क्या शिवपुरी को कोई नादान जनप्रतिनिधि चाहिए ?


धनवान परिवार में जन्म लेकर जरूरी नहीं कि कोई बौद्धिक क्षमता भी पा जाए | बड़ी बड़ी डिग्रियां लेकर जरूरी नहीं कि किसी व्यक्ति को शासन प्रशासन की समझ भी विकसित हो जाए |

जब कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक उत्तरदायित्व के लिए आगे आता है, तब देखा जाना चाहिए कि उसका सामान्य ज्ञान, बौद्धिक क्षमता और सबसे बढ़कर देश और उसके विधान के प्रति उसके मन में सम्मान का भाव कितना है !

कांग्रेस प्रत्यासी श्री सिद्धार्थ लढा ने 16 नवम्बर 2013 को एक फेसबुक पोस्ट डाली थी – भारत रत्न को सचिन मिला ---- जय हो !


क्या अर्थ हुआ इस पोस्ट का ?

या तो लिखने वाले महोदय को हिन्दी ही नहीं आती या फिर वे जानबूझकर देश के सर्वोच्च पुरष्कार “भारत रत्न” का अपमान कर रहे हैं |

सचिन को भारत रत्न मिला या भारत रत्न को सचिन मिला |

यदि शिवपुरी का जन प्रतिनिधि बनने का स्वप्न संजोने वाले वन्धु अपनी मातृभाषा हिन्दी भी नहीं जानते तो वे विधानसभा में शिवपुरी की जनसमस्याएं कैसे उठाएंगे ?

इसके विपरीत अगर उन्होंने जानबूझकर सचिन को भारत रत्न से बड़ा सिद्ध करने का प्रयत्न किया है, तो यह तो भारत के उन सपूतों का अपमान है, जिन्हें सचिन के पूर्व भारत रत्न पुरष्कार प्राप्त हुआ |

जरा विचार कीजिए कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, गोविन्द वल्लभ पन्त, सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, पंडित मदन मोहन मालवीय, श्रीमती इंदिरा गांधी, बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर, राजीव गांधी, मोरारजी देसाई, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेई जैसे भारत रत्नों से भी बड़े हैं सचिन ?

ये तो मैंने केवल कुछ राजनेताओं के ही नाम दिए हैं, खेल, संगीत और कला के क्षेत्र में भारत रत्न पुरष्कार पाने वालों की सूची में तो 45 भारत रत्न हैं |

सचिन देश के सपूत हैं, देश के रत्न हैं, किन्तु अगर कोई उन्हें भारत के सर्वोच्च पुरष्कार से बड़ा सिद्ध करने का प्रयत्न करे, तो यह विशुद्ध नादानी है |

कहावत है नादान की दोस्ती – जी का जंजाल !

और शिवपुरी को समस्या मुक्त कोई नादान तो नहीं ही कर सकता |

शिवपुरी के विकास हेतु आवश्यक है- बुद्धिमत्तापूर्ण दृढ संकल्प, अनुभव और शासन सूत्र पर पकड़ |

इस कसौटी पर ही जांचें, परखें और फिर खरे सोने को चुनें !

बैसे ज्योतिरादित्य जी की इंसान पहचानने की क्षमता कैसी है, यह भिंड के कटारे जी अच्छी प्रकार बता चुके हैं | उन्हें केवल अनुयाई चाहिए, कोई बुद्धिमान कभी भाता नहीं |

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