दलितों के लिये कारोबार के अवसर उपलब्ध कराना आरक्षण से बेहतर: राजन

देश में आय असमानता की तरफ इशारा करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार को कहा कि दलितों के लिये कारोबार शुरू करना आसान बनाया जाना चाहिये यह उनके सामाजिक रुतबे के लिये किसी भी तरह के आरक्षण से बेहतर होगा। उन्होंने धन को समानता का सबसे बड़ा साधन बताया और संपत्ति अर्जित करने अथवा उसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बजाए उसके प्रति समाज की सहिष्णुता बढ़ाने का आह्वान किया।

भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘अंधों में काना राजा’ कहकर विवादों में घिर चुके राजन ने यह भी कहा कि उन्हें भारत की वृद्धि को लेकर कोई समस्या नहीं है लेकिन यह और बेहतर हो सकती है। शिव नाडर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘मुक्त बाजार में आप जो कुछ भी खरीदना चाहते हैं, उसके लिये धन चाहिए। आपको खानदान, परिवार का महान इतिहास या उपयुक्त फैशन वाले कपड़े या खूबसूरती की जरूरत नहीं है।’ 

राजन ने कहा, ‘वास्तव में यह (धन) समानता लाने वाला है, इतिहास में कई लोग संसाधन प्राप्त करने में सफल रहे और दुनिया को हमारे रहने लायक बनाने के लिये उसमें निवेश किया।’ उन्होंने रेखांकित किया कि दलितों के लिये कारोबार शुरू करने को आसान बनाया जाना चाहिए और यह किसी भी आरक्षण के मुकाबले उनके सामजिक दर्जे को बढ़ाने में ज्यादा योगदान कर सकता है।

राजन ने कहा, ‘वास्तव में दलितों के लिये कारोबार शुरू करने को आसान बनाना उनके सामाजिक दर्ज के लिये ज्यादा बेहतर हो सकता है क्योंकि धन किसी भी अन्य चीजों के मुकाबले ज्यादा सशक्त बनाता है।’ रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि देश में आय की असामनता बढ़ रही है और स्कूल तथा स्वास्थ्य तक प्रभावी पहुंच उपलब्ध कराना, अधिक संख्या में नौकरियों के साथ गैर-भेदभावकारी रोजगार बाजार तथा लिंग, नस्ल या पृष्ठभूमि पर गौर किये बिना आगे बढ़ने के लिये समान अवसर उपलब्ध कराना समय की जरूरत है।

उन्होंने सुझाव दिया, ‘धन एवं संपत्ति के उपयोग पर रोक लगाने के बजाए इसके उपयोग के लिये समाज की सहिष्णुता बढ़ाने के बारे में सोचा जाए।’ देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे भारत की वृद्धि को लेकर कोई चिंता नहीं है। यह अच्छी है और यह इससे बेहतर हो सकती है।’ भारत 2015-16 में 7.6 प्रतिशत वृद्धि के साथ दुनिया में सबसे तीव्र वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। चालू वित्त वर्ष में इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

राजन ने कहा कि मुक्त बाजारों के लिये समाज के समर्थन तथा आबादी के बीच संपत्ति एवं अवसर के वितरण की निष्पक्षता के बीच मजबूत संबंध है। उन्होंने कहा, ‘देशों के बीच असमानता आज घट रही है लेकिन देश के भीतर असमानता बढ़ रही है। आज ऐसा लगता है कि अच्छी बाजार अर्थव्यवस्थाएं भी उनका समर्थन कर रही है जिनके पास पहले से पर्याप्त मात्रा में चीजें हैं।’ 

राजन ने कहा कि वह यह अनुभव करते हैं कि अच्छी पगार वाली नौकरी में कौशल तथा क्षमता महत्वपूर्ण है और जिनका जन्म अच्छे माहौल में हुआ है, उनके पास उसे हासिल करने के अच्छे मौके हैं। गवर्नर ने कहा कि आय असामानता बढ़ रही है, कुछ के पास अपार आय है और अन्य अगले दिन के भोजन के लिये चिंतित हैं।

साभार – जी न्यूज़ हिंदी

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें