कमलनाथ का निर्णय - केवल छः मंत्री ही बयान देंगे - ज्योतिरादित्य खेमे को परोक्ष संकेत !





लगभग 200 साल पहले 1816 में सिंधिया नरेश दौलतराव सिंधिया ने राघोगढ़ के तत्कालीन राजा जयसिंह को हराकर अपने अधीन कर लिया था | लेकिन आज परिस्थितियाँ अलग हैं | राघोगढ़ के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने बिना सीधे युद्ध में उतरे पहले ग्वालियर के पूर्व नरेश स्व. माधव राव सिंधिया को मुख्यमंत्री की कुर्सी रेस से बाहर रखकर स्वयं ताज पहना तो इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेरते हुए, अपना दबदबा कायम रखा |

कहने को तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं, लेकिन दिखाई यह दे रहा है कि परदे के पीछे से सारे सत्ता सूत्र दिग्विजय सिंह के ही हाथों में हैं | इसका सबसे बड़ा प्रमाण मिला है सरकार के एक नए फैसले से जिसके बाद अब कमलनाथ सरकार की और से महज वे 6 मंत्री ही सार्वजनिक बयान दे पाएंगे जो दिग्विजय सिंह के नजदीकी है, शेष 21 मंत्री अपने मुँह पर एक प्रकार से अदृश्य टेप चिपका कर चाईं माईं चुप रहेंगे | 

सवाल पूछा जा रहा है कि क्या कमलनाथ को अपने मंत्रियों की काबलियत पर भरोसा नहीं है ? या जिन छः मंत्रियों को सरकार का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई है, वे अत्याधिक योग्य हैं ? 

हम आगे देखेंगे कि ऐसा कुछ भी नहीं है, सचाई यह है कि जिन 21 मंत्रियों के बयान देने पर पाबन्दी लगायी गयी है, उनमें से ज्यादातर मंत्री सिंधिया खेमे से है | शायद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उन्हें यह संकेत देने का प्रयास कर रहे है कि आप सिंधिया की कृपा से मंत्री तो बन गए है, परन्तु सरकार में आपको ज्यादा महत्त्व नहीं दिया जाएगा |

हैरतअंगेज बात तो यह है कि यदि मीडिया को किसी सम्बंधित विभाग के मंत्री से उसके मंत्रालय से सम्बंधित जानकारी लेना हो तो क्या मीडिया कमलनाथ सरकार के उन 6 योग्य मंत्रियों की प्रतीक्षा करेगी ? और क्या, यदि किसी मंत्री के गृह क्षेत्र से जुड़ा हुआ कोई मुद्दा है, उस पर भी कमलनाथ सरकार के यह 6 योग्य मंत्री ही बयान देंगे ? 

सरकार एवं जनप्रतिनिधि जनता के द्वारा चुने जाते है | क्या किसी मंत्री को बोलने न देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध नहीं है ? आखिर क्यों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देने वाली कांग्रेस अपने ही मंत्रियों की आवाज को दबा रही है ? भले ही खुलकर कोई मंत्री कुछ न कहे परन्तु उनमें भी इस निर्णय को लेकर आक्रोश होगा जो कि जायज भी है |

अब आइये कमलनाथ सरकार के 6 सुयोग्य मंत्रियों की योग्यता को भी जांचें परखें -

1 . विधि और विधायी कार्य, जनसंपर्क, विज्ञान और टेक्नोलॉजी, विमानन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री - पीसी शर्मा 

पीसी शर्मा 2016 में बकरीद के मौके पर मुस्लिम समाज को वधाई देने ताजुल मस्जिद पहुंचकर भगवान गणेश पर विवादित बयान दे चुके है जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना राजनैतिक गलियारों में हो चुकी है | उन्होंने गणेश जी के सिर काटे जाने को कुर्बानी बताते हुए कहा था कि भगवान गणेश कुर्बानी का सबक सिखाने वाले देवता हैं | इतना ही नहीं तो हाल ही में उनका ईसाईयों पर प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने संबंधी दायर मुक़दमे वापसी का बयान भी ख़ासा चर्चित रहा है |

2. गृह, जेल, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग, लोक सेवा प्रबंधन मंत्री - बाला बच्चन 

बाला बच्चन कमलनाथ के खास है | स्मरणीय है कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गृह और परिवहन विभाग तुलसी सिलावट को दिलवाना चाहते थे वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ की पसंद राजपुर विधायक बाला बच्चन थे । उनकी योग्यता की भी बानगी देखिये - किस्सा अगस्त 2018 का है | मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा निकल रही थी | उसके पीछे पीछे कांग्रेस की भी जन जागरण यात्रा चल रही थी | जब यह यात्रा बड़वानी पहुंची तो रात को करीब 11 बजे मंच से सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के उपनेता रहे बाला बच्चन ने कहा कि मैं भाजपा को यह बताना चाहता हूं कि हमारा उद्देश्य मध्यप्रदेश और देश को कांग्रेस मुक्त बनाना है।

3. संस्कृति एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री - सुश्री विजय लक्ष्मी साधो 

बताने की आवश्यकता नहीं कि दिग्विजय सिंह जी की नजदीकी उनकी सबसे बड़ी योग्यता है !

4. उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री - जीतू पटवारी 

इनका तो वह बयान बहुचर्चित हो ही चुका है जिसमें चुनाव प्रचार के दौरान ये मतदाताओं से कहते नजर आ रहे थे कि पार्टी गई तेल लेने, आप तो बस मेरा ध्यान रखो | साथ ही मातृशक्ति का अपमान करने वाला उनका वह बयान भी चर्चित है, जिसमें भूरी टेकरी गाँव की महिलाओं से इन्होने इशारा करते हुए कहा था कि महिलायें तो सौ दो सौ रुपये लेकर पोलके (ब्लाउज) में रख लेती हैं |

लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री - सुखदेव पांसे 

शासकीय कर्मचारियों के संघ शाखाओं में भाग लेने पर प्रतिबन्ध के बयान को लेकर चर्चित हो चुके हैं | इन पर मुलताई से तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे, मनीराम बारंगे के पुत्र व भोपाल दुग्ध संघ के संचालक बलराम बारंगे ने प्रेसनोट जारी कर जो आरोप लगाए हैं, वे पढने योग्य हैं - 32 हजारी और 302, 376 जैसी गंभीर धाराओं के आरोपी को तो जनता ने 2013 में ही संन्यास लेने का स्पष्ट अभिमत दे दिया था | अगर इतनी बुरी हार और गंभीर धाराएं मुझ पर लगतीं तो मैं आत्महत्या कर लेता | जिला पंचायत के चुनाव में सुखदेव पांसे ने मुझे और कांग्रेस को हराने का काम किया | उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तुलसीराम मानकर की पत्नी मंगला मानकर को भी चुनाव में हराकर पार्टी के साथ धोखा किया |

5. नगरीय विकास एवं आवास मंत्री - जयवर्धन सिंह की योग्यता तो जग जाहिर है | उनकी एकमात्र योग्यता उनका दिग्विजय सिंह पुत्र होना ही है |

6. वित्त मंत्री - तरुण भनोट महज बारहवीं पास वित्त मंत्री हैं |
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