क्या कभी बंद होगी, नमक के नाम पर होने वाली लूट - स्व. राजीव दीक्षित का एक पुराना भाषण !



श्री राजीव दीक्षित द्वारा 1998 में दिए भाषण के अंश -

नाथू राम गौडसे ने तो गांधी के शरीर की ह्त्या की | इन लोगों ने तो गांधी के विचार को मार दिया है | ये नाथूराम गोडसे से बड़े हत्यारे हैं | शरीर तो बैसे भी नश्वर होता है, आज है कल नहीं रहेगा | विचार महत्वपूर्ण होता है किसी भी व्यक्ति का और नमक सत्याग्रह इस देश में एक विचार था | क्रांति का एक प्रतीक था | जोड़ दिया था नमक सत्याग्रह ने पूरे देश को | नमक पर टेक्स नहीं होना चाहिए वो गांधी जी के दिल की तकलीफ थी, हिन्दुस्तान के आख़िरी आदमी के चेहरे को ध्यान में रखकर | लेकिन ग्लोबलाईजेशन के नाम पर 50 पैसे किलो वाला नमक अब दस रुपये किलो में बिक रहा है | करोड़ों गरीबों को तो नमक से रोटी खाने के अलावा दूसरी चीज सपने में भी नहीं आती है | आजादी के बाद मेरे देश में नमक पर इतना टेक्स लगा दिया गया और कोई उफ़ भी नहीं कर रहा | जिनके पास प्रचुर मात्रा में धन है उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि नमक पचास पैसे किलो मिले या दस रुपये किलो मिले | लेकिन जिन लोगों के पास एक दिन में खर्च करने के मात्र पांच रुपये हैं, उन पर क्या बीतती है, यह सोचने की बात है | 

बहुत ही बर्बरता पूर्वक एक सरकारी फरमान ने पचास पैसे किलो मिलने वाले नमक को दस रुपये किलो बना दिया | फरमान निकला कि कहीं भी बिना आयोडीन वाला नमक नहीं बेचा जाए | मैं आपको जानकारी देदूं कि आयोडीन हर नमक में होता है | कोई भी नमक बिना आयोडीन के नहीं होता | क्योंकि नमक बनता है दरिया के पानी से और सूरज की रोशनी से | नमक बनाने में कोई टेक्नोलोजी नहीं लगती, कोई मशीन नहीं लगती | विज्ञान के अनुसार दरिया के पानी में सबसे ज्यादा आयोडीन होती है | साधारण बुद्धि वाले व्यक्ति को एक दिन में 125 माइक्रो ग्राम आयोडीन की जरूरत होती है बस | जबकि साधारण नमक में 175 माइक्रो ग्राम आयोडीन हम खा जाते हैं | तो इस देश में आयोडीन की कमी कहाँ है ? ये वो सबसे बड़ा झूठ है जो इस देश में बोला जा रहा है | 

ये झूठ तबसे बोला जा रहा है, जबसे ग्लोबलाईजेशन के नाम पर एक परदेशी कम्पनी को नमक बेचने का लाईसेंस दिया गया | और उस परदेशी कम्पनी का नाम है अन्नपूर्णा | असली नाम है उसका हिन्दुस्तान लीवर | इस देश के बड़े बड़े सेक्रेटरी इस घोटाले में शामिल हैं, जिन्होंने गलत रिपोर्ट पेश करके लोगों के मन में यह भय पैदा कर दिया कि आपको आयोडीन की डेफीसियेंसी हो गई है | इसलिए आपको आयोडीन युक्त नमक खाना चाहिए | जब सवाल पूछा गया कि आयोडीन की कमी के कारण होने वाले घेंघा रोग के मरीज कितने हैं, पूरे देश में.? तो जबाब आया कि भारत में कुल जितनी बीमारियों के मरीज है, उनमें 0.3 परसेंट मरीज घेंघा के हैं और वो भी केवल भारत के पर्वतीय इलाकों में हैं | पर्वतीय इलाकों में भारत की कुल आवादी का केवल 5 प्रतिशत निवास करता है | सामान्य इलाकों में आयोडीन की कोई कमी नहीं है | लेकिन पूरे देश में यह नाटक इस देश में चला और परदे के पीछे की सचाई यही है कि एक परदेशी कम्पनी को नमक बेचना था और करोड़ों का मुनाफ़ा कमाना था तो उसने पचास पैसे किलो के नमक को दस रुपये किलो बिकवाना शुरू करवा दिया है आयोडीन नामक धोखे के साथ | 

अब अगर आयोडीन युक्त नमक अगर बनाया जाए तो एक किलो नमक बनता है कच्छ में उसका कोस्ट ऑफ़ प्रोडक्शन आता है 25 पैसा | अगर उसमें आयोडीन और मिलाया जाये तो कुल खर्चा होगा अधिकतम और 25 पैसा | अर्थात कुल पचास पैसे में अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक तैयार | बैसे तो नमक पर टेक्स नहीं होना चाहिए पर बेदर्द सरकार के टेक्स आदि भी जोड़ लें, कुछ ट्रांसपोर्टेशन का भी मान लें तो तो भी आमदनी मिलाकर एक रुपये किलो में बिक जाना चाहिए | लेकिन बिक रहा है दस रुपये किलो | तो औसतन एक किलो नमक पर मुनाफ़ा साढ़े छः रुपये कम से कम | 

और सारे देश में कितना नमक बिक रहा है इस समय ? भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 40 लाख टन घरों में इस्तेमाल हो रहा है | तो एक साल में 24 सौ करोड़ रुपये आपकी जेब से लूटे जा रहे हैं | और उसी देश में जहां 40 करोड़ लोग गरीबी के रेखा के नीचे रहते हों, उनको दस रुपये किलो में आयोडीन युक्त नमक खरीदने को मिले, 100 रुपये किलो का प्याज खरीदना पड़े, ये आजादी के बाद पचास साल में इस देश की तकलीफ है |