शिशु मंदिरों से तकरार, ममता सरकार की करारी हार |


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी का संघ द्वेष कोई ढका छुपा तथ्य नहीं हैं | अपनी इसी मानसिकता के चलते उन्होंने पिछले दिनों आरएसएस की प्रेरणा से संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों को बंद करने के आदेश जारी किये थे | निश्चय ही उनका यह कदम असंवैधानिक और व्यक्ति के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात था | उत्तर दिनाजपुर में संचालित होने वाले एक सरस्वती शिशु मंदिर के प्रबंधकों ने इस तानाशाही पूर्ण आदेश को चुनौती देते हुए कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की | परिणाम स्वरुप हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के तुगलकी आदेश को अगले आदेश तक रोक दिया ।

स्मरणीय है कि स्कूलों के जिला निरीक्षक (डीआई) ने अपने 10 अप्रैल के नोटिस में कराडिघी में संचालित शारदा शिशु तीर्थ स्कूल को तत्काल बंद करने का आदेश दिया था और विद्यालय संचालित करने वाले शारद सेवा ट्रस्ट पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था । डीआई ने अपने आदेश के जो आधार बताये थे, उसमें मुख्यतः यह उल्लेख था कि विद्यालय पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध नहीं है | नोटिस में आरोप लगाया गया था कि विद्यालय में आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ मसलन लाइब्रेरी और खेल का मैदान नहीं है।

इसे "सनकी फैसले" बताते हुए, याचिकाकर्ता के वकील लोकनाथ चटर्जी ने अदालत से कहा कि विद्यालय को बंद करने का राज्य का निर्णय मुक्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है। चटर्जी ने इसे शासक दल का राजनीतिक कदम निरूपित किया ।"

ममता बनर्जी सरकार ने तीन निजी ट्रस्टों - शारदा शिशु तीर्थ, सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या विकास परिषद द्वारा संचालित 125 स्कूलों को आरएसएस सहयोगी संगठनों के करीबी बताकर बंद करने की घोषणा की थी । इन सभी विद्यालयों का केंद्रीकृत मुख्यालय विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान लखनऊ है । इन विद्यालयों द्वारा बंगाल में 350 से अधिक स्कूलों का संचालन किया जाता है, तथा इनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 60,000 से अधिक है।

राज्य शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इन 350 स्कूलों में से 125 स्कूलों को बंद करने का एलान किया था | राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि इनमें से ज्यादातर विद्यालय विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करते हैं। "वे ज्यादातर दूरदराज के स्थानों में 60,000 से ज्यादा बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करते हैं, जहाँ सरकारी विद्यालय केवल नाम मात्र को हैं | इतना ही नहीं तो ये विद्यालय 1 9 75 से बंगाल में चल रहे हैं | सिलीगुड़ी में पहला शारदा शिशु तीर्थ स्थापित किया गया था। इन विद्यालयों में छात्रों के शारीरिक, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करने का प्रयत्न होता है, साथ ही राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम का भी पालन किया जाता हैं। किन्तु तृणमूल सरकार को हर जगह राजनीति ही दिखाई देती है । लेकिन देश में क़ानून का राज्य है, अगर वे कुछ भी गैरकानूनी करेंगे तो हम भी जूझने के लिए तैयार हैं, "घोष ने सरकार के फैसले के बाद कहा।

याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरीजीत बॅनर्जी ने बोर्ड और सरकार को जुलाई के मध्य में मामले की सुनवाई करने से पहले हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

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