अनोखे ‘शालिग्राम’ जिनका 200 वर्षों से बढ़ रहा है आकार ! कहा जाता है जीवित शालिग्राम, वैज्ञानिकों के लिए भी है अबूझ पहेली !


पश्चिम चंपारण के बगहा पुलिस जिला स्थित पकीबावली मंदिर के गर्भगृह में एन अनोखे ‘शालिग्राम’ विराजमान है ! कहा जाता है कि आज से लगभग 200 वर्षों पूर्व पहले नेपाल नरेश जंग बहादुर ने इसे भेंट किया था, उस समय शालिग्राम पिंडी का आकार मटर के दाने से कुछ बड़ा था तथा इसे चुनौटी (खैनी का डब्बा) में रखकर भारत लाया गया था ! इसे लाकर यहां बावली किनारे मंदिर के गर्भगृह में रख दिया गया ! आज लगभग नारियल से दो गुना आकार का हो गया है और निरंतर इस जिंदा सालीग्राम का विकास जारी है ! यहां के लोग इसे जीवित शालिग्राम भी मानते हैं ! वैज्ञानिकों ने भी पिंडी के आकार बढ़ने को लेकर शोध भी किया, परन्तु शालिग्राम के आकार के बढ़ने का रहस्य नहीं खुल पाया !

बावली के किनारे हैं मंदिर, बिड़ला समूह ने दिखाई थी रूचि

बकौल मंदिर पुजारी इस मंदिर के जिर्णोद्धार के निमित्त बिड़ला समूह ने अपनी देख-रेख में लेने की पहल की थी, परंतु स्थानीय हलवाई समुदाय ने इस रहस्यमय मंदिर को बिड़ला समूह को नहीं दिया ! जानकारी के लिए बता दें कि यह सिद्ध पीठ मंदिर हलवाई समुदाय के संरक्षण में है ! हलवाई समुदाय को डर था कि बिड़ला समूह को मंदिर देने पर मंदिर के निर्माणकर्ता रामजीयावन साह का नाम समाप्त हो जाएगा ! आज मंदिर की मेहराबों व दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं ! वहीं बावली के तट पर स्थित कई मंदिरें ढ़ह चुकी हैं ! मंदिर की जीर्ण शीर्ण अवस्था होने के बावजूद यहां देश के कौने कौने से श्रद्धालु तिलेश्वर महाराज के दर्शन करने आते हैं ! स्थानीय लोग भी आगन्तुकों का यथाशक्ति स्वागत करते है !

शालिग्राम की भारत आने की कथा 

बंद हो चुके मंदिर ट्रस्ट द्वारा मुद्रित एक पुस्तक के अनुसार लगभग 200 वर्ष पूर्व तत्कालीन नेपाल नरेश जंग बहादुर अंग्रेज सरकार के आदेश पर किसी जागीरदार को गिरफ्तार करने के लिए निकले थें ! तब उन्होंने संयोगवश बगहा पुलिस जिला में ही अपना कैंप लगाया था ! उस वक्त रामजीयावन साह खाड़सारी(चीनी) के उत्पादक थे ! रामजीयावन साह नेपाल नरेश की बगहा में ठहरने की सूचना पाकर, एक थाल में चीनी भेंट करने के लिए कैंप गये ! राजा ने खुश होकर उन्हें नेपाल आने का निमंत्रण दिया ! रामजीयावन साह के नेपाल जाने पर भव्य स्वागत हुआ और वहां के राजपुरोहित ने उन्हें एक छोटा सा सालीग्राम भेंट किया और अवगत कराया कि यह तिलेश्वर महाराज हैं ! रामजीयावन साह ने उस सालीग्राम को चुनौटी में करके बगहा(भारत) लाया तथा अपने पैसों से एक विशालकाय मंदिर प्रांगण की स्थापना की ! मंदिर प्रांगण स्थित तालाब(बावली) के पूर्वी तट पर तिलेश्वर महाराज की स्थापना हुई, जहां आज भी वे अपनी अद्भुत छटा बिखेरते हैं !

पकीबावली मंदिर प्रांगण में स्थित तालाब के चारों ओर अनेक मंदिर हैं ! स्थानीय लोगों का मानना है कि बावली जबसे बना है अभी तक नहीं सुखा है ! लोगों का यह भी मानना है कि इस बावली में सात कुएं है ! वहीं बावली के पश्चिमी तट पर ग्यारह रूद्र दूधेश्वर नाथ मंदिर तथा उत्तरी तट पर गणेश मंदिर है ! इस सिद्ध पीठ स्थान के चारों ओर उद्यान भी है ! 

क्या है शालिग्राम ?

शालिग्राम दुर्लभ किस्म के चिकने और आकार में बहुत छोटे पत्थर होते हैं ! ये शंख की तरह चमकीले होते हैं ! शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप माना है ! वैष्णव इनकी पूजा करते हैं ! ये रंग में भूरे, सफ़ेद या फिर नीले हो सकते हैं ! आमतौर पर शालिग्राम नेपाल के काली गंडकी नदी के तट पर पाए जाते हैं ! कहते हैं कि एक पूर्ण शालिग्राम में भगवाण विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है !

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें