सत्यमेव जयते - राजा विरुद्ध सन्यासिनि !

ये भारत के संविधान का ही चमत्कार है कि जिस अभिषेक मनु सिंघवी ने जज बनाने का लालच देकर, तो नारायण दत्त तिवारी ने राज्यपाल पद की धमक में महिला अस्मिता तारतार की, पर एक दिन को भी जेल नहीं गए, लेकिन एक साध्वी बिना प्रमाण वर्षों जेल में प्रताड़ित होती रही । श्री दिग्विजयसिंह जी, जो स्वयं को शंकराचार्य जी द्वारा दीक्षित, पूजा पाठ परायण, हिन्दू बता रहे हैं, अगर इस क्षत्राणी साध्वी के साथ हुए अत्याचार के कर्ता धर्ता हैं, तो यह इकलौता पाप उनके जन्म जन्मान्तर के पुण्यों पर भारी है | अगर ईश्वर है और साध्वी प्रज्ञा के साथ अन्याय हुआ है, तो दुनिया की कोई ताकत अन्यायी को ईश्वरीय दंड से नहीं बचा सकती | शायद वह अवसर आ गया है और इन चुनावों में साध्वी और राजा एक दूसरे के आमने सामने हैं |

 आईये साध्वी की आपबीती उनके ही शब्दों में एक बार फिर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ायें - "कुत्ती" "कमीनी" "वेश्या" "कुलटा " "जिंदगी प्यारी है तो जो मैं कहता हुं कबुल ले बाकी जिंदगी आराम से कटेगी." ऐसे घृणित शब्दों से किसी और को नहीं बल्कि भगवा वस्त्र धारिणी निष्कलंक साध्वी प्रज्ञा को मुम्बई पुलिस व ATS के दोगलों ने नहलाया था, किसके इशारे पर यह समझा जा सकता है | सुदर्शन टीवी के चेयरमैन सुरेश चौह्वाण को साध्वी जी द्वारा दिए गये टीवी साक्षात्कार में ऐसे घृणित शब्दों को इशारे में बताते हुए साध्वी के नेत्र सजल हो गये. "साध्वी" ने मर्माहत शब्दों में वृत्तान्त सुनाया कि मेरे शरीर का कोई‎ ऐसा अंग नही जिसे चोटिल ना किया गया हो. जब पत्रकार ने पुछा कि क्या मारने के कारण ही आपके रीढ़ की हट्टी टूट गई‎ थी ?? साध्वी ने कहा, "नहीं, मारने से नहीं. एक जन हमारा हाथ पकड़ते थे एक जन पांव और झूलाकर दीवार की तरफ फेंक देते थे. ऐसा प्राय: रोजाना होता था दीवार से सर टकराकर सुन्न हो जाता था कमर में भयानक दर्द होता था ऐसा करते करते एक दिन रीढ़ की हड्डी टूट गई तब अस्पताल में भर्ती कराया गया." साध्वी ने बताया, "एक दिन तो ऐसा हुआ कि मारते मारते एक पुलिस वाला थक गया तो दुसरा मारने लगा उस दौरान मेरे फेफड़े की झिल्ली फट गई‎ फिर भी निर्दयता से मारता रहा." साध्वी ने बताया, "रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद मैं बेहोश हो गई‎ थी. जब होश आया तो देखा कि मेरे शरीर से सारा भगवा वस्त्र उतार लिया गया गया था. मुझे एक फ्राक पहनाया गया था." "मेरे साथ मेरे एक शिष्य को भी गिरफ्तार किया गया था उसे मेरे सामने लाकर उसे चौड़ा वाला बेल्ट दिया और कहा मार!! अपने गुरु को इस साली को!!" "शिष्य, सकुचाने लगा तो मैं बोली मारो मुझे !! शिष्य ने मजबुरी में मारा तो जरुर मुझे लेकिन नरमी से तब एक पुलिस वाला शिष्य से बेल्ट छीन कर शिष्य को बुरी तरह पीटने लगा और बोला ऐसे मारा जाता है." 

एक दिन कुछ पुरुष‎ कैदियों के साथ मुझे खड़ी करके अश्लील आडियो सुनाया जा रहा था. मेरे शरीर पर इतनी मार पड़ी थी कि मेरे लिए खड़ी रहना मुश्किल था. मैं बोली कि बैठ जाऊँ वो बोले साली शादी मे आई है क्या कि बैठ जायेगी!! मेरी आँख बंद होने लगी मैं अचेत हो गई. "मेरे दोनों हाथों को सामने फैलवाकर एक चौड़े बेल्ट से मारते थे मेरा दोनो हाथ सूज जाता था. अँगुलियां भी काम नही करती थी, तब गुनगुना पानी लाया जाता था. मैं अपने हाथ उसमें डालती कुछ आराम होता जब अंगलुियां हिलने डुलने लगती थी. तो फिर से वही क्रिया होती और मार पड़ती थी. मुझे तोड़ने के लिए मेरे चरित्र पर लांछन लगाया क्योंकि लोग जानते हैं कि किसी औरत को तोड़ना है तो उसके चरित्र पर दाग लगाओ ! मेरे जेल जाने के बाद यह सदमा मेरे पिताजी बर्दास्त नहीं कर पाये और इस दुनियां से चल बसे. "नौ साल जेल में थी, सिर्फ एक दिन एक महिला ने एक डंडा मारा था, बाकी हर रोज पुरुष ही निर्दयता से हमें पीटते थे." पत्रकार ने पूछा, "आपको समझ में तो आ गया होगा कि क्यों आपको इतने बेरहमी से तड़पाया जा रहा था?" साध्वी जी ने कहा, "हां, भगवा को बदनाम करने का कांग्रेस ने एक सुनियोजित षडयंत्र तैयार किया था." साध्वी जी ने बताया कि एक बार स्वामी अग्निवेष मुझसे मिलने जेल में आया और बोला, "आप सब कबुल कर लो कि हां! यह सब RSS के कहने पर हुआ है. सरकारी गवाह बन जाओ. चिदम्बरम और दिग्विजय हमारे मित्र हैं. मै आपको छुड़वा दुंगा." साध्वी जी ने कहा, "अगर आपकी उनसे घनिष्ठता है और सच में हमें छुड़ाना चाहते हो, तो चिदम्बरम से जाकर बोलो कि इमानदारी से जांच करवा ले, क्योंकि मैंने ऐसा कुछ किया ही नही है ।" 

सोचने वाली बात यह है कि साध्वी दीदी, नौ साल जेल में रही भाजपा का तीन साल निकाल दो तो छ: साल तक कांग्रेस के कार्यकाल में जेल में रही. इन छ: सालों में कांग्रेस "भगवा आतंकवाद" के खिलाफ सबूत नहीं जुटा पाई. इसका सीधा सा अर्थ यह है कि "भगवा" को सिर्फ बदनाम किया जा रहा था. गैरकानूनी तरीके से 'मकोका' भी लगाया गया था. नौ साल जेल में भयानक यातना सहने के बाद भी साध्वी व खुफिया अधिकारी कर्नल पुरोहित जी जब स्वच्छंद हवा में सांस लिए, तो उनके अधरों पर बस एक ही बात थी. "जय हिंद भारत माता की जय यह तन राष्ट्र के प्रति समर्पित है." और यह कठोर यातना तो "राष्ट्र प्रेम" का श्रृंगार है, खुशी खुशी सहन करेंगे.

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