प्राचीन काल से पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षा करती उत्तराखण्ड स्थित “माँ धारी देवी”

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर कलियासौड़ में अलकनन्दा नदी के किनारे सिद्धपीठ माँ धारी देवी का मंदिर स्थित है ! माँ धारी देवी प्राचीन काल से उत्तराखण्ड की रक्षा करती है, सभी तीर्थ स्थानों की रक्षा करती है !

बहुत पुराना है “माँ धारी देवी” मंदिर का इतिहास 

माँ धारी देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है ! वर्ष 1807 से इसके यहां होने का साक्ष्य मौजूद है ! पुजारियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर इससे भी पुराना है ! 1807 से पहले के साक्ष्य गंगा में आई बाढ़ में नष्ट हो गए हैं ! 1803 से 1814 तक गोरखा सेनापतियों द्वारा मंदिर को किए गए दान अभी भी मौजूद है ! बताया जाता है कि ज्योतिलिंग की स्थापना के लिए जोशीमठ जाते समय आदि शंकराचार्य ने श्रीनगर में रात्रि विश्राम किया था ! इस दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने धारी माँ की आराधना की थी, जिससे वे ठीक हो गए थे ! तभी उन्होंने धारी माँ की स्तुति की थी !

परंपरागत रूप से माना जाता है कि धारी माता, चारों धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं और उत्तराखंड की जनता की रक्षक माता हैं !

हटाई माता ‘‘ धारी देवी ’’ की मूर्ति तो उत्तराखण्ड में हुआ ‘‘महाविनाश’’

इसे चाहें तो अंधविश्वास कहें या महज एक संजोग उत्तराखण्ड में हुई तबाही के लिए जहां लोग प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं उत्तराखण्ड के गढ़वाल वासी का मानना है कि माता धारा देवी के प्रकेाप से ये महाविनाश हुआ ! मां काली का रूप माने जाने वाली धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी ! उत्तराखण्ड के श्रीनगर में हाइडिल-पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था ! प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे के बाद ही केदारनाथ मे तबाही का मंजर आया और सैकड़ो लोग इस तबाही के मंजर में मारे गये ! 

इस इलाके में माँ धारी देवी की बहुत मान्यता है लोगों की धारणा है कि माँ धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के बाद बदला है ! एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना ! पौराणिक धारणा है कि एक बार भयंकर बाढ़ में पूरा मंदिर बह गया था लेकिन माँ धारी देवी की प्रतिमा एक चट्टान से सटी धारो गांव में बची रह गई थी ! गावंवालों को माँ धारी देवी की ईश्वरीय आवाज सुनाई दी थी कि उनकी प्रतिमा को वहीं स्थापित किया जाए, यही कारण है कि माँ धारी देवी की प्रतिमा को उनके मंदिर से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा था !

यह मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव में है ! 16 जून 2013 को शाम 6 बजे धारी देवी की मूर्ति को हटाया गया और रात्रि आठ बजे अचानक आए सैलाब ने मौत का तांडव रचा और सबकुछ तबाह कर दिया जबकि दो घंटे पूर्व मौसम सामान्य था !

मां काली का रूप मानी जाने वालीं धारी देवी के इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि 1880 में भी धारी देवी को हटाने का प्रयास हुआ था, तब भी केदारनाथ में भयंकर बाढ़ आ गई थी ! उसके पश्चात धारी देवी को फिर किसी ने हटाने का प्रयास नहीं किया ! मान्यताओं के मुताबिक धारी देवी और केदारनाथ दोनों की स्थापना तंत्र-शास्त्र पर की गई है, जो पहाड़ों और नदियों की बाढ़ से इस क्षेत्र की रक्षा करती हैं !

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें