कश्मीरी अलगाववादियों में बेचैनी - आखिर क्या है मोदी की रणनीति - संजय तिवारी



वैसे तो पिछले दिनों बढ़ाई गई सुरक्षाबलों की संख्या से ही लोग भविष्य की आशंकाओं से घिरे थे लेकिन पिछले 24 घण्टे में कश्मीर की घाटी में हो रही सक्रियता से अब लोग हैरान और परेशान है। कश्मीर की घाटी में 40000 हज़ार सैन्य व अर्धसैन्य बल पहले से ही था लेकिन अब करीब 35000 और त्वरित रूप से भेज दिए गए है।

कश्मीर की घाटी में लगभग दुगनी होती सुरक्षाबलों की संख्या के साथ, श्रीनगर के ऊपर जेट विमानों को चहल पहल, एनआईआईटी को बन्द होना और फिर अमरनाथ तीर्थयात्रियों को घाटी तुरन्त खाली करने की सलाह देना, आदि कुछ ऐसी घटनाएं है, जिसने जहां बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई ऐसे पत्रकारों को बौखला दिया है, वहीं कश्मीर की घाटी में बैठ कर, आतंकियों व पाकिस्तानियों को समर्थन देने और जम्मू कश्मीर की राजनीति करने वालो को डरा दिया है। बात यहीं पर समाप्त नही हुई है, इसके अलावा बीजेपी द्वारा 5 से 7 अगस्त को चलने वाले सदन के लिए अपने सांसदों को जी व्हिप जारी की है उसने सुलगती आग में घी डालने का काम किया है।

इसी सब को देख कर लोग मीडिया व सोशल मीडिया पर तरह तरह के अपने आंकलनो का बाजार गर्म कर रहे है। कल शुरू में यह बात चली थी कि यह सब जम्मू कश्मीर से 35A और 370 हटाने के बाद वहां की स्थिति से निपटने के लिए किया जारहा इंतज़ाम है। फिर समाचार चले कि घाटी में, विशेषकर अमरनाथ की यात्रा के मार्ग पर आतंकियों द्वारा कोई बड़ी कार्यवाही किये जाने की सूचना हाथ लगी है। इसको बल इससे भी मिला क्योंकि वहां पाकिस्तानी डिपो की अमेरिकन स्नाइपर राइफल और लैंड माइंस भी मिले थे। इसके बाद शाम तक यह भी समाचार खूब चला कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर को तोड़, तीन भागों में करने जारही है, यह उसको देखते हुए किया जा रहा है। जम्मू को एक राज्य व कश्मीर की घाटी और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाएंगे।

किन्तु मेरा अपना आंकलन है कि मोदी जी का जो काम करने का तरीका रहा है उसमे कभी भी पूर्वानुमान लगाने की कोई जगह नही होती है। यह हम पहले भी देख चुके है कि मोदी जी पूरी मीडिया व जनमानस को किसी एक दिशा में बाँध देते है और फिर विपरीत दिशा में कार्यवाही कर जाते है। आज तक कोई भी मोदी सरकार की गोपनीयता को भंग नही कर पाया है और न ही उनकी रणनीति का समय से पहले लोगो को पता चला है। ऐसे में यह प्रश्न अवश्य खड़ा हो गया है कि आखिर यह सब हो क्या सकता है?

मेरी अपनी समझ कहती है कि सैन्यबलों का जमावड़ा मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक तरीका है। जो अब तक प्रतिक्रियाएं सामने आई है उससे यही लग रहा है कि मोदी सरकार इसमे सफल भी हो रही है |पिछले 7 दशकों से जो राजनेता और राजनैतिक दल कश्मीर की घाटी से भारत को ब्लैकमेल करने करते आ रहे थे, न केवल वे लोग पहली बार डरे दिखाई दे रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान के लोग भी बुरी तरह घबराए व बेचैन दिख रहे है। यह भी संभव है कि इन सब बढ़ती गतिविधियों का केंद्रबिंदु श्रीनगर न होकर एलओसी के पार पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर(POK) हो।

अब तक वहां चलने वाली गतिविधियों को लेकर देश और दुनिया में ज्यादा चर्चा नहीं होती। पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर में कुछ हो रहा है, उस पर जहां पाकिस्तान खामोश रहता है, वह उसकी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि वह उसे दुनिया की नज़रों से छुपाना भी चाहता है । लेकिन फिर भी वहां से छन छन कर जो समाचार मिल रहे, उससे ज्ञात होता है कि वहां सब कुछ सामान्य नही है। पाकिस्तान एलओसी से 30 किमी भीतर नीलम झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट डैम बना रहा है। उसे वहां चीनी व कुछ विदेशी कम्पनियां बना रही है। इसका उद्देश्य एक तरफ जहां बिजली की कमी झेल रहे पाकिस्तान को बिजली बनाना है वही पानी की किल्लत से जूझते पाकिस्तानी पंजाब व सिंध की खेती व लोगो की प्यास बुझाना है।

पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के लोग पिछले कुछ दिनों से इस प्रोजेक्ट के विरुद्ध, आंदोलन कर रहे है। वे लोग पाकिस्तान से इस बात को लेकर नाराज़ है कि पाकिस्तान उनके क्षेत्र के संसाधनों का दोहन तो भरपूर कर रहा है, लेकिन पिछले 7 दशकों में वहां के क्षेत्र व जनता के लिए कुछ भी नही किया है। उनको जहां साफ पीने का पानी नही मिल रहा है वहां, पाकिस्तान उनका पानी चुरा कर पंजाब सिंध की प्यास बुझाना चाह रहा है।

पिछले 2 दिनों से समाचार मिल रहे थे कि पाकिस्तान ने नीलम झेलम डैम पर काम कर रहे विदेशी चीनी व अन्य लोगो को आपातकालीन रूप से हटा कर मूल पाकिस्तान में भेज दिया है। यह समाचार जब मिला था तब उसके कारणों का पता नही था, लेकिन अब समाचार मिला है कि वहाँ हालात कुछ इस तरह के है कि उनके नीलम झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट क्षेत्र पर गोले बरस रहे है। यह क्षेत्र एलओसी के अंदर 30/35 किमी है और वहां भारतीय सेना अंदर गोले दाग रही है। लोग वहां से भाग कर सुरक्षित क्षेत्रो में और भीतर जा रहे है।

इसी पृष्टभूमि में बीजेपी द्वारा 5 से 7 अगस्त के लिए व्हिप जारी करना भी समझ मे आरहा है। मेरा आंकलन है कि भारतीय संविधान में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर से जो जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए 24 विधायकों व भारतीय लोकसभा के लिए 5 सांसदों की व्यवस्था छोड़ी गई है, उसके पूरा किये जाने को लेकर कोई व्यवस्था आने वाली है। जम्मू कश्मीर में चुनाव आने वाले है और ऐसे में उन विधायकों को चुनने की कोई व्यवस्था की शुरवात होने वाली है। शायद भारतीय संसद में कोई ऐसा बिल आने वाला है जो किसी अभूतपूर्व व्यवस्था को जन्म देगा जिससे वहां पर चुनावी प्रक्रिया ऑनलाइन या डाक व्यवस्था से की जा सके, ताकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग तथा विस्थापित कश्मीरी पंडित भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें |

यहां मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि यह सब पूर्णतः संवैधानिक तरीके से होगा क्योंकि भारत के संविधान में इसकी व्यवस्था है। अब क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है । सोचिये कि अगर यह हुआ, तो अलगाववादियों पर कैसी बिजली सी गिरेगी ?
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