विश्व मानवता पर ग्लोबल वार्मिंग का मंडराता खतरा और गंदी भारतीय राजनीति |


कल जब ट्विटर पर कांग्रेसियों व आप समर्थकों द्वारा चलाया गया ट्रेंड #EkJumlaInParis देखा तो सच में बहुत हैरत हुई, और उन पर तरस भी आया | स्मरणीय है कि आज फ्रांस की राजधानी पेरिस के बाहर, लि बौर्गेट में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर दुनिया भर के नेतागण ग्लोबल वार्मिंग पर अंकुश लगाने के लिए विचार विमर्श करने जा रहे हैं | एक ओर तो मानवता पर मंडराता ग्लोबल वार्मिंग का खतरा, उसे रोकने के लिए प्रयत्न, और दूसरी ओर छुद्र राजनैतिक स्वार्थों के चलते इन प्रयत्नों का मखौल उड़ाते हमारे विरोधी दलों के शूरमा | उन्हें न देश और समाज से कोई मतलब है और नाही मानवता से कोई बास्ता | उन्हें तो बस कसक है कुर्सी छिनने की | 

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म वर्ष हो सकता है | अतः पेरिस में शुरू होने वाला यह ऐतिहासिक संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन, इतिहास में जलवायु को लेकर दुनिया के नेताओं का सबसे बड़ा जमावड़ा है, जिसमें विश्व के 190 से अधिक देशों के राष्ट्र प्रमुख भाग लेंगे । और बैचारिक दृष्टि से दिवालिया छुटभैये कांग्रेसी और आपिये हैं कि इस सम्मेलन पर आपत्ति जता रहे हैं, मजाक उड़ा रहे हैं |

इस शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करके जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक नई अंतरराष्ट्रीय कार्य योजना पर सर्व सम्मति बनाने का प्रयास होगा | सौभाग्य से वहां कोई सहिष्णुता जैसे किसी काल्पनिक मुद्दे पर विषय परिवर्तन नहीं होगा, मानवता के कल्याण पर ही चर्चा केन्द्रित रहेगी | आमतौर पर विश्व के सभी नेताओं का मानना है कि वैश्विक औसत तापमान में हो रही खतरनाक वृद्धि से बचना होगा, इसलिए लगता है कि इस गंभीर विषय पर कोई सर्वसम्मत समझौता हो ही जाएगा ।

कल रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सहित 190 से अधिक देशों के नेताओं का स्वागत किया ।

शिखर सम्मेलन ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करके जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का एक प्रयास है । 

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