अनूपपुर में भी शुरू हुई ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ की ऐतिहासिक पहल

फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा कवच देने के लिए देश में ‘‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ लागू की गई है। इस योजना के माध्यम से फसलों से होने वाली आय की सुरक्षा की गारंटी पहली बार किसानों को मिली है। यह ऐतिहासिक पहल संकट के मौकों पर किसानों को आर्थिक मदद देगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आईसीआईसीआई लोम्बार्ड बीमा कंपनी तथा कृषि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए अपर कलेक्टर श्री राजेश जैन ने यह विचार व्यक्त किये। जिसमें उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि श्री आर.एस. शर्मा, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक श्री सोनी, अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री पी.सी. पाण्डेय, सहायक संचालक कृषि श्री दिनेश मंडलोई, उपायुक्त सहकारिता, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक श्री अभिषेक बाजपेयी, अनूपपुर जिले के प्रभारी श्री रमेश जोशी, श्री सुधीर मिश्रा सहित कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, राजस्व, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, आजीविका परियोजना सहित विभिन्न विभागों के मैदानी अमला ने भाग लिया। 

अपर कलेक्टर श्री जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ ऋणी, अऋणी तथा डिफाल्टर किसानों को दिया जाना है। संबंधित अधिकारी अभिभावक की तरह अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए किसानों के हितों की रक्षा करें। अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करें। आपने आवेदन पत्र से संबंधित समस्त जानकारियां विशेष रूप से किसानों के बैंक खातों की जानकारी अभी से फीड कराने सुनिश्चित करें। 

उप संचालक कृषि श्री आर.एस. शर्मा ने बताया कि इस योजना में किसान को बीमित राशि पर खरीफ फसलों के लिए मात्र 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए मात्र 1.5 प्रतिशत और वाणिज्यिक अथवा उद्यानिकी फसलों पर मात्र 5 प्रतिशत का अंश ही देना होगा। शेष वास्तविक प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को भारत सरकार एवं राज्य सरकार देंगी। योजना में सभी किसान लाभ ले सकेंगे, भले ही वो बंटाई, किराए या लीज पर खेती करते हों, बीमा की रकम, स्केल ऑफ फायनेंस अथवा खेत की फसल से संभावित आय में से जो अधिक हो वह राशि होगी। इस तरह किसान की कृषि आय भी इस योजना में बीमित हो सकेगी। कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों की समस्याओं का समाधान भी किया गया। 

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक श्री अभिषेक बाजपेयी ने बताया कि फसलों के दावों की गणना पिछले 7 सालों के कटाई के आंकड़ो में से प्राकृतिक आपदा से नुकसानी वाले दो सालों के आंकड़े हटाकर, पांच साल की उत्पादकता का औसत होगी। योजना की गणना की इकाई पटवारी हल्का, तहसील तथा जिला होगा। योजना में ओला, पाला, तूफान, बाढ़, सूखा, शुष्क अवधि, कीट एवं रोग, प्राकृतिक आग आदि के नुकसान भी शामिल किए गए हैं। ओला गिरने जैसी स्थानीय प्राकृतिक आपदा से जो नुकसान एक सीमित क्षेत्र में होता है। ऐसे खेतो के सर्वे के आधार पर दावों की गणना का प्रावधान रखा गया है। फसल रोपने अथवा बोने के बाद बदले मौसम से फसल के नुकसान पर बीमा की 25 प्रतिशत राशि तुरंत देने की व्यवस्था नवीन योजना में है। योजना में फसल कटने के 14 दिन के अंदर कटी फसल को असमय वर्षा से होने वाले नुकसान को शामिल किया गया है। इस बार यदि किसी व्यक्तिगत किसान का भी कोई स्थानीय आपदा जैसे ओला, पाला, तूफान, बाढ़, आगजनी आदि की घटना होने पर व्यक्तिगत किसान को भी क्षतिपूर्ति काया जाना प्रावधानित है। किसानों को ध्यान में रखना होगा कि ऐसी स्थिति में तत्काल जिला प्रशासन, बैंक अथवा बीमा कम्पनी को 72 घण्टे के भीतर सूचित करना होगा। इस योजना के अंतर्गत यदि किसान की खेत की कटी फसल 14 दिन के अंदर प्राकृतिक आपदा से नुकसानग्रस्त होती है तो भी किसान को लाभ मिलेगा।योजना संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए उपसंचालक कृषि से संपर्क किया जा सकता है।

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