न्यूज़ 18 पर दिग्विजय सिंह जी का साक्षात्कार बनाम शिवराज सिंह जी - हरिहर शर्मा

कल न्यूज़ 18 पर दिग्विजय जी को सुन रहा था | उनके बयान में भले ही झूठ ही झूठ था, किन्तु केवल एक बात सच्ची थी !

तो पहले झूठ की चर्चा करते हैं -

उन्होंने स्वयं को गांधीवादी, प्रजातांत्रिक और अहिंसक बताया | वे कितने अहिंसक और प्रजातांत्रिक हैं, यह उनके मुख्यमंत्री रहते अनुज लक्षमण सिंह जी और कैलाश जोशी जी के चुनाव में हम लोग प्रत्यक्ष देख चुके थे, जब भाजपा के पोलिंग एजेंटों को पोलिंग बूथों से किडनेप कर मारा पीटा गया, उन्हें बाँधकर खलिहानों और सूखे कुओं में पटक दिया गया | इतना ही नहीं तो पुलिस ने इन लोगों की रिपोर्ट भी नहीं लिखी | मजबूरन कैलाश जी को राघोगढ़ किले के सामने भूख हड़ताल करनी पडी |

दूसरा झूठ -

उन्होंने समूची आरएसएस को आर्यसमाजी घोषित करते हुए, सनातनी और आर्यसमाजी को प्रथक प्रथक बताया | गोया आर्यसमाजी तो उनकी नजर में हिन्दू हैं ही नहीं | गुरू गोलवलकर जो कि संन्यास की दीक्षा ले चुके थे, वे क्या थे श्रीमान दिग्विजय सिंह जी ?

अब सचाई की बात -

उन्होंने सहज स्वीकारा कि वे गर्दिश में हैं | यह भी स्पष्ट हुआ कि उन्होंने कांग्रेस की 2003 में हुई पराजय के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानते हुए प्रायश्चित स्वरुप दस वर्ष स्वयं को चुनावी राजनीति से प्रथक रखा | इतना ही नहीं तो खुले मन से यह भी माना कि कांग्रेस नेतृत्व भी उन्हें पचा नहीं पा रहा |

इसके बावजूद उनकी दलीय निष्ठा काबिले तारीफ है | नर्मदा यात्रा व इन चुनावों में उनकी परदे के पीछे की भूमिका ने कांग्रेस को लाभान्वित ही किया !

काश भाजपा में अपनी सारी उम्र खपाने के बाद भाजपा को ही आँखें दिखाने वाले सरताज सिंह, बाबा रामकृष्ण कुसुमारिया, बाबूलाल जी गौर जैसे उम्रदराज लोग उनसे कुछ सीख पाते ?

और सबसे अंत में शिवराज जी चौहान से एक सवाल ?

आपके गलत प्रत्यासी चयन और "माई के लाल" वाले बडबोले अहंकार पूर्ण बयान के कारण भाजपा की पराजय हुई, आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की संभावनाओं को धक्का लगा, जीतते तो सत्ता का सुख भोगते, तो पराजय का जिम्मेदार कौन ?

अगर जीतने पर श्रेय आपको मिलता, तो पराजय पर उसकी जिम्मेदारी लेने और पश्चाताप स्वरुप प्रायश्चित करने से क्यूं कोताही कर रहे हैं ?

निश्चय ही आप भाजपा के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं, किन्तु इससे क्या ? अपनी जिम्मेदारी स्वीकारते हुए दिग्विजय जी से कुछ तो प्रेरणा लीजिये | अब "मैं" की जगह "हम" बनने की दिशा में बढिए | भाजपा को जेबी पार्टी बनाने, अपने चहेतों को ही पार्टी मानने की जिद्द ने ही पराजित किया है, इसे समझ लीजिये | 

दिग्विजय जी ने सही कहा है कि आज की भाजपा - चने चबेने खाकर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की जनसंघ नहीं है | उस दौर के लोग अब घर बैठा दिए गए हैं | क्या अब आप विचार करेंगे ? आत्मावलोकन ही सच्चा पश्चाताप और प्रायश्चित होगा |

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें