कांग्रेस – शिवभक्त या कुर्सी भक्त ?

मंदिर में नमाज़ मुद्रा और मस्जिद में हाथ जोड़कर प्रार्थना 

सोशल मीडिया पर कल एक विडियो वायरल हुआ, जिसमें मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं से यह कहते नजर आ रहे हैं कि – देखो ख़्वाब देखते रह जाओगे, अगर काम नहीं किया तो | और मेरा काम केवल एक – कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं, मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कटते हैं, इसलिए जाता नहीं हूँ मैं | 

विडियो में यह कहते समय जो मुखमुद्रा दिग्विजय सिंह जी की दिखाई देती है, वह बहुत कुछ बयान कर देती है | स्क्रीन पर जो चित्र आप देख रहे हैं, यह कहते समय की उनकी बेचारगी वाली आकृति है | आपको याद होगा कि कुछ समय पूर्व जब भोपाल के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में ज्योतिरादित्य जी की पत्रकार वार्ता चल रही थी, तब दिग्विजय सिंह जी के लिए कार्यालय के दरवाजे भी नहीं खुले थे | उनके समर्थक अन्दर बैठे लोगों को फोन लगाते रहे, किन्तु दरवाजे नहीं खुलने थे तो नहीं खुले | और राजा साहब यह गुनगुनाते हुए वापस लौटे – बड़े बेआअबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले | 

राजा साहब दिग्विजय सिंह जी का यह ताजा बयान भी उनकी कुंठा और बेचारगी को ही दर्शाता है | बहुत संभव है कि किसी बड़े नेता ने उनसे यही कह भी दिया हो तो कोई हैरानी की बात नहीं है | दिग्गी राजा की कल हुए राहुल गांधी के ग्वालियर कार्यक्रम में अनुपस्थिति भी बहुत कुछ कह रही है | 

अब सवाल यह है कि ज्योतिरादित्य जी और कमलनाथ जी की प्रतिद्वंदिता, ग्वालियर में राहुल गांधी का मुख्यमंत्री के लिए किसी का भी नाम न लेना व दिग्विजय जी ये अंदाज – कांग्रेस अगर इसके बाद भी सरकार बनाने के ख़्वाब देखे तो दिग्गी राजा के ही शब्दों में – ख़्वाब देखते ही रह जाओगे | 

और फिर मरहूम कश्मीरी बाला सुनंदा की संदिग्ध मौत के चक्कर में संदिग्ध बने उनके पतिदेव केरल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने अच्छे हिन्दू और बुरे हिन्दू का विवाद खड़ा कर दिया | थरूर साहब ने फरमाया कि अयोध्या में कोई अच्छा हिन्दू किसी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनाना पसंद नहीं करेगा | दिग्विजय चुप भी रहेंगे तो उससे क्या अंतर पड़ता है, अनेक उनके भी बड़े भापा जी कांग्रेस में विद्यमान हैं, जो उनकी कमी पूरी करते रहेंगे | गुजरात चुनाव के समय मणिशंकर अय्यर का पाकिस्तान प्रेम उफान मार गया था, तो इस बार शशि थरूर का अयोध्या बयान सामने आ गया | 

कांग्रेस अपने मूल चरित्र को कहाँ ले जायेगी, जो विगत 20-30 वर्षों में बन गया है | वे चाहे जितने मंदिरों की शरण ले लें, सॉफ्ट हिंदुत्व की बात कर लें, राम को नकार कर शिव का जाप कर लें, किन्तु शशि थरूर, कपिल सिब्बल उनकी हवा निकालते रहेंगे, हिंदुत्व द्रोही होने की गवाही देते रहेंगे | 

शशि थरूर के बयान पर सोशल मीडिया पर आईं प्रतिक्रियाएं ध्यान देने योग्य हैं – 

1 चोर चोरी करे, तो क्या उससे सामान वापस नहीं लेना चाहिए ? चालीस हजार हिन्दू मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनी, अगर रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाने की मांग करने से तुम मुझे बुरा हिन्दू कहते हो तो कहते रहो | शशि थरूर तुम और तुम्हारे साथी हिंदुत्व को उसके दुश्मनों को बेचने की साजिश रच रहे हैं, इस देश की 80 प्रतिशत जनता यह होने नहीं देगी | 

क्या शशि थरूर इसी आधार पर मुसलमानों से यह कहने की हिम्मत करेंगे कि वे उन मस्जिदों में नमाज न पढ़ें, जो हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई हैं | 

क्या राहुल ने शशि थरूर को हिन्दुओं में से अच्छे हिन्दुओं और बुरे हिन्दुओं की पहचान करने की जिम्मेदारी सोंपी है ? 

क्या शशि थरूर के बयान का यह अर्थ नहीं निकलता कि जो भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण चाहते हैं, वे बुरे हिन्दू हैं ? 

संघ प्रचारक इन्द्रेश कुमार जी ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है – 

शशि थरूर एक मेंटल केस बन गए हैं | उसे यह मालूम नहीं कि उस स्थान पर बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की थी | उसको यह भी मालूम नहीं है कि इस्लाम में किसी मस्जिद का नाम किसी बादशाह के नाम पर नहीं रखा जाता | उसे यह भी नहीं मालूम कि इस्लाम किसी अन्य की इबादतगाह को तोड़कर मस्जिद बनाने को पाप मानता है, कसूर मानता है, अपराध मानता है | बाबर ने इस्लाम की धज्जियां उड़ाईं | शशि थरूर उस विदेशी आक्रान्ता का समर्थन कर रहे हैं, जिसने इस्लाम का भी अपमान किया | इसी के साथ साथ शशि थरूर ने यह बता दिया कि कांग्रेस न प्रजातांत्रिक है, न धर्मनिरपेक्ष है, न मोरल वेल्यू में ज्यादा भरोसा करती है | वो तानाशाह है | 47 में भारत के टुकडे कराये, 75 में प्रजातंत्र की हत्या करने का प्रयत्न किया | कांग्रेस को तुरंत शशि थरूर पर कार्यवाही करके देश से माफी मांगना चाहिए | ऐसे केंसर देश की जनता ने रिजेक्ट कर दिए हैं | 

तो कुल मिलाकर कांग्रेस चाहे जितने मुखौटे लगा ले, पहले मुस्लिम परस्ती, और अब तथाकथित उदार हिन्दूत्व का ढोंग, वे केवल और केवल कुर्सी भक्त हैं | यही सचाई गाहे बगाहे सामने आ ही जाती है |

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