत्व है कि बौद्ध और हिन्दू मूलतः एक ही वृक्ष की दो शाखाएं हैं और बुद्ध को हिन्दू विष्णू का ही अवतार मानते हैं और स्वयं बुद्ध ने भी लिखा है कि वे ही पूर्व जन्म में राम थे | तो इस नाते से जितने भी बौद्ध देश हैं, वे सब एक प्रकार से हिन्दू देश ही हैं |
      जो भी देश ऊपर दर्शाए गए हैं सबकी विकी पीडिया प्रोफाईल देख लीजिये –
      थाईलैंड - Thailand's prevalent religion is Theravada Buddhism, which is an integral part of Thai identity and culture. Active participation in Buddhism is among the highest in the world. According to the 2000 census, 94.6% and 93.58% in 2010 of the country's population self-identified as Buddhists of the Theravada tradition. अर्थात संक्षेप में थाईलैंड के लगभग 94 प्रतिशत लोग बौद्ध हैं |
      Cambodia - The official religion is Theravada Buddhism, आगे लिखा मिलेगा - In 802 AD, Jayavarman II declared himself king, uniting the warring Khmer princes of Chenla under the name "Kambuja". जय वर्मन और कम्बूज दोनों ही नाम संस्कृत से हैं !
      म्यांमार - A large majority of the population practices Buddhism; estimates range from 80%[305] to 89%.[306] According to 2014 Myanmar Census, 87.9% of the population identifies as Buddhists.[298] Theravāda Buddhism is the most widespread. यहाँ भी लगभग 88 प्रतिशत लोग बौद्ध हैं !
      यही स्थिति शेष सब देशों की है !

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  6. Koun kahta hai ki duniya me ek hindu rastra hai meri jankari me to ek v nahi hai agar aap India ya Nepal ko hindu rastra samajh rahe ho to apko bata du ye hindu nahi dharm nirpeksh rastra hai

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  7. Galat hai hindu rastra ek bhi puri tarah se nahi hai hindu sanskritik hi satya ki khoj kiya hai anyatha koi aur majhabi nahi kuch warso me agar koi dhyan janm nahi liya to pure dharti ka sarwanas hoga

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  8. ग़ज़ब जय श्री राम 🚩 🚩 🚩 🚩 88

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  9. हिंदुरास्त्र एक भी नही ही ।जिस तरह पूरे विश्व से हिंदू को मारा जा रहा हे 2050 तक हिंदू को दिन के बेला मसाल लेके ढूंढे तो भी नही मिलेगा ओके

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