कब बुझेगी शिवपुरी के प्यासे कंठों की प्यास ? अब तो सिंध योजना भी उलझ गई कानूनी भंवर में !


छः मई 2018 को मैंने लिखा था कि स्पष्टतः शिवपुरी की सिंध जल आवर्धन योजना भ्रष्टाचार की गर्त में दफ़न हो गई है और अब केवल भ्रष्टों को बचाने का नाटक किया जा रहा है | राजनेता भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करने के स्थान पर केवल एजेंसी के मत्थे दोष मढ़ने पर उतारू हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि एजेंसी का कोर्ट में कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है | इसलिए शिवपुरी की जागरूक जनता लम्बे समय से मांग करती आ रही है कि कमीशन खोर भ्रष्ट अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों पर कठोर कार्यवाही अविलम्ब की जाए |

दुष्यंत कुमार की एक गजल है –

मैं बहुत कुछ सोचता, कह नहीं सकता मगर,
बोलना भी है मना, सच बोलना तो दरकिनार।
इस सिरे से उस सिरे तक सब सरीके जुर्म हैं,
आदमी या तो जमानत पर रिहा है या फरार।

व्यक्तिगत चर्चा में शिवपुरी के हर राजनैतिक दल का हर नेता यह स्वीकार करता है कि शिवपुरी की विकराल जल समस्या के लिए सिंध जलाबर्धन योजना का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है | कल दोशियान कम्पनी की पत्रकार वार्ता से यह स्पष्ट हुआ कि अब यह योजना कानूनी जंजाल में उलझ रही है | अब शिवपुरी को पानी कब मिलेगा, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता | शिवपुरी भले ही बूँद बूँद पानी को तरसे, किन्तु इस योजना में जो भ्रष्टाचार का सैलाब है, उसमें राजनेता, नौकरशाह और कार्यकारी एजेंसी दोशियान सब पार्टनर हैं | जनधन पर डाका डालने वालों पर जब तक कठोर कार्यवाही नहीं होगी, तब तक नातो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाना संभव होगा और ना ही जन समस्याओं का निदान संभव होगा |

प्रस्तुत है इस महत्वपूर्ण विषय पर यह विस्तृत रिपोर्ट -



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