शिवपुरी - नामचीनों के खुले संरक्षण में जन सुविधाओ के नाम पर डाका डाल रही स्मार्ट चिप कंपनी

शासन के द्वारा कई योजनाएं जनता के हितों के लिए प्रारम्भ की जाती है,जिससे जनता का भला हो और सीधे सीधे लाभ मिल सके।लेकिन इन सुविधाओं के नाम पर क्या क्या गुल खिलाये जाते है,ये परिवहन विभाग में देखा जा सकता है जहाँ जन हितों को नजरअंदाज कर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है।

शिबपुरी में परिवहन विभाग में एक गाड़ी mp339950 ब्रजमोहन कंषाना के नाम से दर्ज है,इसका चेसिस नम्बर maiyu2hhuf613068,व रजिस्ट्रेशन दिनांक 01/01/2016 व इंजन नम्बर HHF4K22054 है,अब आप देखिए इन्ही ब्रजमोहन कंषाना के नाम से एकदूसरी गाड़ी mp33c5515 भी दर्ज है और उसका चेसिस नम्बर,इंजन नम्बर,रजिस्ट्रेशन डेट भी वही है और इश्यू डेट भी वही सब कुछ समान है जो पहली गाड़ी क्रमांक mp33c9950 का है,एक गाड़ी को किस तरह दो गाड़ी में तब्दील कर दिया गया है जो आज दिनांक तक है,2016 से ये खेल परिवहन विभाग में स्मार्ट चिप कंपनी के द्वारा खेला जा रहा है,पहले जब कंप्यूटरीकरण नही हुआ था तब गलतियों के लिए मानव को दोषी माना जाता था मानव से गलती हो जाती है और इन गलतियों को समाप्त करने दूर करने के लिए ही कंप्यूटरीकरण किया गया जिसमें गलती की संभावना लेश मात्र भी नही होती यही माना जाता था परन्तु अब इस तरह की गलती क्या जानबूझकर की जा सकती है नही की जा सकती है।

दरअसल इसके पीछे आम जनता को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करना ही उद्देश्य है।लायसेंस ,रजिस्ट्रेशन व अन्य कामो के लिए शासन ने पांच वर्ष के लिए स्मार्ट चिप नामक कंपनी से सितंबर 2013 में अनुबंध परिवहन विभाग ने किया,शर्तो के हिसाब से सितंबर 2018 में अनुबंध समाप्त हो गया लेकिन मार्च 2018 तक इसे पुनः आगे बढ़ा दिया गया,परिवहन विभाग आज दिनांक तक स्मार्ट चिप की सेवाएं ले रहा है जो अवैध की श्रेणी में आता है जहाँ इस तरह के ही काम हो रहे है।जिसमे ऑन लाइन सेवा के नाम पर 100 रुपए अतिरिक्त देने पढ रहे है परिवहन विभाग के 52 जिला कार्यालयों पर ये भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम चल रहा है जहाँ प्रतिदिन सेकड़ो लोग 100 रुपये के हिसाब से हजारों लाखों रुपये ऑनलाइन शुल्क के रूप में देने को मजबूर है,जबकि परिवहन विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि स्मार्ट चिप प्रायवेट कंपनी की ऑनलाइन सुविधा की वजह से जनता पर पोर्टल शुल्क के नाम पर अतिरिक्त भार पढ़ रहा है।इस रिपोर्ट के बाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों में नगद भुगतान खिड़की पुनः प्रारम्भ करने के निर्देश दिए थे,फिर भी नगद भुगतान सुविधा खिड़की प्रारम्भ नही की जा सकी,आम आदमी स्मार्ट चिप ऑनलाइन में 100 रुपये अतिरिक्त देने को मजबूर है।इसी तरह इंदौर में स्मार्टचिप कंपनी का फर्जीबाड़ा सामने आया जहाँ आर टी ओ ऑफिस में टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन (टी आर) के टेक्स की फर्जी रसीदे लगाकर घोटाला करने का खुलासा हुआ था,इस मामले में एजेंट गुलरेज अहमद और स्मार्ट चिप कंपनी के कम्प्यूटर ऑपरेटर आनंद कौशल का नाम सामने आया था,लायसेंस के मामलों में भी ऑपरेटर्स की शिकायत मिली कुछ में पुलिस केस दर्ज हो चुके है इस मामले में कंपनी पर कार्यवाही के लिए परिवहन आयुक्त को पत्र भी लिखा लेकिन आयुक्त ने कोई कार्यवाही नही की।तो शिबपुरी का ये मामला कोई नया मामला नही है ये खेल तो वर्षो से चल रहा है और पता नही इस खेल में कितने लोग शामिल है।जब इन दोनों गाड़ियों की ऑनलाइन जानकारी निकाली तो वह आज दिनांक तक यही बोल रही है यानी कि 2016 से 2019 तीन साल से लगातार ये प्रक्रियाधीन है।स्मार्ट चिप कंपनी के अनुबंध के पूर्ण हो जाने के सम्बंध में जब चर्चा अधिकारियों से की जाती है तब वह कंपनी का पक्ष रखते हुए कहते है कि भले ही अनुबंध 2013 में हुआ हो परन्तु काम कंपनी ने 2014 से आरम्भ किया था अतः ये मामला अभी चल रहा है।अब आप खुद सोचिए जो कंपनी प्रारम्भ से ही हीलाहवाली लेटलतीफी कर कार्य को प्रारम्भ करती आई हो उससे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है बहरहाल विभाग के सहयोग से आम हितों पर जनता के खून पसीने की कमाई पर डाका डालने का काम बदस्तूर जारी है।

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