प्रेरणादायी शख्सियत – बेसहारा मरीजों के लिए ईश्वर के दूत पटना के सरदार गुरमीत सिंह !

कहते हैं कि पैदा करने से बड़ा पालनेवाला होता है और ये भी कहते हैं कि भगवान् कभी-कभी मदद करने इंसान के रूप में भी आता है ! कुछ ऐसी ही कहानी हैं पटना के गुरमीत सिंह की ! सरदार गुरमीत सिंह असहाय और बीमीरी से जूझ रहे लोगों के लिए ईश्वर के दूत से कम नहीं है! गुरमीत सिंह लगभग तीस वर्षों से जरूरतमंद लोगों को मदद के साथ बीमारी से लड़ने का हौसला भी दे रहे है ! गुरमीत हर रात पीएमसीएच में असहाय और बेसहारा मरीजों की सेवा कर उनका ध्यान रखते है! 

गुरमीत सिंह ने अपनी जिन्दगी का उद्धेश्य इन्ही असहाय और बीमार लोगों की सेवा करना ही बना लिया है फिर चाहे कोई भी त्यौहार हो या अन्य पारिवारिक कार्यक्रम वह इन सभी कार्यक्रमों से किनारा कर चुके है! इस पुण्य कार्य के लिए यह शख्स अपनी आमदनी का 10 प्रतिशत इन असहाय मरीजों के भोजन एवं उपचार पर खर्च करते है ! गुरमीत प्रतिदिन शाम अपने घर से खाना लेकर निकलते हैं और पीएमसीएच के लावारिस वार्ड के मरीजों को खुद अपने हाथों से ही खिलाते हैं! 

पीएमसीएच वह वार्ड है जहाँ डॉक्टर भी जाने से कतराते है! ऐसे में गुरमीत का खुद ही इस तरह का काम करना मानवता के लिए एक मिसाल है! 

सरदार महेंद्र सिंह के पुत्र गुरमीत सिंह जी अपने पांच भाइयों के साथ बिहार की राजधानी पटना में लालजी तोला में निवास करते है! रेडिमेड कपड़ों की अपनी दूकान में अपने भाइयों के साथ दिनभर दूकान में व्यस्त रहते है एवं शाम के समय असहाय बीमारों की सेवा! 

गुरमीत सिंह के परिवार में कोई फिजूलखर्ची नहीं होती बल्कि उस पैसे को बचाकर वो जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगाते हैं! गुरमीत के 5 बेटे हैं और सबका अलग अलग व्यवसाय है और जिस दिन वो खुद पीएमसीएच नहीं जा पाते उस दिन उनके बेटे जाकर खाना खिलाने का काम करते हैं! यही नहीं खाना खिलाने के पश्चात वह मरीजों के बिस्तर एवं कपड़ों को साफ़ करते है, उनके साथ कुछ समय व्यतीत करते है उनके हाल चाल पूछते है और सभी त्यौहार भी उन्ही के साथ मनाते है!

गुरमीत सिंह को अस्पताल के लोग सरदार जी के नामसे संबोधित करते है! समाज के गरीब और असहाय लोगों के लिए कुछ करने का जज्बा रखनेवाले गुरमीत सिंह जी विगत तीस वर्षों से उन लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते है जिनका साथ उनके अपनों ने ही छोड़ दिया है! न कडाके की ठण्ड की परवाह न चिंता बरसात की रात की! वह अपनी दूकान बंद कर सीधे पीएमसीएच के लावारिस वार्ड में पहुँच जाते है! 

गुरमीत सिंह गुरु नानकदेव के उपदेशो में पूरी आस्था रखते है और वह मानते है कि गुरु नानकदेव के उपदेशो की शिक्षा मानव सेवा को बढ़ावा देती है! गुरमीत जी लावारिस और आसक्तो के मुँह को ही दान पेटी मानते हैं! गुरमीत सिंह जी अब तक अपनी 30 साल की सेवा में ऐसे करीब 150 लोगों की सेवा कर उन्हें अपने घर पहुंचा चुके है! वह कहते हैं कि किसी की बेटी की शादी हो तो वो बेहिचक आकर उनसे मदद मांग सकता है!

गुरमीत सिंह अभी तक लगभग 20000 से अधिक लोगों को भोजन करा कर यह साबित कर चुके है कि समाज में सेवा के लिए किसी संस्था या संगठन की आवश्यकता नहीं है! यदि मन में सेवा भाव हो तो व्यक्ति अकेले ही सब कुछ कर सकता है!

निःस्वार्थ सेवा की ये कहानी हमें एक बार फिर से स्मरण कराती है कि मानवता आज भी जीवित है! एक और जहां सम्पूर्ण दुनिया अपने अपने स्वार्थ के लिए किसी की जान लेने पर उतारू है वहां कुछ ऐसे भी गुमनाम ईश्वर के दूत है जो मानव सेवा के कार्य को निस्वार्थ भाव से अंजाम दे रहे है!

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