शिवपुरी - विलक्षण शैली और संत प्रवृत्ति के धनी थे प्रो.सिकरवार : डीआईजी डॉ.रमन सिंह

शिवपुरी। शिक्षा की प्रतिमूर्ति के रूप में माने जाने वाले स्व.प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार विलक्षण शैली और संत प्रवृत्ति के धनी थे उनके आदर्श आज भी उनके शिष्यों में देखने को मिलता है हमेशा शिक्षा से वंचित वर्ग के प्रति समर्पण भाव से कार्यरत रहने वाले प्रो.सिकरवार ने सीख दी है कि अपने कर्तव्य पथ की ओर बढ़ते जाओ लेकिन सरल, सहज और मृदुभाषी भी बनो ताकि एक शिक्षक की छवि जो समाज में है वह प्रदर्शित है ऐसी महान विभूति का मैं भी शिष्य रहा हूँ और उनके जन्मोत्सव पर प्रो.सिकरवार स्मृति स मान प्रदाय किया जाना गौरव की बात है आने वाले समय में लोग प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार जैसे संत को ढूंढंगे यह इस सम्मान समारोह से पता चलता है, दो पंक्तियां ईश्वर में विलीन स्व.प्रो.सिकरवार के व्यक्तित्व को यूं प्रदर्शित करती है-

''क्या तुमने कभी ईश्वर को देखा है, क्या ईश्वर ने कभी तु हें देखा है। पर मन में एक विश्वास लिए है, कि शायद उसने(प्रो.सिकरवार)ने मुझको देखा है।।

इन पंक्तियों से प्रो.सिकरवार हमें देख रहे है हम उनके पदचिह्नों पर चलें यह संकल्प लें। प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के इन आत्मिक गुणों का बखान कर रहे थे भोपाल से पधारे डी.आई.जी. डॉ.रमन सिंह सिकरवार जो स्थानीय परिणय वाटिका में आयोजित प्रो.सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आर.एस.चौहान डीआईजी सीआरपीएफ सीआईएटी ने की जबकि विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक मो.युसूफ कुर्रेशी व स्मृति सम्मान समारोह के संरक्षक विधायक प्रहलाद भारती एवं केन्द्रीय बिन्दु स्मृति सम्मान समारोह की गौरव हस्ति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कमाण्डर जी.बी. सिंह मंचासीन थे। कार्यक्रम का संचालन बड़ी सरल सजह भाषा शैली में दिग्विज सिंह सिकरवार ने किया जबकि आभार प्रो.ए.पी.श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ स्व.प्रो.सिकरवार के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। 

मंचासीन अतिथिद्वयों में सर्वप्रथम स्वागत भाषण विधायक प्रहलाद भारती ने दिया जिन्होंने स्व.प्रो. सिकरवार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालकर उनकी स्मृति में आयोजित सम्मान समारोह की विस्तृत रूप से व्याख्या की। 

तत्पश्चात पुलिस अधीक्षक मो.युसुफ कुर्रेशी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरू ज्ञान ही नहीं अपितु संस्कार भी प्रदाय करता है आज समाज में प्राथमिक समाजीकरण शिक्षा को महत्वपूर्ण माना जाता है शिक्षा घर से परिवार से बचपन में माता-पिता और फिर गुरू से प्राप्त हो लेकिन वह संस्कारवान हो तब सही अर्थों में शिक्षा और संस्कार के महत्व को समझा जा सकता है यह जरूर नहीं कि डिग्री और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला ही शिक्षक को वरन् शिक्षक तो वह है जो शिक्षा और संस्कारों के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह करें, ऐसे मे प्रो.सिकरवार के आदर्शों को आत्मसात कर हम समाज में उनके आदर्शों को स्थापित करें।

कार्यक्रम में प्रो.सिकरवार के प्रति अपनी भाव्यांजलि घनश्याम योगी द्वारा जबकि काव्यांजलि आर.आइ. अरविन्द सिंह सिकरवार द्वारा अपने गुरू प्रो.सिकरवार के प्रति कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी गई। 

कार्यक्रम में डीआईजी सीआरपीएफ आर.एस.चौहान ने अपने संबोधन में स्व.प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार को ध्रुव तारे के समान बताया और ऐसा आदर्श स्थापित करने वाला मार्गदर्शक निरूपित किया जिसने सदैव नि:सहाय, निर्धन और हर तबके के विद्यार्थियों के हितों में कार्य करने वाले शिक्षक की भूमिका का निर्वाह प्रो.सिकरवार द्वारा किया गया। ऐसे में वह उस ध्रुव तारे के समान है जो सदैव दूसरों को मागदर्शित कर उनके जीवन में उजियारा करता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्व.प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह का महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसके सभी सदस्यों ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया। 

इसलिए सम्मानित हुए रिटा.ले. कमाण्डर जी.बी. सिंह 

स्व.प्रो.चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह में सम्मानित हुए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कमाण्डर जी.बी. सिंह को समिति द्वारा इसलिए स मानित किया गया, क्योंकि कमाण्डर जी.बी. सिंह भी जिले के करैरा क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगा रहे है वह बीते 9 वर्षों से लगातार नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर बच्चों का भविष्य संवारने का कार्य कर रहे है ऐसी महान विभूमि को प्रो.सिकरवार स्मृति सम्मान प्रदाय किए जाने पर समिति भी गौरान्वित है। समिति द्वारा प्रो.सर चंद्रपाल सिंह सिकरवार का 06 जून 2015 को देहावसान हो जाने के बाद उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए एवं उन्होंने जिस प्रकार अध्यापन के प्रति एक शिक्षक के रूप में एकनिष्ठ समर्पित प्रतिबद्धत्ता का जीवन जिया उस जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में अहर्निश सेवा कार्य करने वाले व्यक्तित्वों का स मान करने की शुरुआत गत वर्ष उनकी जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में की गयी थी। इसी श्रृंखला में इस वर्ष भी सेवाभावी व्यक्तित्व के रूप में यह पुरूस्कार रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कमाण्डर जी.बी. सिंह (करैरा) को प्रदान किया गया।

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