कुम्भ के दौरान रेलवे किराए में वृद्धि के विरोध में होने जा रहा है "कुम्भ चलो, टीसी को जयश्रीराम बोलो" आन्दोलन |

Discrimination upon Hindus

दिल्ली से श्री उपानंद ब्रह्मचारी की रिपोर्ट के अनुवादित अंश 

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि, और किसी ने नहीं, बल्कि भाजपा ने महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित सिंहस्थ कुम्भ में जाने वाले गरीब हिन्दू तीर्थयात्रियों पर अतिरिक्त रेलवे किराये का बोझ डाला है । यह कांग्रेस समय से चला आ रहा पुराना फेशन है कि कुंभ, पुष्कर, अमरनाथ, पुरी या गंगासागर जाने वाले हिंदू तीर्थयात्रियों से अतिरिक्त किराया बसूल किया जाए | किन्तु भाजपा सरकार भी उसी प्रकार जजिया कर बसूले यह खेद का विषय है। मुगलों ने इसे “जिन्दा रहने का टेक्स” तो ब्रिटिश सरकार ने “तीर्थयात्रा विकास” नाम दिया, लेकिन केंद्र में या महाराष्ट्र में भाजपा के पास इसे जारी रखने का क्या स्पष्टीकरण है? दूसरी ओर लगता है कि जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि सिंहस्थ कुंभ पर्व के अवसर पर रेलवे द्वारा किये गए किराए की वृद्धि से अनजान हैं ।

किराए में इस प्रकार की वृद्धि के कारण, हिंदू श्रद्धालुओं को इस तीर्थयात्रा पर ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से किराए में की गई इस प्रकार की वृद्धि पर प्रतिक्रया जानने का प्रयास किया गया, तो यह बात सामने आई कि उन्हें इस वृद्धि की जानकारी ही नहीं थी । उनका जबाब था कि हम जानकारी लेकर फिर प्रतिक्रिया देंगे । और अगर इस प्रकार की बढ़ोतरी हुई है तो हम सम्बंधित व्यक्तियों से मिलकर इस तरह की बढ़ोतरी को वापस लेने का दबाब बनायेंगे । 

एक अन्य जनप्रतिनिधि का कहना था कि अगर ऐसा है तो हम इस तरह की बढ़ोतरी को तत्काल रद्द करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु से बात करेंगे। संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधि ने जबाब दिया कि वह आधे घंटे बाद बताएँगे, किन्तु उनका कोई जबाब नहीं आया ।

भक्तों का मानना है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा हिंदुओं के वित्तीय शोषण को लेकर दिखाई जा रही यह उदासीनता दर्शाती है कि वे किराये में वृद्धि को रोकने के प्रति गंभीर नहीं हैं । केवल चिंता व्यक्त करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि संबंधित व्यक्तियों को आगाह किया जाना चाहिए, ताकि यह वृद्धि तो वापस ली ही जाये तथा भविष्य में भी इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो ।

स्मरणीय है कि रेलवे प्रशासन ने सिंहस्थ के लिए चलाई जाने वाली विशेष लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए टिकट की जो दर तय की है, वह 'तत्काल' बुकिंग प्रणाली जैसी है, जिसके कारण श्रद्धालुओं को नियमित चलने वाली गाड़ियों की तुलना में 'सिंहस्थ' विशेष ट्रेनों के लिए 175 से 420 रु. अधिक भुगतान करना होगा । इसके अलावा किसी भी ट्रेन में नासिक से रेलवे टिकट की बुकिंग के लिए भक्तों को 5 से 10 रुपये अधिक देने होंगे । लाखों श्रद्धालु सिंहस्थ के अवसर पर नासिक जाते हैं | इसे देखते हुए रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए 15 अतिरिक्त ट्रेनों की घोषणा की है, लेकिन किराया वृद्धि के साथ | यह एक प्रकार से धार्मिक त्योहारों के अवसर पर हिंदुओं को हतोत्साहित करने और भड़काने की एक कुटिल चाल है ।

गरीब और असहाय हिन्दू तीर्थयात्रियों से रेलवे अधिकारियों द्वारा इस प्रकार अघोषित टेक्स तो बसूला जाता है, लेकिन तीर्थयात्रियों कि सुविधा बढ़ाने अथवा तीर्थ स्थान के विकास के लिए धेला भी खर्च नहीं किया जाता | अंग्रेजों के जाने के बाद केंद्र और महाराष्ट्र दोनों में सत्ता अधिकांशतः कांग्रेस के हाथ में रही । उनकी हिन्दू विरोधी नीति जगजाहिर होने के चलते ही वे गद्दी से उतारे गए | किन्तु अब दिल्ली और राज्य की सरकार अगर पुराने ढर्रे पर ही चलती दिखेगी तो असंतोष और निराशा स्वाभाविक है | 

इसके विपरीत वार्षिक अजमेर उर्स (राजस्थान) या हाजी मस्तान (मुंबई) के दौरान भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों में यात्रियों से कोई अतिरिक्त किराया नहीं लिया जाता है । अधिकांश हिंदू संत भाजपा की भूमिका से निराश हैं | 'जूना अखाड़े' के 'राष्ट्रीय संरक्षक महंत हरिगिरी जी महाराज ने कहा है कि सरकार को चाहिए कि हिंदू तीर्थयात्रियों पर लादी गई यह अनैतिक रेलवे किराया वृद्धि अविलम्ब वापिस ले ।

इस मुद्दे को लेकर हिंदुत्व समर्थक संगठनों द्वारा रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक ज्ञापन भेजा गया है | इस ज्ञापन के कुछ बिंदु इस प्रकार हैं –

* सरकार ने देश भर से 'सिंहस्थ पर्व' के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करने के बजाय किराए में इस तरह की बढ़ोतरी के माध्यम से बाधाएं पैदा करने की कोशिश की है?
* एक तरफ तो सरकार हज यात्रियों के लिए अनेक प्रकार की सुविधायें देती है, विशेष चिकित्सा सुविधा प्रदान करती है; जबकि यह हिंदू श्रद्धालुओं पर प्रतिबंध थोप रही है। सुविधाएं उपलब्ध कराने के स्थान पर हिंदुओं के त्योहारों के अवसर पर किरायों में वृद्धि सर्वथा अनुचित है।
* इस दुष्कृत्य से तो ऐसा लगता है, जैसे हिंदू अपने ही देश में आज भी गुलाम हैं । हिन्दुओं की तीर्थ यात्रा के अवसर पर किराए में वृद्धि के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।

साधु समाज और हिन्दू समाज की ओर से चेतावनी : 

प्राप्त समाचारों के अनुसार, नासिक कुंभ में उपस्थित अनेक शीर्ष संतों, महात्माओं और अखाड़ों ने यह निर्णय लिया है कि, अविलम्ब 72 घंटे के भीतर रेलवे किराये में हुई वृद्धि वापस न लिए जाने की स्थिति में राष्ट्रव्यापी 'रेल रोको' और 'कुंभ चलो-टिकट परीक्षक को जय श्री राम बोलो” आन्दोलन शुरू किया जाएगा | रेलवे किराए में बढ़ोतरी को भेदभावपूर्ण, अनुचित और हिंदू विरोधी बताते हुए होने जा रहा यह विरोध प्रदर्शन "बिना टिकट कुंभ जाएँ" आन्दोलन बन जाए तो कोई अचम्भा नहीं । इसके अतिरिक्त यदि नागा साधू भी आंदोलन के लिए निकले तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
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