शिक्षा विभाग चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट - अधिकारियों को गुमराह कर स्कूल संचालक ने हासिल की मान्यता



अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा है गोरखधंधा लेकिन फिर भी अधिकारी वन रहे हैं अनभिज्ञ 


बैराड। शिवपुरी जिले के बैराड़ नगर में स्कूल संचालकों ने शासन के नियम कायदों को ताक पर रख कर जमकर शिक्षा अधिनियम की धज्जियांं उड़ा डाली। मान्यता संबंधित नियमों का खुलकर मजाक बना डाला। नगर के स्थानीय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैराड़ के ठीक सामने लखेश्वर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विगत अनेक वर्षों से संचालित है। 

लेकिन इसी लखेश्वर स्कूल में प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे रघुवीर धाकड़ ने विद्यालय के छात्रों को हड़पने की द्रष्टि से इसी भवन के फर्जी फोटो लगाकर और भूमि भवन का फर्जी किरायानामा तैयार कराकर मान्यता के लिए पेश कर दिया । और मजे की बात तो यह कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैराड़ के प्राचार्य के पद पर पदस्थ श्रीमती अर्चना शर्मा और पोहरी बीआर सी सी विनोद कुमार मुद्गल द्वारा लखेश्वर से “लॉर्ड लखेश्वर” में बदलकर इसकी मान्यता भी दे दी गई । इतना ही नहीं तो रघुवीर धाकड़ को प्राचार्य से संचालक बना दिया गया। (उपरोक्त चित्र देखकर ही सारा घोटाला स्पष्ट समझ में आ जाता है)

सोचने की बात है कि इतने बड़े अधिकारी ऐसी गलती कैसे कर सकते हैं, जब तक कि इसके पीछे कोई आर्थिक या राजनैतिक कारण न हों? अपने कार्यालय में बैठकर शिक्षा के मंदिरों में इस प्रकार का घोटाला करना निश्चय ही भावी पीढी के भविष्य से खेलना है। 

इतना ही नहीं तो इस लॉर्ड लखेश्वर उच्च माध्यमिक विद्यालय बैराड़ के संचालक पर श्योपुर जिले के पुलिस थाना गसवानी में और शिवपुरी कोतवाली, पोहरी,भटनावर, पुलिस थाना बैराड़ में कई संगीन अपराध पंजीबद्ध है। एवं उन्हें इनमें न्यायालयों द्वारा सजा भी मिली है, फिर भी अधिकारी बिना निरीक्षण करे कैसे कक्षा 1 से 12 तक की मान्यता प्रदान कर देते हैं? अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति कैसे स्कूल संचालक हो सकता है? 

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर में होने के बावजूद भी इसके सारे विद्यालयीन कार्य चल रहे हैं। गत वर्ष भी विद्यालय संचालक रघुवीर धाकड़ द्वारा छात्रों को दस वी व बारह वी के फार्म भरवागए थे, यहां उन छात्रों के साथ ठगी की गई एवं उनसे मोटी रकम भी वसूल की गई।अंत में उनको स्वाध्यामी कर दिया गया और कुछ छात्रों की इसके विद्यालय से जोड़कर उनकी परीक्षा दिलवाई गई। शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारी प्राइवेट स्कूलों का गहन निरीक्षण क्यों नहीं करते हैं। कितना कार्यालयीन स्टाफ है। कितने छात्रों की उपस्थिति रहती है। खेल व प्रयोगशाला की कितनी सुविधा है? यह सब मान्यता के बिंदुओं में आता है लेकिन अधिकारी राइट लगाकर एक कार्टून में टूटे-फूटे उपकरण देखकर प्रयोगशाला की इतिश्री कर लेते हैं। और इसी प्रकार पुस्तकालय खेल का मैदान व छात्रों से प्राइवेट स्कूल संचालक कितनी शुल्क वसूलते हैं यह कोई नहीं देखता है।यह सारी चीजें भली-भांति देखी जाए। तो मान्यता मिलना मुश्किल हो जाएगा। 

एक व्यक्ति मान्यता की शिकायत करता है तो उसकी जांच में एक साल लग जाता है। यदि कोई गरीब शिक्षक स्कूल नहीं जाता है। तो उस पर त्वरित कार्रवाई की जाती है विकासखंड के लिए शिक्षा अमले को सब पता है कि लखेश्वर व लॉर्ड लखेश्वर का भवन एक ही है व लखेश्वर स्कूल के संचालक घनश्याम धाकड़ द्वारा उक्त आशय की शिकायत जिसमें रघुवीर धाकड़ द्वारा पूर्व से संचालित संस्था लखेश्वर स्कूल बैराड़ के भूमि भवन के फोटो एवं अन्य दस्तावेजों को लगाकर जालसाजी करके व पूर्व में धोखाधड़ी करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लार्ड लखेश्वर के नाम से मान्यता प्राप्त की है। 

बैराड़ संकुल प्राचार्य श्रीमती अर्चना शर्मा द्वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थी के सामने होने के बावजूद कितनी बार निरीक्षण किया गया है यह निरीक्षण टीप देखने पर पता चल जायेगा। एवं लॉर्ड लखेश्वर जैसे और भी कई स्कूल क्षेत्र में संचालित है। और ऐसे फर्जी तरीके संचालित स्कूलों की मान्यताओं को शासन प्रशासन द्वारा निरस्त कर कार्यवाही करें।
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