बुलंदशहर काण्ड - साजिशों का कच्चा चिट्ठा !


बुलंदशहर कांड में मीडिया जानबूझकर कुछ बातों को नजर अंदाज कर रहा है | मसलन 1,2,3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुआ सुन्नी मुसलमानों का आलमी इज्तिमा, जिसमें दुनियाभर से लगभग दस लाख मुसलमान इकट्ठे हुए थे | इससे पहले कि बुलंदशहर कांड की चर्चा की जाए, सुन्नी इस्लामी धर्म प्रचार आन्दोलन - तबलीगी जमाअत को जानना जरूरी है, जिसकी भारत में शुरूआत 1927 में हुई | यह वह दौर था, जब आर्य समाज का घर वापसी आन्दोलन जोर पकड़ रहा था | दूरदराज के गाँव और देहात में रहने वाले मुसलमान तेजी से वापस अपने मूल हिन्दू धर्म में लौटने लगे थे | इससे चिंतित मुस्लिम धर्मगुरू मुहम्मद इलियास अल कान्धलवी ने यह आन्दोलन प्रारम्भ किया | इसके अंतर्गत तबलीगी जमातें तीन दिन से चार महीने तक अलग अलग गाँवों. कस्बों और शहरों में इकट्ठे होकर उस इलाके में इस्लाम की बुनियादी शिक्षा देती हैं और इस्लाम का प्रचार प्रसार करती हैं | 

बुलंदशहर के दरियापुर गाँव में भी इसी प्रकार का तीन दिवसीय इज्तिमा आयोजित किया गया था, जिसमें देश भर से आये भारतीय मुसलमानों के अतिरिक्त खाड़ी के देशों और पाकिस्तान, बंगलादेश से भी बड़े पैमाने पर मुस्लिम एकत्रित हुए थे | विगत रविवार को हालात यह थे कि बुलंदशहर देल्ही मार्ग पूरी तरह भारी ट्रेफिक की बजह से जगह जगह अवरुद्ध हो गया था | बुलंदशहर से गुजरने वाली सभी ट्रेनों को चाहे उनका हाल्ट हो या नहीं, दस मिनिट के लिए वहां रोका जा रहा था | उन ट्रेनों में रिजर्वेशन करा कर यात्रा कर रहे यात्री परेशान थे, क्योंकि उनके रिजर्वेशन का कोई मतलब ही नहीं था | हर डिब्बा पूरी तरह पेक था | 

हिन्दू समाज हमेशा से ही सहिष्णु रहा है | इसका जीता जागता सबूत यह है कि जब इज्तिमा में शामिल होने जा रहे मुसलमान जाम में फंस गए, तो जौनपुर के ग्रामीणों ने प्राचीन शिवमंदिर परिसर में उनके लिए जोहर की नमाज अदा करने की व्यवस्था की | इतना ही नहीं तो नमाज के बाद सभी के लिए जलपान की व्यवस्था भी की गई | 

इस इज्तिमा में लगभग दो हजार जोड़ों का विवाह भी संपन्न हुआ | स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि इज्तिमा में आये विदेशी मुसलमानों तथा विवाह समारोहों में शामिल लोगों को गौमांस खिलाने के लिए ही बड़ी संख्या में गायें काटी गईं, जिनके अवशेष देखकर ग्रामवासी क्रोधित और उग्र हुए | इस विषय पर केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का बयान ध्यान देने योग्य है | 

उमा भारती ने कहा कि इज्तिमा के कार्यक्रम में दस से पंद्रह लाख लोग जुटे, तथा इसके लिए 6 से 7 किलोमीटर के दायरे में टेंट लगाया गया | पूरे कार्यक्रम से मीडिया को दूर रखा गया | पूरी तरह गोपनीय और संदिग्ध माहौल में यह आयोजन हुआ | 

इज्तिमा के बाद समाचार पत्र “अमर उजाला” ने जो समाचार प्रकाशित किया, उसका हेडिंग था - 2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम बदलने के लिए इज्तमा से निकली कई सौ जमातें | समाचार पत्र ने आगे लिखा है कि सोमवार को यह इज्तमा समाप्त हो रहा है। इसके बाद देश भर के लिए यहां से लगभग दो हजार जमातें रवाना होंगी। एक जमात में दस या इससे ज्यादा सदस्य भी हो सकते है। दरअसल ये जमातें पूरे देश में घूमकर दीन का प्रचार तो करेंगे ही लेकिन इस बार निशाना लोकसभा चुनाव भी होगा। जो जमातें चार माह के लिए रवाना होंगी, जब उनके लौटने का समय आएगा तो चुनावी दुदुंभि बज चुकी होगी। पूरे देश में चुनावी माहौल होगा। 

ध्यान देने योग्य बात है कि आयोजकों ने महज 2. दो लाख की संख्या की प्रशासन से अनुमति ली थी, किन्तु 15 लाख लोगों का एकत्रीकरण हुआ | साथ ही इज्तिमा में पाकिस्तान के कट्टरपंथी भी सम्मिलित हुए | शायद इसीलिए कार्यक्रम से मीडिया को पूरी तरह दूर रखा गया | इतना ही नहीं तो इज्तिमा से चार-पांच दिन पूर्व एक आई एस आई एजेंट भी पकड़ा गया | 

जब खेत से हाल ही में काटी गई गायों के अवशेष प्राप्त हुए तो आक्रोशित गांव वालों ने पहले प्रशासन से लिखित शिकायत की एवं हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए | धरने पर बैठे लोगों में से किसीके भी पास हथियार नहीं थे | तो सवाल उठता है कि आखिर पुलिस अधिकारी एवं युवक को गोली किसने मारी? क्या यह नहीं हो सकता कि यह योगी सरकार को बदनाम करने का कोई विदेशी षड्यंत्र हो ? हिंदुओं, हिंदू संगठनों, गौ रक्षकों एवं बीजेपी को बदनाम करने और गुंडा कहने की कोई पूर्व निर्धारित योजना के अंतर्गत ही यह सारा तानाबाना बुना गया हो ? 

यूपी के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने भी घटना में सुविचारित षडयंत्र का संदेह जताया है | उन्होंने कहा कि वहां जो कुछ हुआ, वह सिर्फ लॉ एंड आर्डर का मसला नहीं था, बल्कि षडयंत्र था | वहां पर गायें कैसे पहुँचीं ? उन्हें कौन लाया और किसने काटा ? एक ही जगह पर इतना गौमांस कैसे आया ? इस घटना को छः दिसंबर के पहले अंजाम दिया गया, इससे साजिश की बू आ रही है | 

स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बुलंदशहर की हिंसा को एक गहरी साजिश का हिस्सा करार दिया है | मुख्यमंत्री ने आला पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि बुलंदशहर में गोकशी कब से चल रही थी ? यह सब कुछ अचानक तो हुआ नहीं होगा ? उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि 19 मार्च 2017 से जब सभी अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए, तो यह अवैध कार्य कैसे हो रहा है ? इस घटना के मद्देनजर योगी ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिए हैं कि जिन जिलों में इस तरह के अवैध काम पाए जायेंगे, वहां के अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे | उन्होंने गोकशी हर हाल में रोकने के निर्देश दिए | 

दो दिन से जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट में भी साजिश की बात सामने आई है | गौवंश काटने को लेकर किसी भुल्लन का नाम लिया जा रहा है | रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि घटनास्थल से पांच सौ मीटर दूर छः नकाबपोश युवक देखे गए | इस बात की भी जाँच की जा रही है कि छः दिसंबर के पूर्व किसके इशारे पर इतनी गायों को एक साथ काटकर उपद्रव भड़काने की साजिश रची गई |इसके पीछे कोई व्यक्ति है या कोई संगठन |

निश्चय ही हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता | किन्तु हर जागरुक भारतीय को मूल मुद्दा भी ध्यान में रखना चाहिए | यह घटना अगर पूर्व नियोजित साजिश थी तो इसकी जड़ तक जाना चाहिए | हिंसा की आड़ में हिंसा के मूल कारण “अवैध गौवध” को भी नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए |
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