दुनिया की सबसे अच्छी मां - मेरे पिता



वह पौधों की छंटाई कर रहा था .. **** एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल के सुसज्जित उद्यान में बैठा हुआ, गर्मी और धूल की ओर ध्यान दिए बिना ।
कि तभी चपरासी के रूखे स्वर उसके कानों से टकराए –
"गंगा दास, प्रिंसिपल महोदया बुला रही हैं, तुरंत जाओ "
चपरासी ने आखिर्रो दो शब्दों पर बहुत ज़्यादा जोर दिया था, मानो बहुत ही ज्यादा जरूरी हो ।
वह जल्दी से उठा, हाथ धोये और जल्दी से लगभग दौड़ते हुए प्राचार्य के कमरे की तरफ चला ।
बगीचे से कार्यालय तक पहुंचना उसे दुश्वार हो रहा था, धड़कन बढ़ गई थी, माथे पर पसीना चुहचुहा रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि उससे ऎसी क्या गलती हो गई, जो इस प्रकार अचानक मेडम ने उसे बुला लिया है... एक परिश्रमी, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी के लिए यह बुलावा किसी आफत से कम नहीं था...
दरवाजे पर दस्तक देकर कांपती आवाज में उसने पूछा.... "मैडम, आपने मुझे बुलाया?"
"अंदर आओ ..." अधिकारपूर्ण ठंडी आवाज ने उसे और घबरा दिया,
फ्रेंच गाँठ में बड़े करीने से बंधे नमक से श्वेत धवल बाल, नाक की फुनगी पर आराम फरमाता सुनहरे फ्रेम का चश्मा, डिजाइनर साडी में शांत और प्रभावी व्यक्तित्व की धनी थीं, कुर्सी पर विराजित महिला अधिकारी...
उसने टेबल पर रखे कागज़ की तरफ इशारा किया ...
"इसे पढो"
.. लेकिन मेम मैं तो एक अशिक्षित व्यक्ति हूं, अंग्रेजी नहीं पढ़ सकता हूं।
अगर मुझसे कुछ गलती हुई है, तो कृपया मुझे माफ़ कर दो... मुझे एक और मौका दो ... आपने कृपा पूर्वक मेरी बेटी को इस विद्यालय में मुफ्त में अध्ययन की सुविधा प्रदान की है, आपका यह अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूल सकता... मैं तो कभी सपना में भी नहीं सोच सकता था कि मेरी बेटी इस तरह बड़े लोगों के बच्चों के साथ पढेगी....... और उसकी आवाज रुंध गई, वह लगभग कांप रहा था, मानो अन्दर ही अन्दर कुछ टूट गया हो |
"रुको, रुको, आप कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए हो... हमने आपकी बेटी को यहाँ पढ़ने की अनुमति दी, तो कोई अहसान नहीं किया, वह बहुत ही होनहार है, और आप भी तो कितनी ईमानदारी से विद्यालय की सेवा करते हैं..मैं एक शिक्षक को फोन कर रही हूँ, वह इसे पढ़कर अनुवाद करके आपको सुनायेंगे... यह आपकी बेटी ने लिखा है, और मैं चाहती हूं कि आप इसे सुनें"
जल्द ही एक अध्यापक ने कक्ष में प्रवेश किया और वह पेपर पढ़ना शुरू किया, और फिर प्रत्येक पंक्ति का हिंदी अनुवाद कक्ष में गूंजने लगा...
इसे पढ़ें-
"आज हमें मातृ दिवस के बारे में लिखने के लिए कहा गया ...
मेरा परिवार बिहार के एक गांव का हैं, एक ऐसा गांव जहां चिकित्सा और शिक्षा अभी भी दूर के सपने की तरह प्रतीत होता है। अपने बच्चों को जन्म देते समय आज भी कई महिलाएं मौत की गोद में सो जाती हैं । मेरी अभागी मां भी उनमें से एक थी, मुझे जन्म देने के बाद वह मुझे अपने हाथों में भी नहीं थाम पाई । मेरे पिता ने ही मुझे सबसे सबसे पहले थामा.. या शायद वे ही एकमात्र सहारा बने । हर कोई दुःखी था.. कह रहा था, कि इस लड़की ने पैदा होते ही अपनी माँ को "खा" लिया ।
मेरे पिताजी को फिर से शादी करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। मेरे दादा दादी ने सभी तार्किक, अतार्किक और भावनात्मक कारणों से उन्हें मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी । मेरे दादाजी एक पोता चाहते थे, उन्होंने धमकी दी कि मेरे पिता अगर दूसरा विवाह नहीं करेंगे तो वे उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल कर देंगे.. ।
पिता ने एक बार भी नहीं सोचा... सब कुछ छोड़ दिया, जमीन, जायदाद ... एक अच्छी ज़िंदगी, आरामदायक घर, एक गांव की जो सबसे अच्छी जीवन शैली मानी जाती है।
फिर वे मुझे लेकर इस शहर में आये, जेब में फूटी कौड़ी नहीं, हाथ में कोई हुनर भी नहीं । जीवन बहुत मुश्किल था, किन्तु उन्होंने दिन और रात मेहनत की .. और मुझे दिया अगाध प्रेम, जैसे कोई कांच का सामान हो, ऐसे मुझे सम्हालकर रखा ।
आज जब मैं समझने लायक हुई हूँ, तब मुझे समझ में आ रहा है कि खाने में जो चीजें मुझे पसंद थीं, वे उन्हें क्यों नापसंद थीं | थाली में रखी हुई उस स्वादिष्ट बस्तु देखकर वे कहते, यह मुझे पसंद नहीं है, तू जल्दी से इसे ख़तम कर.... लेकिन आज बड़े होकर मुझे इसका कारण समझ में आया, कि यह उनकी नापसंदगी नहीं, त्याग था, मेरी खातिर, उन्होंने हरसंभव तरीके से अपनी क्षमता से परे, अधिक से अधिक सुख देने का प्रयत्न किया ।
इस विद्यालय ने उन्हें एक आश्रय, सम्मान और सबसे बड़ा उपहार दिया - एक बेटी के लिए प्रवेश ...
यदि प्यार और देखभाल एक माँ को परिभाषित करती है ... तो मेरे पिता ही मेरी मां हैं,
करुणा एक माँ को परिभाषित करती है, तो मेरे पिता भी उस श्रेणी में अच्छी तरह फिट बैठते हैं,
अगर एक माँ की परिभाषा त्याग है, तो मेरे पिताजी उस श्रेणी में भी सर्वोच्च हैं।
अगर मां प्यार, देखभाल, त्याग और करुणा की मूर्ति है ... तो मेरे पिता पृथ्वी पर सबसे अच्छी माँ हैं।
मातृ दिवस पर, मैं अपने पिता को धरती पर सबसे अच्छे अभिभावक बनने के लिए शुभकामनाएं देती हूं ... मैं उन्हें नमन करती हूं और गर्व से कहती हूं कि इस स्कूल के मेहनती माली मेरे पिता हैं।
मुझे पता है कि जब मेरे शिक्षक इस लेख को पढेंगे तो मुझे परीक्षा में अनुत्तीर्ण कर देंगे, लेकिन यह मेरे पिता के निस्वार्थ प्रेम को देखते हुए बहुत कम कीमत होगी ... मेरे लिए तो यही अटल सत्य है कि मेरे पिता ही मेरी मां हैं, दुनिया की सबसे अच्छी मां ।
धन्यवाद"
कमरे में चुप्पी छा गई ... पिन भी गिरती तो शायद किसी धमाके के समान आवाज होती | गंगा दास के दिल की धड़कन को हर कोई बिना सुने महसूस कर रहा था.... सूरज की तपती धुप में भी जिसे कभी पसीना नहीं आया, जिसके कपड़े गीले नहीं हुए, लेकिन आज बेटी के मुलायम शब्दों ने उसकी छाती को आँसूओं ने भिगो दिया था .... वह गुमसुम, चुपचाप हाथ जोड़े खड़ा था ..


उसने शिक्षक के हाथों से वह पेपर ले लिया ... उसे अपने दिल के करीब रखा और फफक पड़ा ।

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