काले धन पर सर्जिकल स्ट्राईक के बाद, बोलती क्यों बंद है केजरीवाल जी की ?



हर छोटी बड़ी बात पर ट्वीट करने और बयान देने में महारथी माने जाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के फैसले के बाद कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है ! माना जा रहा है कि ये फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका है । उनकी तो सियासत ही डूब रही है । 

बैसे तो सभी राजनीतिक पार्टिया लोगों से चंदा लेती हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी का तो अधिकतर फंड विदेशों से ही आता है, जिस पर अब सवालिया निशान लग गया है । 

यह जाना माना तथ्य है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय ही फंड भेजते है। पार्टी इस फंड का कोई हिसाब-किताब किसी को नहीं देती और ना ही पार्टी अपनी डोनेशन लिस्ट पेश करती है। परंतु अब सरकार एक-एक पैसे का हिसाब रखेगी, तो स्वाभाविक ही पैरों के नीचे की धरती खिसक रही है ।

पंजाब में होने वाले उपचुनाव के कारण दुबले और दो आषाढ़ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है । इस समय ही फंड की सबसे अधिक जरूरत है और इसी समय मोदी जी ने कर दिया यह धमाका । तो केजरीवाल साहब की बोलती बंद, यह तो होना ही था । इसीलिए यह फैसला आने के 20 घंटे बीत जाने पर भी केजरीवाल की तरफ से अभी तक कोई भी बयान नही आया है । कहा जा सकता है कि पीएम मोदी के धोबी पछाड़ ने केजरीवाल को सीधे तौर पर पस्त कर दिया है । 

यह तो हुआ हास परिहास किन्तु साफ़ तौर पर ताजा कदम के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाया है कि अवैध धन के खिलाफ उनके एलान महज 'जुमला" नहीं थे। सख्त कदम उठाने में हालांकि कुछ समय लगा, लेकिन देर आयद-दुरुस्त आयद की तर्ज पर अब उनकी सरकार ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे काला धन रखने वालों की नींद निश्चित ही उड़ गई होगी। ऐसा धन सामान्यत: बड़े नोटों के रूप में रखा जाता है। जिन लोगों ने 500 और 1000 रुपए के नोटों के रूप में इन्हें रखा होगा, अब एक ही झटके में उनका ऐसा अनमोल धन अब बेमोल हो गया । यही कारण है कि लोग अब सजा से बचने के लिए इन नोटों को फेंक रहे हैं ! ताजा समाचार हैकि एक कब्रिस्तान में नोटों का जखीरा कोई फेंक गया !


बेशक लोग 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक इन नोटों को बैंकों में जमा करा सकेंगे। लेकिन ऐसा कराते ही यह तमाम रकम सरकार की जानकारी में आ जाएगी। ये धन आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक हुआ, तो उसके मालिक पिछले साल काले धन के खिलाफ पारित कानून के तहत सजा के भागी होंगे। इस वर्ष जून से सितंबर तक सरकार ने काला धन की स्वयं घोषणा करने का मौका दिया था। सैकड़ों लोगों ने 65,250 करोड़ रुपए की ऐसी रकम घोषित की। उन्होंने टैक्स तथा जुर्माना चुकाकर उसे वैध धन बना लिया। सरकार कह चुकी है कि जिन्होंने उस मौके का लाभ नहीं उठाया, उनके पास अब दंडित होने के अलावा कोई चारा नहीं है। अब स्थिति यह है कि या तो काले धन के कारोबार में लगे लोग कानून के फंदे में आएंगे या उनके बड़े नोट महज कागज के मूल्यहीन टुकड़े बनकर रह जाएंगे।

यह अर्थव्यवस्था को स्वच्छ करने का महायज्ञ है। अर्थव्यवस्था काले धन से मुक्त हुई, तो कर चोरी रुकेगी तो राजकोष समृद्ध होगा, जिससे जन-कल्याण के कार्य हो सकेंगे। सबसे बड़ी बात इससे आतंकवादियों पर भी लगाम लगेगी, जो जाली नोटों के जरिए भारत-विरोधी कार्रवाइयों को अंजाम देते हैं। अंतत: देश में एक ऐसी शुरुआत हुई है, जिसे अब तक असंभव माना जाता था। इस साहस के लिए मोदी सरकार प्रशंसा की पात्र है। 

अब जो 500 और 2000 रुपये के जो नए नोट सरकार लाएगी भी, उनमें कर अपवंचक भयभीत रहेंगे कि कहीं कोई इलेक्ट्रोनिक व्यवस्था तो नहीं की गई वरना लेने के देने पड़ जाएँ ? इतना ही नहीं उनके मन में यह भय भी तो रहेगा कि फिर किसी दिन मोदी सरकार इन नोटों पर भी प्रतिबन्ध न लगा दे ! इस डर से ही सही लोग ईमानदार तो बनेंगे, ईमानदार तो रहेंगे !

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