शिकागो से ह्यूस्टन तक, सनातन की स्थापना का युद्ध - संजय तिवारी

ये जो मुश्किलों का जो अम्बार है।
मेरे हौसलों की वही मीनार है।।

यह नए भारत का उदघोष है। नए भारत का संकल्प है। यकीनन कल ह्यूस्टन में न कोई पारंपरिक प्रोटोकाल बचा और न ही कोई पुरानी कमजोरी नजर आयी। ऊर्जा और असीम संभावनाओं वाले भारत का जलवा। अमेरिका सहित विश्व भर की निगाहों में आश्चर्य। कौतूहल। विस्मय। विश्वगुरु भारत का यही स्वरूप कभी स्वामी विवेकानंद की संकल्पना में रहा होगा जब शिकागो की धर्मसभा में तालियां बजी होंगी। आज भारत के प्रधानमंत्री जब विश्वमहानायक के रूप में ह्यूस्टन के स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का परिचय करा रहे थे । उनके ही देश मे खुद मेजबान बनकर उनका स्वागत कर रहे थे। जिसने भी इस दृश्य को देखा विस्मय में डूब गया। अद्भुत। अविस्मरणीय। अकल्पनीय।

हाउडी मोदी कार्यक्रम ने विश्व को नया इतिहास दिया ,इसमें कोई संदेह नही। भारत और अमेरिका की ऐसी जुगलबंदी। गजब। एक तरफ प्रेसिडेंट ट्रम्प इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ हुंकार भर रहे थे तो दूसरी तरफ मोदी जी कश्मीर के विकास के लिए 370 के फेयरवेल की बात कह रहे थे। एक तरफ ट्रम्प दोनो देशों में रक्षा सहयोग और अंतरिक्ष सहयोग की बात कर रहे थे तो वही मोदी जी ऐलान कर रहे थे कि आतंकवाद के विरोध में प्रेसिडेंट ट्रम्प पूरे मन से साथ खड़े हैं। दोनो नेताओं के भाषण से भी ज्यादा आकर्षण भाषण के बाद भीड़ की परिक्रमा में दिखा। मोदी का हाथ पकड़े ट्रम्प पूरे गदगद भाव से कैसे स्टेडियम का चक्कर लगा रहे थे। मोदी जी तो ऐसे चल रहे थे जैसे ट्रम्प को चुनावी रैली में लोगो से कनेक्ट होने के गुर सीखा रहे हों। विश्व की राजनीति में किसी विश्लेषक ने शायद ही ऐसे दृश्य पहले कभी देखे हों। इसीलिए हाउडी मोदी कार्यक्रम के निहितार्थ अभी महीनों तक निकाले जाते रहेंगे।

वस्तुतः यह दो महाशक्तियों का नया गठबंधन है जिसे दुनिया ने देखा। ट्रम्प ने तो डंके की चोट पर ऐलान भी किया कि भारत के साथ अमेरिका की इतनी गहरी दोस्ती इससे पहले कभी नही थी। यह दोस्ती अभी और भी प्रगाढ़ होने वाली है। इस्लामिक आतंकवाद के खात्मे की लड़ाई में अभी बहुत कुछ होना है। ट्रम्प ने एक एक कर अपनी प्राथमिकताएं गिनायीं और मोदी जी के नेतृव में भारत की प्रगति की खुद ही बड़ी आख्या भी प्रस्तुत कर डाला। यह विश्लेषण योग्य विंदु है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जिस अंदाज में अपनी सरकार की उपलब्धियां सामने रखी तथा भारत से नए भारत की तीव्रगामी यात्रा का वृत्तांत प्रस्तुत किया वह विलक्षण रहा।

ऊर्जा और उत्साह से लबरेज भारतीय प्रधानमंत्री का गेस्चर देखने लायक था। यह गर्व का क्षण था। विश्वमंच पर भारत की ऐसी धाक पहली बार उभरी जिस पर दुनिया अब चर्चा करेगी। सारे पुराने नैरेटिव ध्वस्त हो गए। मोदी के नए भारत की तस्वीर उभर आई। विश्वगुरु भारत की पहली झलक। ह्यूस्टन अब विश्व इतिहास का ऐसा स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है जहां से विश्व का नया इतिहास शुरू हो रहा है

संजय तिवारी
संस्थापक - भारत संस्कृति न्यास
वरिष्ठ पत्रकार 

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