स्वाईन फ़्लू के उपचार में होलिका दहन का उपयोग !



होलिका दहन अर्थात सार्वजनिक यज्ञवेदी में सामूहिक आहुति | इस परम्परा के समुचित उपयोग द्वारा पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त व रोगाणुविहीन किया जा सकता है | 

अगर जानना चाहते हैं, कैसे ? तो ध्यानपूर्वक पढ़ें प्रस्तुत आलेख - 

आज के दौर का अत्यंत चर्चित रोग है Swine Flu... 

टेमी-फ्लू नाम की दवाई जो कि आपको Swine Flu से उपचार के नाम पर दी जाती है, उससे आपका Immunity System इतना क्षीण हो जाता है कि आपको आने वाले समय में छोटी-बड़ी कई प्रकार की बीमारियाँ जकड़ती रहेंगी... और आपको टेमी-फ्लू का तो एक प्रकार से आदी बनकर रह जाना पड़ेगा l 

जैसे शूगर का मरीज इन्सुलिन का आदि हो जाता है l 

Swine Flu की बीमारी का सीधा और सरल सा उपचार है ... 

कि एक रुमाल में इलायची और कपूर का सम्मिश्रण बाँध कर रख लें... 

और आधे आधे घंटे पर उसे सूंघते रहें ... Swine Flu के वायरस से मुक्ति मिल जाएगी l 



आज 20 मार्च को पूरे देश में होलिका दहन होगा... 

प्राचीन समय में आयुर्वेदिक यज्ञशालाओं का उपयोग किया जाता था... 

जिस प्रकार अस्पतालों में विभिन्न प्रकार के रोग-उपचार वार्ड होते हैं...... 

अगर आपकी त्वचा जल गई है तो Burn Ward में भेज दिया जाता है, 

यदि हड्डी टूट गई है तो Orthopedic Ward में भेज दिया जाता है, 

कान-नाक-गला से संबंधित कोई रोग है तो E.N.T. Ward में भेज दिया जाता है... 

आदि आदि... 

उसी प्रकार इन यज्ञशालाओं की कार्यविधि हुआ करती थी | 

शास्त्रों में यज्ञथेरेपी के प्रमाण प्राप्त होते हैं l 

जिसमे कि इसी प्रकार के WARD बने होते थे... 

मान लीजिये आपको खांसी-जुकाम का रोग हो गया है .. 

तो आपको खांसी-जुकाम ward में भेज दिया जाता था...और वहां एक हवन-कुण्ड बना होता था उसमें जुकाम या खांसी से सबंधित औषधियों की आहूति दी जाती थी... 

हवन-कुण्ड की अग्नि में समाहित उन जड़ी-बूटियों के सम्मिश्रण से जिस वातावरण और वायु का निर्माण होता था... उसी वायु में सांस लेकर ... रोगी ... खांसी जुकाम से उसका उपचार हो जाता था l 

अब आज के समय में तो इतनी मात्रा में हवन कुण्ड का निर्माण कर पाना संभव नहीं है | 

परन्तु होलिका दहन कार्यक्रमों का स्वाईन फ़्लू के विषाणुओं के नाश हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है | 

सभी मित्र वहां जाएँ और अपने सामर्थ्य अनुसार ... कपूर और इलायची के सम्मिश्रण को होलिका की अग्नि में डाल दें l 

साथ में संभव हो तो गिलौय की बेल के भी टुकड़े करके आहूति में डाल दीजिये l 

इसे हाथ से न जाने दें l इस वायरस को फैलाने वालों के समस्त प्रपंच निष्क्रिय हो जायेंगे l 

यह कार्य प्रत्येक स्थान पर अद्भुत प्रभाव छोड़ेगा l 

हम पानी से भी खेलते हैं ... 

और आग से भी ... 

धर्म हित में... 

राष्ट्र हित में... 

समाज हित में... 

इस कार्य को अपने सभी मित्रों तक पहुंचाएं ... इस पुनीत कार्य को सफल बनाएं l 

लाखों स्थानों पर होलिका दहन के कार्यक्रम होंगे... 

सबको सनातन संस्कृति के अभूतपूर्व लाभों का एक उदाहरण दे दो...
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1 टिप्पणियाँ

  1. सर्वदुष्टदमो होम: सर्वरोगोपशान्तिद:।
    क्रियतेस्या: द्विजै: पार्थ! तेन सा होलिका मता।।
    भविष्योत्तर पुराण।

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