क्या पुलिस शिवानी की आयु 19 वर्ष बताकर आरोपियों को बचाना चाहती थी ?



शिवपुरी के बहुचर्चित शिबानी मर्डर केस को लेकर हुई पत्रकार वार्ता में पुलिस के बयानों की तथ्यात्मक गलती सामने आई है | पुलिस ने शिबानी की उम्र 19 वर्ष बताई थी, जबकि शिवानी की दादी का बयान क्रांतिदूत ने प्रसारित किया था, जिसमें दादी शिवानी की उम्र मात्र सत्रह वर्ष बता रही थीं | अब बाल कल्याण आयोग द्वारा भी शिवानी को नाबालिग मानकर प्रकरण में पास्को एक्ट की वृद्धि करने का निर्देश दिया गया है। 

सवाल उठता है कि आखिर पुलिस शिवानी की आयु ज्यादा क्यों बता रही थी ? कहीं इसके पीछे अपने किसी चहेते को गंभीर धाराओं से बचाना तो कारण नहीं था ? क्योंकि स्पष्ट ही अब पास्को एक्ट में कायमी होने के बाद भले ही यह ही प्रमाणित क्यों न हो कि ड्रग स्वयं शिवानी ने लिया था, या उसके साथ किसी ने भी शारीरिक सम्बन्ध उसकी सहमति से बनाये थे, आरोपी सजा से नहीं बच सकेंगे | एक नाबालिग लड़की को नशे के दलदल में धकेलकर उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाना गंभीर अपराध है | पाक्सो एक्ट के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के साथ उसकी सहमती या बिना सहमती के यौन कृत्य करता है तो उसको पोक्सो एक्ट के अनुसार सजा मिलनी ही है | 

ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अगर कोई पुलिसकर्मी अपराध में सहयोगी है, तो उसका अपराध और भी अधिक गंभीर माना जाएगा | यह भी महत्वपूर्ण है कि अब इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय में होगी और फैसला भी शीघ्र ही आयेगा | अगर शिवानी को किसी ने ड्रग ओवरडोज देकर जानबूझकर हत्या की है, तो हत्यारों को फांसी की सजा मिलना भी संभावित है, क्योंकि संसद ने भी क़ानून में संशोधन कर इसमें सजाये मौत तक का प्रावधान कर दिया है | 
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