भारत की राजनीति – सुबह विरोध और शाम को दोस्ती |



कुछ वर्षों पूर्व मैंने राजनीति को लेकर कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं –

जिसमें जहर हो भरपूर
वही आये इस बिल में हुजूर
प्रवेश के पहले विष परीक्षा जरूरी है
राजनीति इसके बिना अधूरी है
यदि करते सज्जन शक्ति की बातें आप
या तो हैं मूर्ख या फिर दोमुंहे सांप

नया इण्डिया समाचार पत्र में रिपोर्टर डायरी पढ़ते समय मुझे बेसाख्ता उक्त पंक्तियाँ स्मरण हो आईं | श्री विवेक सक्सेना ने अपने आलेख के लिए जो किरदार चुना, वह है अदनान खशोगी, एक अंतरराष्ट्रीय हथियार दलाल । लेकिन खगोशी की आड़ में विवेक जी ने भारतीय राजनीति की जमकर बखिया उधेड़ी | जुलाई 1935 में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर में जन्मे इस दलाल का 81 वर्ष की आयु में विगत 6 जून को निधन हो गया | 

कभी दुनिया के सबसे अमीर आदमी होने का खिताब हासिल करने वाले हथियारों के अंतरराष्ट्रीय दलाल अदनान खशोगी की दो पूर्व प्रधानमंत्रियों चंद्रशेखर व पीवी नरसिंहराव के साथ नजदीकी मानी जाती है । कहा जाता है कि वे बाबरी मस्जिद विवाद का हल निकालने में बहुत अहम भूमिका अदा करना चाहते थे ।

क्या थी वह भूमिका ?

जब देश में चंद्रशेखर की सरकार आई तो राजनैतिक तांत्रिक चंद्रास्वामी ने अदनान खशोगी को भारत आमंत्रित किया | खगोशी अपने निजी जहाज से अपने बेटों मोहम्मद और उमर के साथ फरवरी 1991 में भारत आया और पालम से सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भौंडसी आश्रम गया। भौंडसी आश्रम में कैलाश नाथ अग्रवाल उर्फ मामाजी, चंद्रशेखर के निजी सचिव सीबी गौतम और भाजपा के डा जेके जैन ने उसका स्वागत किया। शाम को जेके जैने ने अपने घर पर उसके सम्मान में दावत दी। जिसमें चंद्रशेखर, नानाजी देशमुख, सुब्रह्मण्यम स्वामी, जयंत मल्होत्रा, फारूख अब्दुल्ला, ओम प्रकाश चौटाला, विष्णु हरि डालमिया सरीखी हस्तियां शामिल हुई।

इस दावत से भाजपा की बदनामी हुई और पार्टी ने डा जैन को राष्ट्रीय कार्यकारणी से हटा दिया। उस समय बाबरी ढांचा नहीं ढहाया गया था । चंद्रशेखर रामजन्मभूमि विवाद का समाधान निकालना चाहते थे। हथियारों के इस अंतर्राष्ट्रीय दलाल अदनान खशोगी ने आश्वासन दिया था कि वह सऊदी अरब से फतवा जारी करके बाबरी मस्जिद को वहां से हटवा देगा। जेहद्दा में पहले भी ऐसे किया जा चुका है। हालांकि जामा मस्जिद के तत्कालीन नायम इमाम अहमद बुखारी ने कहा था कि हम लोग सऊदी अरब का फतवा मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे।

खगोशी नेकनाम या बदनाम ?

अरब देशों के राज परिवारों व लोगों से लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति तक के करीबी लोग खगोशी के मेहमान बनते थे। उनके पास दुनिया की सबसे लंबी निजी पोत थी जिसे जेम्स बांड की फिल्म की शूटिंग के लिए इस्तेमाल किया था उसका नाम नबीला था जोकि उन्होंने अपनी बेटी के नाम पर रखा था।

बाद में उन्होंने इसे ब्रुनेई के सुल्तान को बेच दिया व उसने इसे अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बेचा। ट्रंप ने इसे सऊदी अरब के राजकुमार अल वहीद बिन तलाल को बेच दिया। इस दलाल खगोशी ने अरबों रुपए कमाएं और दुनिया भर में अपनी संपत्ति बनाई। एक समय था जब कि वह हर रोज ढाई लाख डालर खुद पर खर्च किया करता था। उसने दो शादियां की। उसकी पहली पत्नी आजकल लंदन में फूल बेच रही है।

1975 तक इस दलाल ने अरबों कमाए और दुनिया का सबसे अमीर आदमी होने की हैसियत हासिल की। फिर यह खुलासा हुआ कि वह तो इस धंधे में गैर-कानूनी काम कर रहा था। सबसे बड़ा मामला ईरान का कांट्रा सौदा था जिसमें बंधकों की रिहाई के बदले कांट्रा विद्रोहियों के अमेरिका के सीआरए ने उसके जरिए पैसा व हथियार पहुंचाए थे। उसके बाद इसे स्विट्जरलैंड से गिरफ्तार करके अमेरिका लाया गया। उस पर फिलीपींस के निर्वासित राष्ट्रपति फर्दिनंद मार्कोस की पत्नी इमेल्डा मार्कोस के साथ मिलकर अरबों की हेरा-फेरी करने के आरोप लगे। पर चूंकि वो सीआरए के लिए काम करता आया था अतः उस पर हल्के आरोप लगाकर बरी कर दिया गया। उसकी दो पत्नियां व 11 उप पत्नियां थी। वह बेहद अय्याश था। और तमाम औरतों के साथ उसके संबंध थे। इनमें से एक भारतीय मॉडल पामेला बोर्डेस को उस तक चंद्रास्वामी ने पहुंचाया था। हरियाणा में जन्मी यह महिला अंतर्राष्ट्रीय स्तर की काल गर्ल थी जिसने अमेरिका और ब्रिटेन के बड़े नेताओं से अपने संबंध होने का खुलासा करके वहां की राजनीति में भूचाल ला दिया था।

खगोशी का कहना था कि पैसा सबकुछ नहीं होता है पर उसके जरिए दुनिया में सबकुछ हासिल किया जा सकता है। अब भारत की राजनीति को देखिये कि खशोगी जब भारत आया तब कांग्रेंस ने उसकी यात्रा का जमकर विरोध किया। केके तिवारी व सीताराम केसरी ने चंद्रशेखर के साथ उसकी इस मुलाकात की कड़ी आलोचना की। मगर शाम होते-होते सबकुछ बदल गया। शाम को अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में तत्कालीन पार्टी प्रवक्ता वीएन गाडगिल ने बताया कि अदनान खशोगी राजीव गांधी से मिलने आए थे और उन्होंने रोमेश भंडारी के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी लंबी बातचीत की।

तो यह है भारत की राजनीति – सुबह विरोध और शाम को दोस्ती |

साभार आधार - नया इण्डिया - रिपोर्टर डायरी 

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