शिवपुरी की गंभीर जल समस्या के पीछे अधिकारियों की कमीशनखोरी ! समाधान हेतु भाजपा मंडल अध्यक्ष भानु दुबे का सुझाव !


नगर पालिका के सार्वजनिक ट्यूबवेलों में खराब मोटरों को सुधारने का काम ठप्प, ठेकेदार को पहुंचाया जा रहा है फायदा 
-नगर पालिका में ठेकेदारों पर मेहरबान अधिकारी 
-रामबाग कॉलोनी सहित पुरानी शिवपुरी के ट्यूबबेल में कई दिनों से खराब पड़ी है मोटर,नही हो रही कोई सुनवाई 



शिवपुरी नगर पालिका अंतर्गत शहर के ट्यूबवेलों में खराब मोटर को सुधारने का काम ठप्प पड़ा हुआ है। शहर में गहराए पेयजल संकट के बीच खराब मोटरों को सुधारने में लापरवाही बरती जा रही है। नगर पालिका ने जिस ठेकेदार को खराब ट्यूबबेलों को सुधारने का काम सौंपा है वह निर्धारित समय अवधि में खराब मोटरों को नहीं सुधार रहें हैं। शिवपुरी के रामबाग कॉलोनी, बाईपास रोड सर्किट हाउस के आगे, विष्णू मंदिर के पीछे व पुरानी शिवपुरी क्षेत्र के गरपालिका के ट्यूबबेल में पिछले कई दिन से मोटर खराब पड़ी है। परेशान लोगों की शिकायत के बाद मोटर को निकाल तो लिया गया है, लेकिन अभी तक इस मोटर को सही कर यहां बदला नहीं गया। 

रामबाग कॉलोनी और उसके आसपास पीने के पानी को लेकर जनता सबसे ज्यादा परेशान हो रही है। वार्ड 7 के स्थानीय लोगों ने बताया कि अधिकारियों को भी इस परेशानी से अवगत कराया गया है, लेकिन ट्यूबवेल की खराब मोटर को नहीं सुधरवाया जा रहा है। बताया जाता है कि नगरपालिका में जिस ठेकेदार को यहां मोटर सुधारने का काम सौंपा गया है उसे निविदा शर्तों के अनुसार 24 घंटे में मोटर सुधार कर ट्यूबवेल में डालना चाहिए, लेकिन निवेदन शर्तों का उल्लंघन हो रहा है और कई जगह पर 5 से 7 दिन में यह मोटर सुधारी जा रही है, जिससे पेयजल संकट और बढ़ गया है। नगर पालिका सीएमओ सहित जिम्मेदार अधिकारी इस पर गौर नहीं कर रहे हैं और उनका ध्यान संभवतः केवल ठेकेदार से मिलने वाले कमीशन पर है, अन्यथा क्या कारण है कि निविदा की शर्तों का पालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है? 

सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सिंध का पानी शिवपुरी तक लगभग चार माह पूर्व ही आ चूका है, लेकिन इसके बाद भी समस्या ज्यों की त्यों है। जनता के प्यासे कंठ आज भी प्यासे ही है, इसे लाल फीताशाही और हद दर्जे की लापरवाही नहीं तो क्या कहा जाए? जनता आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए भू जल पर ही निर्भर है, और उसके जो हाल हैं, वे सबके सामने हैं। 

घरों तक पानी पहुँचाना तो दूर की बात है, ओवर हेड टैंकों को भी आज तक सिंध से आने वाली लाईन से जोड़ा नहीं जा सका है । उसके नाम पर बारिश के पूर्व सड़कें नहीं बनाई गईं, जो अब गंदगी, कीचड़ और रोगाणुओं का कारण बनेगी। जो सड़कें बन भी गईं हैं, उन्हें भी अब पाइप लाईन डालने के लिए खोदना पडेगा। 

इसके लिए एक व्यवहारिक सुझाव भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष व पार्षद भानु दुबे ने दिया है। उनका कहना है कि कि जब पाइप लाइन डालने में दिक्कतें आ रही है तो पुरानी फिल्टर लाइन से जोड़कर पानी की समस्या का वैकल्पिक समाधान किया जा सकता है। 

भानु दुबे ने शिवपुरी की पेयजल समस्या के निदान हेतु सुझाव दिया है कि जहाँ जहाँ रोड नही खोद पा रहे है या अन्य तरह की समस्या पाइप लाइन को बिछाने में आ रही है, वहाँ फ़िल्टर प्लांट से डली हुई लाइन को व्यवस्थित कर पेयजल की उपलब्धता की जा सकती है। जहाँ रोड डाली जानी जरूरी है वहाँ रोड डालनी ही चाहिए और जिस इलाके में पानी की सर्वाधिक समस्या है, उन इलाकों को चिन्हित कर पेयजल की उपलब्धता होनी ही चाहिए। 

दुबे ने कहा कि स्थानीय विधायक राजे जी की मंशा हर घर मे पानी पहुचाने की रही है, और इस हेतु वह जो कर सकती थी उनने किया भी। जितना धन चाहिए था उससे ज्यादा वह लायी, पर अब कारणों को गिनाने की बजाय सभी की जिम्मेदारी राजे जी की मंशानुरूप हर घर मे पानी पहुचाने की है। तीन टंकियां तो भर चुकी है अब आगे की व्यवस्था के लिए सभी को कमर कसनी होगी। फ़िल्टर प्लांट से जो लाइन डली हुई है उसी से मणीखेड़ा की लाइन को जोड़कर वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा सकती है । इससे समय के साथ साथ खुदाई की भी बचत होगी, कार्य मे गति आएगी और पानी हर घर तक पहुचाया जा सकेगा। जहाँ कोई लाइन नही डली थी वहां तो लाइन डाली जानी चाहिए थी, क्योंकि नगर लगातार बढ़ा है तो ये तो करना ही था, परन्तु जहाँ लाइन डली हुई है, वहाँ तो केवल लाइन को जोड़कर भी पानी को पहुचाया जा सकता है। दुबे ने माना कि तकनीकी अज्ञानता व अनुभवहीनता भी इस योजना की पूर्णता में एक बाधा बनी जिसने राजे जी के प्रयासों की सफलता में बिलम्ब किया,लेकिन अब योजना को अंतिम चरण में पहुचाया जा सकता है।
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