प्रजातंत्र का रक्तरंजित इतिहास - कश्मीर


कश्मीर जो कभी सिख दरवार के अधीन हुआ करता था, 16 मार्च 1846 को डोंगरा राजा गुलाब सिंह के कब्जे में आ गया | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के सम्मुख सिख दरवार ने समर्पण किया और अंग्रेजों ने उन पर सात लाख पचास हजार रुपये का हर्जाना लगाया | जिसे सिख दरवार देने में असमर्थ रहा | महाराजा गुलाब सिंह ने वह राशि प्रदान कर रियासत अपने अधीन कर ली | 
1931 से इस मुस्लिम बहुल राज्य में राजा के खिलाफ “कश्मीर छोडो” आन्दोलन प्रारम्भ हुए, जिन्हें शुरूआती दौर में तो बलपूर्वक दवा दिया गया, किन्तु 1946 आते आते शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में यह आन्दोलन “आजाद कश्मीर” में परिवर्तित हो गया | 
17 अक्टूबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने धारा 370 को स्वीकृति दी, जिसके अनुसार राज्य को आंतरिक स्वायत्तता प्रदान की गई | भारतीय न्यायसीमा व अधिकार क्षेत्र केवल संचार, रक्षा और विदेश नीति तक सीमित कर दिए गए | 
जम्मू कश्मीर विधानसभा का गठन कश्मीर घाटी की 46 सीट, जम्मू क्षेत्र की 37 तथा लद्दाख की 4 सीटों से होता है | 1951 में कश्मीर में पहले चुनाव हुए, जिसमें ज्यादातर स्थानों पर शेख अब्दुल्ला के प्रत्यासी निर्विरोध निर्वाचित हुए | स्वाभाविक ही यह चुनाव कम चुनाव की नौटंकी अधिक था | चुनाव जीतने के बाद 1952 से शेख अब्दुल्ला ने आत्म निर्णय की मांग शुरू कर दी | 
1953 में शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर बख्शी गुलाम मोहम्मद को सत्ता सोंप दी गई | 30 अक्टूबर 1956 को राज्य की विधान परिषद् ने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग स्वीकार किया | 
27 दिसंबर 1963 को हजरत बल दरगाह से “पवित्र बाल” गुम हो जाने के बाद सम्पूर्ण घाटी में हिंसक प्रदर्शन प्रारम्भ हो गए | इस स्थिति को अपने अनुकूल मानकर 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया | ताशकंद समझौते के बाद भले ही पाकिस्तान ने 1965 के पूर्व की स्थिति स्वीकार कर ली हो, किन्तु उसने कश्मीर में गुरिल्ला युद्ध प्रारम्भ रखा | इसमें सहयोग करने हेतु पकिस्तान अधिकृत कश्मीर से अमानुल्लाह खान व मकबूल भट ने जम्मू कश्मीर नेशनल लिबरेशन फ्रंट के नाम से सशस्त्र संगठन का गठन किया, जिसका घोषित उद्देश्य कश्मीर को भारत से आजाद कराना रखा | यही संगठन आगे जाकर 1976 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) में परिवर्तित हो गया | 13 अप्रेल 1984 को भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में मकबूल भट को मार गिराया | 
1965 में जम्मू कश्मीर के संविधान में परिवर्तन हुआ और प्रधान मंत्री के स्थान पर मुख्यमंत्री शब्द प्रयोग प्रारम्भ हुआ | 1965 के चुनाव में कांग्रेस के गुलाम मोहम्मद सादिक मुख्यमंत्री बने |
1972 के चुनाव में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सैयद मीर कासिम मुख्यमंत्री बने |
1975 में नेशनल कांफ्रेंस के हाथ बाजी लगी व शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने |
1977 के चुनाव के बाद भी फिर से शेख अब्दुल्ला ही मुख्यमंत्री बने |
1982 में फारुख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने |
1984 में अवामी नेशनल कांफ्रेंस के गुलाम मोहम्मद शाह मुख्यमंत्री चुने गए |
1987 के चुनाव में एक बार फिर फारुख अब्दुल्ला की जीत हुई, जिस पर मुस्लिम यूनाईटेड फ्रंट ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए आपत्ति जताई | उसके साथ ही घाटी में अशांति और बढ़ गई | सैयद सलाहुद्दीन के नेतृत्व में उग्रवादी ग्रुप हिज-बुल-मुजाहिदीन की गतिविधियाँ तेज हो गईं | 1988 से आन्दोलन और उग्र हुआ तथा प्रदर्शनों और पुलिस गोलाबारी की घटनाएँ लगातार बढ़ने लगीं | 1989 में अफगानिस्तान से सोवियत सेनाओं की वापसी के बाद तो घाटी में आतंकी ऊर्जा और हथियारों की बाढ़ सी आ गई | पाकिस्तान प्रशिक्षित इन आतंकियों ने घाटी में उथलपुथल मचा दी | 
1996 में पुनः फारुख अब्दुल्ला के हाथ में सत्ता रही, वे ही मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए |
1990 में फारुख अब्दुल्ला के त्यागपत्र के बाद जगमोहन गवर्नर नियुक्त हुए | 19 जनवरी 1990 को तो हद ही हो गई, जब मस्जिदों से लाउडस्पीकर के माध्यम से हिन्दुओं को कश्मीर घाटी छोड़ने की हिदायत दी गई | न जाने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी साथ साथ | इसके बाद सेंकडों हत्याओं, लूटपाट व बलात्कारों के चलते घाटी से 162,500 पंडित परिवारों को पलायन करना पड़ा और मार्च आते आते घाटी हिन्दू विहीन हो गई | 

2002 में पहली बार प्यूपिल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने |
2005 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गुलाम नवी आजाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे |
2008 के विगत चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के ओमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे |
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1 टिप्पणियाँ

  1. मस्तके क श्मीर पे गिरती रही है
    पाक की लार
    पाक के चमचे
    खाते देश का
    बजाते दुश्मन देस का
    देशसे देश द्रोहियों को
    निकल फेको
    एसोंको जो चाहते देश में
    आशांतिका हो माहौल?
    खुले कियु बहकाने वाले ,
    वहशी कुत्ते घूम रहे
    देश में इनका है क्या काम ?
    जय हिन्द वन्देमातरम
    भारत माता की जय

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