आंध्र प्रदेश में प्रशासन दे रहा है धर्मांतरण को सहयोग !


दक्षिण भारत में विन्ध्याचल पर्वत और पवित्र गोदावरी नदी सदियों से हिंदुओं के लिए सर्वाधिक आस्था केंद्र रहे है। इनमें भी गोदावरी के तट पर बने पुष्कर घाट का सर्वाधिक महत्व माना जाता है, जहाँ डुबकी लगाकर हिन्दू अपना जीवन धन्य मानते हैं | प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार वहां एक विराट आयोजन “पुष्करम” भी होता है । लेकिन आज वह पवित्र स्थान भी पुलिस और प्रशासन के सहयोग से धर्मांतरण का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है और आंध्र प्रदेश में हिंदू सोच रहे हैं कि उन्हें हिंदू के रूप में रहने का अधिकार है भी या नहीं ? 

घाघ और कट्टर ईसाई धर्मप्रचारक हिंदुओं को धर्मान्तरित करने के लिए बपतिस्मा समारोहों का आयोजन पुष्कर घाटों पर ही कर रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में उनकी गतिविधियों में जबरदस्त वृद्धि हुई तो चिंतित हिंदुओं ने पिछले हफ्ते घाटों की पवित्रता को नुकसान पहुंचाये जाने को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई । इस मजबूत विरोध प्रदर्शन से नवंबर में घाटों पर होने वाली धर्मांतरण की गतिविधियों में अस्थायी रूप से कमी भी आई । 

लेकिन जैसा कि हमेशा होता है, धर्मांतरण का विरोध करने वाले हिन्दुओं को साम्प्रदायिक कहकर निंदा की जाने लगी और प्रशासनिक सहयोग से वही गतिविधियाँ पुनः प्रारम्भ हो गईं । अब हिंदू हैरत से पूछ रहे हैं कि क्या अपनी पवित्र नदी और उसके घाटों को अपमानित करने का विरोध करना वास्तव में गैरकानूनी है? प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नदियां न केवल पानी का स्रोत हैं बल्कि माता और देवता के रूप में मानी जाती हैं, और यह हमारी विरासत है। मानव जीवन में नदियों का जन्म से लेकर मृत्यु तक महत्व है। हिंदू परंपराओं के अनुसार, पुष्करम जैसे कई त्यौहार गोदावरी के तट पर आयोजित किए जाते हैं। हिंदुओं का मानना ​​है कि पुष्करम के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से वे पापों से मुक्त होते हैं । अतः पुष्कर घाट हिन्दुओं के लिए पवित्र आस्था केंद्र हैं ! अगर धर्मांतरण के लिए आज इनका उपयोग हो रहा है तो कल तो हिंदु मंदिरों में भी यही सब होने लगेगा | और मंदिर ही क्यों, हिन्दुओं को अपने घर खाली कर देने का भी फरमान जारी हो जाएगा और वे उस पर भी कोई आपत्ति नहीं कर पायेंगे । 

हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद पादरियों ने कुछ अधिकारियों की मदद लेकर घाटों पर अपनी गतिविधियाँ जारी रखने की कोशिश की। एक राजनीतिक दल के लोगों के दबाब में एमआरओ ने भी पवित्र घाटों में से एक को ईसाइयों के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव रखा, किन्तु हिंदु संगठनों के कार्यकर्ता इस झांसे में नहीं आये | इस पर ईसाईयों ने एससी वर्ग के लोगों को इकट्ठा किया और उनके चहेते सर्किल इन्स्पेक्टर ने हिंदू कार्यकर्ताओं को धमकी दी कि यदि वे ईसाइयों की गतिविधियों में बाधा डालते हैं तो उनके खिलाफ एससी / एसटी एक्ट के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किये जायेंगे । राजनीतिक दबाब में अधिकारी ईसाइयों के लिए एक घाट आबंटित करने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं । 

27 नवंबर को, राजमुंदरी के उप-कलेक्टर ने हिंदुओं और ईसाईयों के बीच समझौता करने के लिए एक बैठक बुलाई, जिसका हिंदुओं द्वारा बहिष्कार किया गया और कहा गया कि हिंदु अपनी आस्था से कोई समझौता नहीं करेंगे और इन घाटों का ईसाइ धर्मांतरण के लिए प्रयोग नहीं करने देंगे । 

कानूनी अधिकार संरक्षण फोरम के अध्यक्ष, एएस संतोष ने जिले के कलेक्टर से कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण माँगा है और घाटों के दुरुपयोग करने के प्रयासों का विरोध करते हुए एक याचिका भी दायर की है, जिसमें उठाये गए कुछ कानूनी बिंदु इस प्रकार हैं – 

 - शायद यह भारत में पहली बार है कि सरकार ने बपतिस्मा प्रक्रिया के लिए एक अलग घाट आवंटित करने का फैसला किया है जो धर्मांतरण समारोह का हिस्सा है 

 - इससे पहले हमें इन बड़े धर्मांतरण के वास्तविक कारणों को जानना चाहिए । जब दो व्यक्तियों को एक साथ भूख अनुभव नहीं होती, कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं सोचते, तो बड़े पैमाने पर लोग एक साथ धर्मांतरित कैसे हो रहे हैं? क्या सरकार ने कभी इसके पीछे की वास्तविकता खोजने की कोशिश की? 

 - क्या सरकार द्वारा अन्य धर्म में परिवर्तित होने वाले लोगों की विस्तृत जानकारी पता लगाने के लिए कोई तंत्र विकसित किया गया है? 

 - क्या सरकार उन पादरियों का ब्योरा रखती है जो धर्मांतरण के लिए पुष्कर घाटों में से एक घाट की मांग कर रहे हैं? वे किस चर्च का प्रतिनिधित्व करते हैं? 

 - क्या सरकार ने सत्यापित किया कि उनके चर्चों के पास धर्मान्तरण हेतु उचित अनुमतियां हैं या नहीं? 

 - उपरोक्त पादरियों द्वारा बुलाये गए कितने लोगों ने बपतिस्मा के लिए अलग घाट की मांग की हैं? क्या सरकार के पास उनका कोई रिकॉर्ड हैं? 

 - क्या उपर्युक्त पादरी ईसाई धर्म में अंतरित होने वाले लोगों को कोई प्रमाण पत्र दे रहे हैं, जिन्हें उन्होंने बुलाया था? क्या उन्होंने यह जानकारी सरकार के साथ साझा की है ? 

 - एससी श्रेणी से कितने लोग ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए हैं और बीसी-सी प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं ? क्या सरकारी अधिकारी इन मानदंडों का सही पालन कर रहे हैं? 

याचिका में कहा गया है कि हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में परिवर्तन सिर्फ धर्मांतरण का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय ईमानदारी, सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है। 

कानूनी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कलेक्टर या उप-कलेक्टर के पास ईसाइयों को पवित्र घाट आबंटित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। ये भी चिंताजनक है कि पादरी और उनके समर्थक इस मुद्दे को दलित और गैर-दलित में बदलकर एक घातक खेल खेलने और लोगों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि दलित भी इसे महसूस कर रहे हैं और ईसाई प्रचारकों के षड्यंत्र को को समझकर धर्मांतरण के लिए घाटों के अवैध उपयोग के विरोध में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं । 

साभार आधार – ओर्गेनाईजर (http://vsktelangana.org/administration-conniving-to-syphon-off-pushkar-ghats-for-conversions/)

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