क्या होगा जब एक लाख गाय संसद घेरेंगीं ?

आज 7 नवम्बर है | वह दिन जब 1966 में स्वामी करपात्री जी के नेतृत्व में गौहत्या बंदी की मांग को लेकर हजारों गौभक्त दिल्ली पहुंचे थे | संसद का घेराव हुआ था और मांग की गई थी कि कतलखाने बंद हों तथा गौहत्या बंदी के लिए क़ानून बनाया जाए । बिल पास करना तो दूर इंदिरा गांधी की सरकार ने उन गौभक्तों और संतों के उपर गोलियां चलवा दी | सैंकड़ो गौ सेवक एवं संत मारे गए। इस आन्दोलन में 250 संतों ने अपने प्राणों की आहुति दी।

स्मरणीय है कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने गृहमंत्री गुलजारी लाल नन्दा को जब आन्दोलनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया तब नन्दा ने कहा कि यह कार्य उचित नहीं है | उसके बाद उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया।

कैसा विचित्र संयोग था कि जिस दिन इंदिरा गांधी ने गोलियां चलवाई थी उस दिन गोपा अष्टमी थी। और जिस दिन इंदिरा गांधी को गोली मारी गई उस दिन भी गोपा अष्टमी थी। यह भी कहा जाता है कि उस समय स्वामी करपात्री जी ने उन्हें श्राप दिया था | यह संतों की आह का ही परिणाम था | 

आज एक बार फिर देशभर में गौरक्षा के लिए एक बड़े आन्दोलन की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। और शायद आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि इस आन्दोलन की अगुवाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक या फिर विश्व हिन्दू परिषद के बजाए देशभर में संचालित होने वाले गौशालाओं के प्रमुख करने वाले हैं । लगता है अब गौमाता स्वयं अपनी लड़ाई लड़ने के लिए अगले वर्ष संसद भवन पहुँचेंगी।

इस आन्दोलन की अगुवाई राजस्थान स्थित पथमेढ़ा गौधाम के स्वामी दत्तशरणानन्द जी महाराज उर्फ पथमेढ़ा महाराज करेंगे। गौरतलब हो कि स्वामी दत्तशरणानन्द की गौशाला में वर्तमान में 01 लाख 28 हजार गाय पल रही हैं। योजना यह बनी है कि संसद पर प्रदर्शन के दौरान नर,नारी से लेकर स्वयं गौ माता भी पहुंचेंगी। आन्दोलन की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है।

यह अलग बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी साठ के दशक से लेकर अब तक दर्जनों बार गौरक्षा के लिए प्रस्ताव पास कर गोवध बन्दी की मांग की है । सन् 1985 ई. में विहिप ने गोवंश हत्या बन्दी हेतु राष्ट्रव्यापी प्रखर आन्दोलन करने की घोषणा की थी। परंतु कुछ ही वर्षों के बाद रामजन्म भूमि आन्दोलन के चलते गोरक्षा आन्दोलन ठण्डा पड़ गया।

ऐसा ही एक और आन्दोलन विश्व मंगल गोग्राम यात्रा का था। जिसमें जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती के नेतृत्व में गोभक्तों ने गांव-गांव में जाकर गोरक्षा के लिए लोगों को जागृत किया। 28 सितम्बर 2009 से 17 जनवरी 2010 के बीच आयोजित इस यात्रा की मुख्य व उपयात्राओं के अन्तर्गत देश के 4.11 लाख ग्रामों में सम्पर्क हुआ था । कुल 2.34 लाख स्थानों पर हुई सभाओं में लगभग डेढ़ करोड़ जनता उपस्थित रही है। गोवंश रक्षा की माँग के समर्थन में लगभग साढ़े आठ करोड़ नागरिकों के हस्ताक्षर हुए हैं, जिनमें सभी मत-पंथों के लोग सम्मिलित थे। अब देखने योग्य बात है, कि नई परिस्थितियों में जनता के बीच से उठा यह आन्दोलन, आजादी के बाद से चली आ रही इस समस्या का क्या समाधान कर पायेगा |

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