सनातन संस्था पर संभावित प्रतिबन्ध कितना जायज ?

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नासिक | 24 सितम्बर 2015 :: सनातन संस्था सनातन हिंदू धर्म के प्रसार हेतु बना एक संगठन है। हत्यारों को ढूंढो और फांसी पर चढ़ा दो, किन्तु इसके लिए सनातन संस्था को दोषी ठहराकर उस पर प्रतिबंध लगाने या उसकी गतिविधियों को रोकने का अधिकार किसी को नहीं है । मीडिया से चर्चा करते हुए द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती ने यह बात कही । 

स्मरणीय है कि विगत 16 फरवरी को कोल्हापुर में कम्युनिस्ट नेता गोविंद पंसारे की दिन दहाड़े ह्त्या कर दी गई थी तथा ह्त्या में शामिल होने के संदेह में सनातन संस्था के एक साधक समीर गायकवाड़ को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था । इस ह्त्या का मास्टर माईंड माना जाने वाला रूद्र अभी भी फरार है | रूद्र पर कन्नड़ लेखक एम एम कलबुर्गी की ह्त्या में शामिल होने का भी संदेह जताया जा रहा है | 

महाराष्ट्र एसआईटी मडगांव (गोवा) में हुए दो बम विस्फोटों के आरोपी सनातन साधक, रुद्र पाटील और सारंग अकोलकर उर्फ ​​कुलकर्णी को 2009 के बाद से ढूंढ रही है । यह भी आरोप है कि सनातन के दो अन्य साधक रुद्र का चचेरा भाई मलगोंडा पाटिल और योगेश नाइक मडगांव में कथित रूप से दीवाली की पूर्व संध्या पर नरकासुर प्रतियोगिता वाले दिन 18 अक्टूबर को बम ले जा रहे थे | उसी दौरान अकस्मात उन बमों में विस्फोट हो गया, तथा दोनों की मृत्यु हो गई । 

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाये जाने के सन्दर्भ में कहा कि इस विषय पर निर्णय राजनीतिक दबाव में नहीं लिया जाएगा । गोविन्द पंसारे हत्याकांड की जांच अभी प्रगति पर है | सुरक्षा एजेंसियों को महत्वपूर्ण सुराग भी हाथ लगे हैं | अगर सनातन संस्था के खिलाफ ठोस सबूत मिले तो हम प्रतिबंध लगाने में संकोच नहीं करेंगे। निर्णय बिना किसी भय अथवा पक्षपात के होगा । 

उन्होंने कहा कि प्रारंभिक सूचना के आधार पर सीआईडी ​​टीम पुलिस हिरासत में लिए गए आरोपी की पूर्व गतिविधियों की जानकारी ले रही है। "सीआईडी ​​अधिकारियों ने दो लाख कॉल रिकॉर्ड की जाँच की है और प्राप्त जानकारी के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया । मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में वे पंसारे की हत्या के मामले में आरोपियों की भागीदारी को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुँच जायेंगे । 

मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्त किए गए विचार का समर्थन करते हुए राज्य के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा कि आज सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की बात कहना समय से पहले हो जाएगी। यह निर्णय लेने से पहले हमें पर्याप्त सबूत जुटाना होगा। हमारा निर्णय कानून की जांच के आधार पर होगा । हम राजनीतिक दबाव के आगे झुककर अगर संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो यह एक बुरा निर्णय होगा। अतीत में भी संगठनों पर प्रतिबंध लगाये गए, लेकिन बाद में सरकार को अदालत में हार का मुंह देखना पड़ा । 

अब बिहार से भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने कहा कि पिछली (कांग्रेस-राकांपा) सरकार ने संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उसे सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया गया था। 

वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत है, लेकिन फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसपर कोई निर्णय नहीं लिया। 

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गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने पर्यटन राज्य गोवा में सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अपने किसी एक सदस्य के अपराध के कारण आप पूरे संगठन को दोष नहीं दे सकते । 

वर्ष 2010 में जब सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी थी तब शिवसेना-प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने सनातन संस्था को परेशान करने के विरोध में 'दैनिक सामना' में एक संपादकीय के माध्यम से चेतावनी दी थी; उसके बाद धीरे-धीरे सनातन का विरोध कम होता गया । यह हैरत की बात है कि अपने कार्यकाल में सनातन संस्था पर प्रतिबन्ध न लगाने वाली कांग्रेस अब तथाकथित प्रगतिशील गुट के स्वर में स्वर मिलाकर सनातन पर प्रतिबंध की मांग कर रही है। 

शिवसेना के पार्टी चीफ उद्धव ठाकरे और कार्यकारी संपादक सांसद संजय राउत ने राष्ट्र और धर्म के संरक्षण से संबंधित सनातन की गतिविधियों का समर्थन किया है | दैनिक सामना के संपादकीय में प्रगतिशीलों का हिन्दू विरोधी मुखौटा उजागर शीर्षक से तथा मराठी में 'कुतरा, माकड, बोकड सनातन ची सुपारी' शीर्षक से भी एक आक्रामक लेख 21 सितंबरके अंक में प्रकाशित किया गया है।

साभार - 

http://hinduexistence.org/2015/09/24/hindus-will-vehemently-protest-if-ban-on-sanatan-sanstha-comes/
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