जूनागढ़ के भारत में शामिल हो जाने से ही भारत की मुश्किलें समाप्त नहीं हुई थी ! भारत के बीचों बीच एक रियासत थी भोपाल ! भोपाल के नवाब ने तय किया कि या तो वो आजाद रहेंगे या पाकिस्तान में शामिल हो जायेंगे !
भोपाल के भारत में विलय को लेकर दबाब निर्मित करने के लिए हिंदू नवयुवकों ने प्रजा मंडल के नाम से एक संगठन बनाया, जिसमें सर्व श्री चतुरनारायन मालवीय, अक्षय कुमार जैन, भाई रतन कुमार जैन, ठाकुर माधो सिंह, मास्टर लाल सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंघल, महीपाल पथिक, प. उद्धव दास मेहता आदि प्रमुख थे !
३० जनवरी १९४८ को महात्मा गांधी की ह्त्या के बाद नबाब को हिंदुओं को कुचलने का बहाना मिल गया ! घरों की अपमानजनक तलाशी तथा थोड़ा भी संदेह होने पर सामान जब्ती आदि कृत्य किये गए ! भोपाल शहर में ही लगभग सौ लोग गिरफ्तार कर जेलों में ठूंस दिए गए ! सर्व श्री उद्धवदास मेहता, बाबा साहब नातू, दिगंबर राव तिजारे, नेमीचंद कक्कड, शरद कुमार बेनर्जी, माणक चंद चौबे, भैयाजी कस्तूरे, मदनलाल शर्मा, ऋषभ चंद मुणोत, शिवचरण लाल भैय्यन, नानूराम दादा, जुगल किशोर भार्गव, बिट्ठल दास शर्मा “गुरू” सीहोर, नरेंद्र चौरसिया, फूलचन्द्र जयपुरिया, मंगली प्रसाद चौरसिया, प्रभाकर बडनेरकर, पांडुरंग वैद्य, सुभाष रेखडे, गोपीकिशन गुप्ता, बाबूलाल बंसल आदि अनेकों कार्यकर्ता वन्दी बनाए गए !
गिरफ्तार लोगों के परिवार जनों को अनेकों प्रकार से प्रताडित किया गया ! महिलाओं को पूछताछ के नाम पर पुलिस जुमेराती बाजार लेकर आई तथा बहां उन पर ठन्डे पानी की तेज धार आधे घंटे तक डाली गई ! १० माह जेल जीवन की यातना सहन करने के बाद नवंबर १९४८ में इन कार्यकर्ताओं की रिहाई संभव हुई ! किन्तु कुछ समय बाद ही भोपाल के भारत में विलय की मांग को लेकर आंदोलन और तीव्र हुआ ! ९ दिसंबर १९४८ को सत्याग्रह प्रारंभ हुआ | संघ स्वयंसेवक तथा कांग्रेस के सर्व श्री मास्टर लालसिंह ठाकुर, रामकिशन जी, डा.शंकर दयाल शर्मा, रामचरण राय वकील, ठाकुर माधव सिंह, के.एन. प्रधान, अक्षय कुमार जैन, जमुना प्रसाद मुद्गल, कपूर भाई आदि साथ साथ गिरफ्तार हुए !
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