सीपीएम का सही नामकरण – कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ मर्डरर्स !


आज ही केरल के कन्नूर में हुई ए.व्ही बिजू की ह्त्या का समाचार सामने आया ! केरल में मार्क्सवादियों द्वारा राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं की हत्या कोई नई बात नहीं है ! भाजपा कार्यकर्ता और संघ स्वयंसेवक सदा उनके निशाने पर रहते हैं ! अब तक 232 देशभक्तों कि केरल में हत्याएं हो चुकी हैं, और फिर अब तो केरल के मुख्यमंत्री स्वयं भी उसी हत्यारी मानसिकता के व्यक्ति हैं, तो फिर तो कहना ही क्या है !

केरल में विगत 25 मई को सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य पिनराई विजयन को मुख्यमंत्री बनाया गया ! विजयन बेहद कट्टर लेफ्ट नेता के तौर पर जाने जाते हैं ! 2 साल पहले कांग्रेस के विधायक एपी अब्दुलकुट्टी ने केरल कांग्रेस के मुखपत्र में प्रकाशित एक लेख में विजयन के सम्बन्ध में एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किया था ! 

पहले सीपीआई में रह चुके अब्दुलकुट्टी ने 2008 में कन्नूर में सीपीएम और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प का जिक्र किया था, जिसमें 5 भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी ! श्री कुट्टी के अनुसार उस समय सीपीएम के तत्कालीन राज्य सचिव पी विजयन ने अजिकोदन मंदिर में एक सभा बुलाई थी, जिसमें अब्दुलकुट्टी, पी करुणाकरण, सी सतिदेव सहित कई सांसद और विधायक मौजूद रहे ! 

तब की सीपीएम सांसद पी सतिदेव ने इस सभा में कहा कि “ऐसी हिंसा से सदन में हमें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है ! जब बीजेपी के सांसद मृत लोगों के शवों की तस्वीरें हवा में लहराते हैं, तो हमें जबाब देना मुश्किल हो जाता है ! हम ऐसे बर्बर हत्याकांडों का समर्थन नहीं कर सकते |”

उस समय विजयन ने जो जबाब दिया वह बेहद चोंकाने वाला था ! उन्होंने कहा कि हमें बंगाल के कामरेडों से सीखना चाहिए ! वो जब किसीकी ह्त्या करते हैं, तो उसके खून का एक कतरा भी नहीं मिलता ! वो पहले किडनेप करते हैं, फिर मारकर किसी गड्ढे में एक बोरी नमक के साथ गाढ़ देते हैं ! लोग ढूँढते रह जाते हैं, न किसी को उसकी लाश मिलती है, न लाश का फोटो और न ही कोई सबूत !

अब्दुल कुट्टी ने अपने लेख में आगे लिखा कि कैसे जब उन्होंने दिल्ली आकर बंगाल के एक सीपीएम सांसद अनिल बसु से इस बारे में बात की, तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि हाँ, बंगाल में यह तरीका बहुत आम है ! आपका केरल बाला तरीका बहुत पुराना और घटिया है ! बंगाल में तो हड्डियों के निशान भी बाक़ी नहीं बचते !

संघनिष्ठ लेखक राकेश सिन्हा ने भी इसी लिए अपनी एक फेसबुक पोस्ट में सीपीएम का सही नामकरण किया – कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ मर्डरर्स !

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