दमोह - जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल रंग लाई

पहले बच्चों को पालकों द्वारा टीकाकरण के मामले में रूचि नहीं लेने से बच्चों की मौतें होती थीं और टीकाकरण से लोग परहेज करते थे, लेकिन अब जनप्रतिनिधियों के अथक प्रयासों और पालकों को दी गई सलाह के साथ विभाग द्वारा सक्रियता से कार्य करने से टीकाकरण के क्षेत्र में बदलाव आया है।
हर बच्चे के हँसते-खिलखिलाते जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना जरुरी है। बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिये संपूर्ण टीकाकरण आवश्यक है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अंतर्गत अनसूचित-जाति बाहुल्य जिला दमोह, जहाँ वर्ष 2014-15 तक मूल्यांकित पूर्ण टीकाकृत बच्चे केवल 42.4 प्रतिशत थे अब वहीं प्रदेश स्तर पर हुई समीक्षा में 90 प्रतिशत से ऊपर उपलब्धि होने पर जिले ने संभाग में प्रथम और प्रदेश में आठवां स्थान अर्जित किया है।

कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने बताया शासन के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 के माह अप्रैल से जून तक चलाए गए अभियान इन्द्रधनुष में स्थानीय जनप्रतिनिधि, मीडिया जगत एवं जिला प्रशासन से मिले समर्थन एवं विभागीय तथा मैदानी अमले के बहुमूल्य योगदान से यह संभव हो पाया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ए.के. बड़ोनिया ने सभी के प्रति आभार जताते हुए भविष्य में भी इसी तरह समर्थन देने का आग्रह किया है। 

डॉ. बड़ोनिया ने बताया कि ग्रामीण अंचल के दूर-दराज क्षेत्रो में टीकाकरण के बाद अक्सर हो जाने वाले आम छोटे-मोटे सह प्रभाव मसलन हल्का बुखार, दर्द, इन्जेक्शन की जगह पर सूजन आ जाने से बच्चो के परिजन क्षणिक परेशानियो से बचने बच्चो का टीकाकरण कराने से बचने का प्रयास करते रहते थे। स्वास्थ्य अमला लगातार जागरुक करने का प्रयास अपने स्तर से करता रहा। वर्ष 2015-16 माह अप्रैल से जून तक बच्चो का पूर्ण टीकाकरण के लिए संकल्पित अभियान इन्द्रधनुष में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, मीडिया तथा जिला प्रशासन के सक्रिय सहयोग एवं समर्थन तथा विभाग का मैदानी अमला एवं ब्लॉक तथा जिला स्तर से किए गए सहयोगी पर्यवेक्षण के परिणामस्वरुप बच्चो के परिजनो तक टीकाकरण के लाभ से संबंधित संदेश पहुंचाने तथा टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियो को भेदने में सफल रहा। ग्राम में आशा, आशा सहयोगी तथा ए.एन.एम के सहयोग से की गयी माताओं की बैठक में बच्चो के परिजनो, समुदाय के लोगो तक टीकाकरण के फायदे के बारे में जागरुक करते हुए उन्हे टीकाकरण के बाद होने वाले क्षणिक सह-प्रभाव के बारे में बताया। 

उन्होंने कहा टीकाकरण के बाद कुछ बच्चो में बुखार, दर्द, इन्जेक्शन लगाए गए स्थान पर लालिमां अथवा टीका के पकने से घबराए नही। जानलेवा टी.बी. से बचाव के लिए बेहद कारगर बी.सी.जी. का टीका पक भी सकता है। इससे यह पता चलता है कि टीका ने अपना काम कर दिया है और बच्चा उस बीमारी विशेष से बचा रहेगा। शिशु के जन्म के बाद से नियमित समयांतराल पर टीकाकरण से शिशुओं का 8 जानलेवा बीमारियो से बचाव होता है। अगर किसी भी टीके की एक खुराक बीच में छूटती है तो उस टीके का सुरक्षा चक्र भी टूट जाता है। इसलिए टीकाकरण समय-समय पर नियमित रुप से नियमित समय अंतराल पर बच्चे को टीके की पूरी खुराक दिलाना जरुरी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ए.के.बड़ोनिया ने समुदाय के सभी लोगों को आश्वस्त करते हुये कहा है कि स्वास्थ्य विभाग दमोह हर-पल आपकी स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु निरंतर प्रयासरत, सहभागी एवं सहायतार्थ हमेशा सर्तक रहेगा।

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