कमलनाथ ने जता दिया कि आपातकाल लगाकर प्रजातंत्र को रोंदने वाली कांग्रेस जरा भी नहीं बदली है!- रामभुवन सिंह कुशवाह




मुख्यमंत्री कमलनाथ का धन्यवाद किन शब्दों में दूं समझ में ही नहीं आता।उन्होंने लोकसभा के लिए महानिर्वाचन में जाते हुए देश को बता दिया कि हम वही कांग्रेस के बहादुर कार्यकर्ता हैं जिनकी महान नेत्री इंदिरा गांधी ने अपने सत्ता मोह में कायरों की तरह 25 जून 1975 की आधी रात को चुपचाप देश में इमरजेंसी कैसे लगाई थी? 

मध्य प्रदेश के अभी हाल ही निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो अपनी किशोर आयु में जेल यात्रा की दरम्यान उन निर्दोष लोगों को जेल में अपनी बर्बादी झेलते हुए तमाम गरीबों को दर्द को समझा और मुख्यमंत्री का दायित्व निभाया पर आप कौन सा दायित्व निभा रहे हैं जो अपनी ही पार्टी के सामने गड्ढे खोद रहे है? यह मैं एक पत्रकार के नाते नहीं स्वयं के कांग्रेसी परिवार का अभिन्न सदस्य होने के नाते पूंछ रहा हूँ।मेरे पिताजी कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष और बड़े भाई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और दूसरे बड़े भाई 89 वर्षीय श्री त्रिभुवन सिंह कुशवाह जो कभी जिला कांग्रेस कार्यालय में सचिव हुआ करते थे याद दिलाते हैं कि देश पर आपातकाल लगाना कांग्रेस की महान भूल थी उसी दिन से ही कांग्रेस का पराभव शुरू हुआ।

वे कहते हैं कि श्रीमती इंदिरा गांधी को जब उनका चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया तब कांग्रेस के अंदर उनके खिलाफ उन्हें हटाने के लिए जब मांग उठी तब उन्होंने उसे दबाने के लिए इमरजेंसी लगाई ,जयप्रकाश नारायण का आंदोलन तो एक बहाना था।वे बताते हैं कि उनके बड़े भाई स्व.चतुर सिंह ने कैसे स्व. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ के अध्यक्ष स्व.यशवंत सिंह कुशवाह को दुखी और आहत होते देखा है, जब स्वतंत्रता संग्राम का झूठा सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उन पर दबाव डाला जाता था।वे मजबूर थे और उन्हें अनेक घृणित अपराधों में सजायाप्ता लोगों को पेंशन दिलानी पड़ी ? उसकी तुलना में तो मीसावंदियों को सम्मान निधि बड़ी व्यवस्थिति तरीके से दी गई है।कांग्रेस कार्यकाल में तो उन लोगों को भी पेंशन दे दी गई जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ था।भाजपा ने तो कभी उन पर प्रश्नचिन्ह तक नहीं लगाया।फिर पता नहीं क्यों कमलनाथ ने अनावश्यक रूप से यह मुद्दा उठाया ? अरे !जांच करनी होती चुनाव बाद करवा लेते ,खत्म करना ही था तो खत्म कर देते पर बैठे बैठाए भाजपा को इतना बड़ा मुद्दा क्यों दे दिया ? 

भाजपा को तो राहुल गांधी के प्रति कोटि कोटि धन्यवाद देना चाहिए कि जिन्होंने इतना दूरदर्शी और समझदार प्रदेश को मुख्यमंत्री दे दिया जो तीन चार माह भी इंतजार नहीं कर सका और सत्ता सम्हालते ही उसने भाजपा की इतनी बड़ी सेवा कर दी ?

मैं भी यह मानता हूँ कि कुछ अपवाद हो सकते हैं कितनी भी कड़ाई क्यों न की जाए गलत लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा ही लेते हैं।यहां तो उल्टा हुआ है कांग्रेस के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपने बीच में काली भेड़ों को पकड़वाने में हिम्मत जुटा नहीं सके परन्तु लोकतंत्र सैनानी संगठन ने तो अपनी ओर से ऐसे छद्म लोगों की शिकायत की है और उस पोल खाते को अनुचित लाभ दिलाने के लिए दिग्विजय सिंह शासन काल में ही षड्यंत्रपूर्वक उन फाईलों को नष्ट किया गया इसकी जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्रीश्री शिवराज सिंह चौहान को मय प्रमाण एक्ट तथा नियमो की प्रति संलग्न कर दी गई थी ।उसकी प्रति आज भी सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद है। 

यह दूसरी बात है कि श्री चौहान सौजन्यतावश तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुख्यसचिव शरद चंद्र बेहार को अभियोजित नहीं कर सके होंगे पर पब्लिक रिकार्ड एक्ट के अनुसार उन फाइलों को नष्ट करने के लिए वे दंडनीय अपराध कर चुके थे।यह श्री चौहान की सौजन्यता थी या लापरवाही या किंकर्तब्यविमूढता जो उन्होंने मेरे पत्र पर संज्ञान नहीं लिया था और गृह विभाग के 'क्ष' सेक्शन की उन ऐतिहासिक महत्व की फाइलों को नष्ट करवाने के दोषियों को सजा नहीं दिलाई और उसी समय जेलों के रिकार्ड "दीमक खा गई !" इस तरह की सूचनाएं प्रसारित कराई।तब कुछ प्रकरणों में दूसरे प्रमाणों को लेना की विवशता होने पर जरूर कुछ प्रवधानों में संशोधन किया गया,जो बहुत जरूरी था,उसमें भी सतर्कता बरती गई और आज भी कुछ प्रकरण जांच के दायरे में हैं।ऐसे प्रकरणों की जांच करनी थी तो कर लेते पर इतना बड़ा हल्ला मचाने की जरूरत क्या थी ? 

अब इसके पीछे का कारण जानना हो तो कांग्रेस में प्रचलित वर्तमान गुटबाजी की ओर भी ध्यान देना जरूरी है ।

इस तरह का मुद्दा उठाने के पीछे कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की असलियत बताने का इरादा तो नहीं है ? सबको मालूम है कि उनकी दादी कैलाशवासी राजमाता विजया राजे सिंधिया ने कांग्रेस को उखाड़ने के लिए अपना सर्वस्व दाव पर लगा दिया था।उनके पिता श्री कैलाशवासी महाराजा माधव राव सिंधिया कभी भारतीय जनसंघ के सदस्य हुआ करते थे और उन्हें भी मीसा में निरुद्ध किया गया था।यह दूसरी बात है कि वे पहले दिन से ही पेरोल पर चले गए थे।

कमलनाथ ने 'मीसाबंदियों' का मुद्दा हरा करते हुए महागठबंधन में शामिल होनेवाले घटकों को भी स्मरण दिलाया है कि यह वही कांग्रेस है जिसने लोकनायक जयप्रकाश सहित सभी तत्कालीन विपक्षी दलों के नेताओं को बिनाकारण जेल में डाल दिया था।जिन्होंने जेल के लौह सींकचों को अपने दृढ़ हांथों से पकड़कर संकल्प लिया था कि वे कांग्रेस को खत्म करके ही मानेंगे और उसी के कारण जेल में निरुद्ध नेताओं ने जनता पार्टी का गठन किया था।अब वे सत्ता लोभ में अपने संकल्प भूल गए इसमें भाजपा को तो कोई दोष नहीं है।

धन्यवाद ,कमलनाथ जी !आपने नई पीढ़ी और अभी हाल में वयस्क मताधिकार प्राप्त मतदाताओं युवा और युवतियों को स्मरण दिलाया है कि यदि वे लोकतंत्र को इस देश में सदा जीवित और सशक्त होना देखना चाहते हैं तो आपातकाल के काले अध्याय को कभी न भूलें।
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