असावधानी से वाहन चलाकर गरीब राजाराम रघुवंशी को मौत के घाट उतारने वाले शासकीय अधिकारी पर दर्ज है पूर्व से 420 का प्रकरण !



पोहरी के किसान के दस्तावेजों में हेरफेर करके बनवाई थी तीन लाख की केसीसी। 

शिवपुरी/ दो दिन पूर्व कोलारस थाना क्षेत्र में ग्राम देहरदा के पास, आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक संचालक वी के माथुर ने गाडी चलाते समय मोवाईल पर बात करते करते तीन राहगीरों को अपने वाहन से टक्कर मार दी थी, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी जीप सड़क किनारे एक मकान से टकराई। उपस्थित ग्रामीणों ने सहायक संचालक को पुलिस के हवाले कर दिया, लेकिन इस मामले में कोलारस थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह सिकरवार द्वारा कथित रूप से अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। बाद में जब स्थानीय विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन हुआ, तब कहीं जाकर वी के माथुर को गिरफ्तार किया गया, किन्तु बाद में छोड़ भी दिया गया। आज वी के माथुर को लेकर हुए एक नये खुलासे ने हमारे पूरे न्याय तंत्र को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है । 

घटना इस प्रकार की बताई जा रही है कि पोहरी के एक किसान के खाते की जमीन पर इलाहाबाद बैंक के मैनेजर से मिलकर सन 2012 में तीन लाख की फर्जी केसीसी बनवाकर रकम हड़प कर जाने के मामले में भी सिटी कोतवाली शिवपुरी में वीके माथुर और तात्कालिक शाखा प्रबंधक रमेश चंद जैन के विरुद्ध 467, 468, 471,418 और धारा 420 में 23 अक्टूबर 2017 का मामला पंजीबद्ध है, जिसमें मैनेजर जैन की तो ढाई महीने जेल में रहने के बाद जमानत हुई थी। जबकि बी के माथुर को उस समय फरार बताया गया था । किन्तु बाद में हेरा फेरी एवं 420 के उक्त प्रकरण में जांच के नाम पर माथुर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई, और जैसी कि शिवपुरी की परंपरा है, वह जांच दो साल में भी पूरी नही हो पाई है और अभी भी चल ही रही है । 

प्राप्त जानकारी के अनुसार 27 -10 -2012 को इलाहाबाद बैंक शिवपुरी से ₹300000 की एक केसीसी का भुगतान किया गया था। 21-10 -2017 मैं इलाहाबाद बैंक शिवपुरी के शाखा प्रबंधक रीतेश शिवहरे ने देखा कि 5 सालों से पोहरी के किसान नकटू पुत्र चिंटू धाकड़ के किसान क्रेडिट कार्ड के पैसे जमा नहीं हुए हैं| उन्होंने नकटू धाकड़ से संपर्क किया तो जानकारी मिली कि उसने अपने नाम से कभी कोई केसीसी बनवायी ही नहीं है। इसके बाद जब बैंक प्रबंधन ने खोजबीन की तो पता चला कि नकटू धाकड़ की जमीन के कागजों में हेराफेरी की गई है, और उस समय बैंक की जांच में पाया गया कि वीके माथुर और तत्कालीन शाखा प्रबंधक रमेश चंद्र जैन ने पोहरी के किसान नकटू धाकड़ पुत्र चिंटू धाकड़ के दस्तावेजों में कूट रचना कर फर्जी तरीके से तीन लाख का आहरण किया है। उन्होंने संयुक्त रूपसे सिटी कोतवाली शिवपुरी में आवेदन दिया, जिसके बाद दोनों आरोपियों पर सिटी कोतवाली द्वारा धारा 418 467 468 471 एवं 420 के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया गया था। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन शाखा प्रबंधक रमेश चंद्र जैन को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जिसकी जमानत ढाई महीने जेल में रहने के बाद हुई थी । लेकिन बीके माथुर 23-10-2017 से अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं । इसके पीछे का वास्तविक कारण यह पता चला है कि बीके माथुर भाजपा शासन काल में तत्कालीन शिवपुरी विधायक के निज सचिब भी रह चुके है, इसलिए इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही कैसे हो सकती थी? 

अब अनाडी कार चालक के रूप में भी बी के माथुर ने कोलारस क्षेत्र में एक व्यक्ति को कार दुर्घटना में मौत के मुंह में पहुंचा दिया, और पुलिस ने उसे धरना प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार तो किया, पर बाद में तुरंत छोड़ भी दिया। इसे हठधर्मिता कहें या क़ानून का लचीलापन कि जो शख्स एक व्यक्ति की जान लेने, उस पर गाड़ी चढ़ाने का दोषी पाया गया,वह तत्काल बाहर कैसे आ गया? 

इसका जबाब सीधा सीधा है कि इस सिस्टम को बी के माथुर जैसे लोग भली भांति समझते है और बेख़ौफ़ होकर इसका दुरुप्रयोग करते है। इनको मालूम है कि पकड़े जाने पर थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह को कैसे मैनेज करना है। जैसे वह एक किसान के नाम पर रकम निकालकर आज दिनांक तक जांच के नाम पर बाहर खुलेआम घूम रहा है, जबकि उसी केस में उसका दूसरा साझीदार जेल की हवा पूरे ढाई महीने खाकर आ चुका है। ईमानदार पुलिस अधीक्षक और निडर विधायक की सक्रियता के कारण केस तो बन गया, नही तो केस भी अज्ञात के विरुद्ध ही बनता। ये सिस्टम भी गजब है जो कोलारस थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह को विधायक पर पूर्वाग्रह के आरोप लगाने की इजाजत देकर, बी के माथुर को ही मजबूत कर रहा है। 

क्या सुरेंद्र सिंह जबाब देंगे कि विधायक ने तो नही कहा था बी के माथुर से कि गाड़ी एक अभागे पर चढ़ा देना। विधायक ने तो नही पकड़ा माथुर को, पकड़ा तो जनता ने, और उसी जनता की अवहेलना करते हुए तुम अपने अधिकारों का दुरुप्रयोग करते हुए किसी अज्ञात को दोषी बनाने लग जाओ, तो इसका विरोध करना विधायक का पूर्वाग्रह कैसे हो गया? 

कैसे पहले भी मात्र 24 घंटे के अंदर तुम अपना लाइन अटेच का आदेश निरस्त करवा लाये, किसे नही पता उसके पीछे की कहानी। बहरहाल बी के माथुर और सुरेंद्र सिंह केवल इसी सिस्टम का फायदा उठाकर हर बार बच जाते है।अगर अब भी धोखाधड़ी के केस की निष्पक्ष जांच नही होती तो सब बेकार है।
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