दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय - भ्रष्टाचार का पर्याय बने हेराल्ड हाउस प्रकरण में राहुल सोनिया मंडली की एक बार फिर किरकिरी |



समाचार जगत में इस खबर का बड़ा हल्ला है कि हेराल्ड हाउस केस में कांग्रेस पार्टी को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है | प्रचारित किया जा रहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को 56 साल पुराने हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया है और अब कोर्ट के इस आदेश के बाद कांग्रेस पार्टी को 2 हफ़्ते में हेराल्ड हाउस खाली करना होगा, नहीं तो कार्रवाई होगी | 

मुझे मीडिया में यह समाचार देखते और पढ़ते, थोड़ी हैरत हो रही है, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस का हेराल्ड हाउस से कोई लेना देना है | आईये थोडा बिस्तार से देखते हैं – 

"नेहरू जी ने नेशनल हेराल्ड नामक अखबार 1930 में शुरू किया।धीरे धीरे इस अखबार ने देश भर में 5000 करोड़ की संपत्ति अर्जित कर ली। किन्तु सन् 2000 में यह अखबार घाटे में चला गया और इस पर 90 करोड़ का कर्जा हो गया।

नेशनल हेराल्ड संचालित करने वाली कम्पनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के डायरेक्टर सोनिया गांधी,राहुल गांधी और मोतीलाल वोरा ने इस अखबार को यंग इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी को बेचने का निर्णय लिया।

मज़े की बात यह कि ये ही तीनों यंग इंडिया के भी डायरेक्टर थे, एक चौथे डायरेक्टर ऑस्कर फेर्नाडेज़ को भी जोड़ लिया गया ।

इसके बाद एक और अनूठा प्रयोग हुआ - यंग इंडिया और नेशनल हेराल्ड की कम्पनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड में डील हुई कि यंग इंडिया 90 करोड़ के कर्ज़ को चुकाएगी और बदले में नेशनल हेराल्ड की 5000 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति यंग इंडिया को मिलेगी।

अब यहाँ एक और शानदार खेल हुआ कि 90 करोड़ का कर्ज़ चुकाने के लिए यंग इंडिया ने कांग्रेस पार्टी से 90 करोड़ का लोन माँगा।तो कांग्रेस पार्टी ने मीटिंग बुलाई जिसमे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी,उपाध्यक्ष राहुल गांधी,कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा और महासचिव आस्कर फर्नांडीज शामिल हुए।
और यह चारों ही यंग इंडिया के डायरेक्टर भी थे ।

स्वाभाविक ही कांग्रेस ने लोन देना स्वीकार कर लिया और इसको कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने दिया और यंग इंडिया के डायरेक्टर मोतीलाल वोरा ने ले लिया और आगे नेशनल हेराल्ड के डायरेक्टर मोतीलाल वोरा को दे दिया।

लेकिन पिक्चर अभी और बाक़ी है मेरे दोस्त - 

अब कांग्रेस ने एक मीटिंग और बुलाई जिसमें अध्यक्ष सोनिया, उपाध्यक्ष राहुल, महासचिव ऑस्कर और कोषाध्यक्ष वोरा साहब सम्मलित हुए।उन्होंने मिलकर यह तय किया कि नेशनल हेराल्ड ने आज़ादी की लड़ाई में बहुत सेवा की है इसलिए उसके ऊपर 90 करोड़ के कर्ज़ को माफ़ कर दिया जाए और इस तरह 90 करोड़ का छोटा सा कर्ज माफ़ कर दिया गया" ! 

अगर नेशनल हेराल्ड का लोन माफ़ किया तो उसकी संपत्ति न्यूइंडिया को क्यों और कैसे दी गई ? 

जय हो कांग्रेस्सियों की। एक में भी दम गुर्दा नहीं निकला, जो इस पर सवाल उठाये | 

और इस तरह महज पचास लाख रुपये की पूंजी से प्रारम्भ हुई न्यू इण्डिया कम्पनी के नाम से 5000 करोड़ की संपत्ति को हडप लिया गया, जिसमे एक 11 मंज़िल बिल्डिंग जो बहादुर शाह जफ़र मार्ग दिल्ली में और उस बिल्डिंग के कई हिस्सों को अब पासपोर्ट ऑफिस सहित कई ऑफिसेस को किराये पर दे दिया गया | 

केंद्र और भूमि विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) ने 2016 में 56 साल पुरानी लीज इसी आधार पर निरस्त कर दी कि चूंकि लीज समाचार पत्र प्रकाशित करने के लिए दी गई थी, जो कि हो ही नहीं रहा, अतः लीज निरस्त की जाती है | साथ ही बिल्डिंग खाली कराने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी | 

बचाव में इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई तथा आनन फानन में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन भी पुनः प्रारम्भ कर दिया गया | किन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी और आज दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला सामने आ गया, जिसमें एलएनडीओ के लीज रद्द करने के फैसले को रद्द करने से इंकार करते हुए हेराल्ड हाउस को भी खाली करने का आदेश दे दिया | 

यूंतो इस प्रकरण से कांग्रेस पार्टी का कोई लेनादेना नहीं है, किन्तु राहुल सोनिया को ही कांग्रेस मानने वालों को क्या कहें ? सारा मीडिया जगत इसे कांग्रेस पार्टी से जोड़कर ही प्रचारित प्रसारित कर रहा है | भ्रष्टाचार के इतने खुले खेल के बाद भी सोनिया और राहुल महज 50-50 हजार की ज़मानत पर जेल से बाहर हैं और देश के प्रधानमंत्री को चोर बताने की हिम्मत कर रहे हैं | अगर कांग्रेस में सच्चा प्रजातंत्र होता तो अब तक कांग्रेस पार्टी इन दोनों मां बेटों से मुक्ति पा लेती | अब सुधी पाठक बताएं कि यह समाचार इतने बिस्तार से क्या कोई मीडिया हाउस बता रहा है ? अगर नहीं तो क्यों ?
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