NDTV पर 1995 में कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए क़ानून के मुताबिक़ लगेगा प्रतिबन्ध, फिर क्यों है यह हो हल्ला ?

इन दिनों मोदी सरकार के द्वारा NDTV पर लगाए जाने वाले एक दिवसीय प्रतिबन्ध के खिलाफ मीडिया जगत में काफी हो हल्ला मचाया जा रहा है ! विपक्ष और मोदी विरोधी ताकतों की तो मानो मुंह मांगी मुराद ही पूरी हो गई है, उन्हें मोदी सरकार को निशाने पर लेने का एक मुद्दा जो मिल गया है ! लेकिन किसी को यह याद नहीं आ रहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने ही ऐसी कार्रवाइयों की नींव डाली थी ! 

यदि हम पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वर्ष 2005 से वर्ष 2013 के बीच 20 चैनलों को 28 बार ऑफ-एयर किया गया ! इस दौरान इन बैन किये गए चैनलों पर दिन से लेकर दो महीने तक कार्यवाही की गयी थी ! इतना ही नहीं तो मनमोहन सरकार ने 2008 और 2009 में दो बार टीवी चैनलों को ‘एडवाइजरी’ भी भेजी थी, जिसमें चैनलों से किसी भी एंटी-टेरर ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों की लोकेशन और मूवमेंट के बारे में रिपोर्टिंग न करने को कहा था ! इस मामले पर एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त 2013 को एक जरूरी टिप्पणी की ! कोर्ट ने मुंबई हमले के समय भारतीय टीवी चैनलों की कवरेज को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला’ बताया और कहा कि इससे देश-समाज को कोई फायदा नहीं हुआ ! 

कांग्रेस शासनकाल में ही बना था चैनलों को बैन करने का क़ानून 

1995 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा ऐसा कानून लाया गया जो सरकार को किसी भी चैनल को बैन करने का अधिकार देता है ! इसके पश्चात जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो इस दौरान The Cable Television Networks (Regulations) 1995 नाम के इस क़ानून में कुछ क्लोज और जोड़े गए ! किन्तु अब यह कैसा मजाक है कि कांग्रेस नेतागण ही एनडीटीव्ही पर महज एक दिनी प्रतिबन्ध को प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात बता रहे हैं ! कारण भी साफ़ है, क्योंकि NDTV के कर्ताधर्ता प्रणय राय स्वयं एक कांग्रेसी है, उनकी पत्नी राधिका राय की बहन हैं वृंदा करात और बहनोई हैं प्रकाश करात जो वामपंथी हैं ! तो स्वाभाविक है कि NDTV को एक दिन के लिए ब्लैक आउट करने का आदेश इनके मन में छटपटाहट पैदा करेगा ही ! ऐसे ही लोगों के द्वारा सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय को अघोषित आपातकाल बताया जा रहा है ! 

स्मरणीय है कि NDA के कार्यकाल वर्ष 1999 में करगिल संघर्ष में कुछ फौजी सिर्फ़ इसलिए शहीद हुए क्योंकि NDTV की तेज तर्रार पत्रकार ने वहीं से लाईव कर दिया जहाँ बंकर में फौजी बैठे थे ! पत्रकारिता से जुड़े लोग निश्चित ही इस किस्से से वाकिफ होंगे ! 

कब-कब किस-किस चैनल पर कितना-कितना लगाया गया बैन 

1. 2007 में न्यूज चैनल ‘जनमत TV’ का प्रसारण एक फर्जी स्टिंग के आरोप में एक महीने के लिए रोक दिया गया था, जिसमें एक लेडी स्कूल टीचर को सेक्स रैकेट मामले में फंसाया गया था ! टीचर का नाम उमा खुराना था और स्टिंग का दावा था कि वह स्कूली छात्राओं का सेक्स रैकेट चलाती हैं ! खबर के बाद तुर्कमान गेट स्थित सरकारी स्कूल के बाहर जमकर हंगामा हुआ था ! भीड़ ने उमा खुराना को जान से मारने की कोशिश की थी और उनके कपड़े फाड़ दिए थे ! दबाव के बाद पुलिस ने उमा को गिरफ्तार तो कर लिया था, लेकिन छानबीन के बाद उमा को बेकसूर पाया गया ! जब ये स्टिंग चैनल पर चला, तब सुधीर चौधरी इसके सीईओ-संपादक थे ! अब वो ज़ी न्यूज के एडिटर हैं और उन पर कोल स्कैम की खबर न दिखाने के एवज में जिंदल ग्रुप से 100 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का आरोप है ! फिलहाल वो जमानत पर बाहर हैं ! 

2. फैशन के ग्लोबल ट्रेंड्स दिखाने वाले FTV (फैशन टीवी) को 2007 से 2013 के बीच तीन बार ऑफ एयर किया गया ! पहला बैन लगा दो महीने का, जब चैनल ने ‘मिडनाइट हॉट’ नाम का प्रोग्राम चलाया था ! 2010 में चैनल ने टॉपलेस लड़कियों के विजुअल दिखाए, तो 9 दिनों का बैन लगा. 2013 में अडल्ट विजुअल्स दिखाने पर 10 दिनों का बैन लगाया गया ! 

3. 25 अप्रैल, 2013 को महुआ टीवी के खिलाफ एक दिन के बैन का आदेश जारी हुआ था, क्योंकि चैनल ने ‘ए’ सर्टिफिकेट वाली दो फिल्में ‘औलाद’ और ‘एक और कुरुक्षेत्र’ दिखा दी थीं ! 

4. 25 अप्रैल, 2013 को ही AXN पर भी ‘ए’ सर्टिफिकेट वाली फिल्म ‘डार्कनेस फाल्स’ हिंदी में दिखाने की वजह से एक दिन का बैन लगाने का आदेश जारी हुआ था ! 

5. 1 मई, 2013 को मूवीज ओके चैनल के खिलाफ एक दिन के बैन का आदेश जारी हुआ था, क्योंकि इसने ‘ए सर्टिफिकेट’ वाली फिल्म ‘दिलजले’ दिखाई थी ! 

6. 17 मई, 2013 को कॉमेडी सेंट्रल चैनल के खिलाफ 10 दिनों के बैन का आदेश जारी हुआ था, क्योंकि इसने ‘स्टैंड अप क्लब’ प्रोग्राम दिखाया था !

7. 16 जनवरी, 2014 को ‘WB’ चैनल के खिलाफ एक दिन के बैन का आदेश जारी हुआ था, क्योंकि इसने ‘V/UA’ सर्टिफिकेट वाली फिल्म ‘इट्स अ बॉय गर्ल थिंग’ दिखाई थी !

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