गौ संरक्षण मुद्दे पर गुजरात की अभिनव कार्य योजना !


अभी तक एशियाटिक शेर ही गुजरात में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहते रहे हैं, किन्तु आपको हैरत होगी कि अब आने वाले दिनों में राज्य में गौ पर्यटन प्रारम्भ होने जा रहा है । गौवंश के पालन-पोषण को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए राज्य के गौसेवा आयोग द्वारा यह अभिनव योजना प्रारम्भ की जा रही है ।

गाय पालन में रूचि रखने वाले लोगों को दूध के अतिरिक्त गोबर और गौमूत्र का व्यावसायिक उपयोग करने के बारे में जानकारी देने के लिए, गायों को आश्रय देने के लिए विशेष रूप से निर्मित 'गौचर' (चराई जमीन) की दो दिवसीय यात्रा पर ले जाया जाता है। 

विषय की जानकारी देते हुए गौसेवा आयोग के अध्यक्ष वल्लभ काथिरिया ने कहा कि "गौ पर्यटन लोगों को गौ पालन के आर्थिक लाभों को समझाने की दिशा में एक कदम है। अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है कि जैव गैस के अतिरिक्त गोबर और गौ मूत्र का उपयोग कर दवाइयां बनाई जा सकती हैं, और पर्याप्त लाभ अर्जित किया जा सकता हैं। गौ पर्यटन, गाय के साथ जुड़े आर्थिक पहलू और धार्मिक महत्व का संयोजन है।"

गोमूत्र में कई औषधीय और निस्संक्रामक गुण हैं | गौमूत्र के आसवन से प्राप्त द्रव का उपयोग कार्बनिक फ़िनाईल और साबुन बनाने में भी किया जाता है, जबकि गोबर से जैव-गैस, उर्वरक और धूप बत्ती का निर्माण होता है। इस परियोजना के अंतर्गत दो दिवसीय पर्यटन में, अनुत्पादक (दूध न देने वाले) गौवंश से भी गोबर और गौमूत्र-आधारित उत्पादों के माध्यम से लाभार्जन का प्रशिक्षण दिया जाता है ।

उन्होंने कहा कि यद्यपि इस परियोजना को प्रारम्भ हुए अभी बहुत थोडा समय ही हुआ है, किन्तु यह पर्याप्त लोकप्रिय हो गया है | हमने पूरे राज्य में ऐसी कई यात्रायें आयोजित की है, जिसमें गौ आश्रय व चराई भूमि के यात्रा कार्यक्रम शामिल हैं। जहां तक ​​गौचर का प्रश्न है, उनमें आनंद के पास का गांव धर्मज सर्वाधिक लोकप्रिय है |

"गौचर भूमि तैयार करना भी एक कला है और धर्मशाला में ऐसी ही आदर्श चराई भूमि तैयार की गई है, जहाँ से ऐसे लोग जो गौसेवा में रूचि रखते हैं, प्रेरणा लेकर और सीखकर अपने गांव में उन्हें लागू करते हैं।

यहाँ से देखकर और लौटकर कई पर्यटकों ने गौ पालन प्रारम्भ कर दिया है और इसमें होने वाले आर्थिक लाभ को जानकर गौशालाओं का निर्माण किया है। निश्चय ही इस योजना से पवित्र गौ माता के संरक्षण और संवर्धन में मदद मिलेगी । "

राज्य सरकार ने पिछले वर्ष गुजरात में गौ संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए गौ हत्या के खिलाफ एक सख्त कानून पारित किया था, जिसमें गौहत्या करने वालों को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है । गौ पर्यटन के अतिरिक्त, आयोग द्वारा गौ पालन को प्रोत्साहित करने के लिए कई अन्य कार्य भी किये जा रहे हैं । आयोग ने विभिन्न जेलों और शैक्षिक संस्थानों के साथ संपर्क कर उन्हें भी अपने परिसर में गाय आश्रय केंद्र प्रारम्भ करने का परामर्श दिया है।

"वर्तमान में, अहमदाबाद, राजकोट और भुज की जेलों में गौ आश्रय केंद्र स्थापित हैं। निकट भविष्य में गोंडल और अमरेली जेलों में भी ऐसी ही गौशालाएं प्रारम्भ होने की संभावना है । कथिरिया ने कहा कि कई कॉलेजों और यहां तक ​​कि विश्वविद्यालयों ने भी अपने परिसर में गौ आश्रय शुरू करने की इच्छा व्यक्त की है।"

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