मुग़ल आक्रान्ता मोहम्मद बिन कासिम को ३२ वर्षों तक सिंध तक सीमित रखने वाले महान हिन्दू राजा दाहिर !

हिन्दू और विशेषकर सिन्धी ही उन बहादुर और महान हिन्दू सिन्धी राजा को नहीं जानते जिनका नाम था ‘ राजा दाहिर ‘ ! हालांकि कुछ सिंधी अभी भी आभार के साथ उन्हें याद करते हैं और 20 जून को चच राजवंश के धार्मिक राजा दाहिर की याद में मनाते हैं ! अपनी मातृभूमि से सच्चे प्यार की अगर कोई कहानी आपको पढ़नी हो तो राजा दाहिर का इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिए ! यदि राजा दाहिर चाहते तो अपनी जान बचाकर अपना साम्राज्य बढ़ा सकते थे परन्तु अपनी मातृभूमि से राजा दाहिर को इतना प्यार था कि उन्होंने युद्ध भूमि में अपना बलिदान दे दिया किन्तु अपनी मातृभूमि को वह छोड़कर नहीं भागे वह भी यह जानते हुए कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिवार पर अत्याचार किये जायेंगे !

पश्चिम में एक कहावत है कि “ पहले दुश्मन को बुरा नाम दो और फिर उसे मार दो ! “ ऐसा कुछ ही मुस्लिम इतिहासकारों ने किया ! उन्होंने सिंध के आखिरी हिन्दू राजा को बदनाम करने में कोई कसर न छोड़ी , क्यूंकि उस हिन्दू राजा ने अकेले अपनी दम पर 32 वर्षों तक मुग़ल आक्रान्ता मोहम्मद बिन कासिम को सिंध से आगे नहीं बढ़ने दिया !
उन्होंने पुष्करणा ब्राह्मण राजा को बदनाम करने के लिए अपनी ही बहन से विवाह करने के मनगढंत किस्से लिखने शुरू किये ! अब अगर कोई हिन्दू धर्म को समझता है तो वो समझ सकता है कि अपनी ही बहन से विवाह करना हिन्दू धर्म की नही दुसरे धर्मों की प्रथा है और ये मुस्लिम इतिहासकारों का सफेद झूठ था, उनको आने वाले समय में बदनाम करने के लिए !

इन इतिहासकारों ने एक और झूठ फैलाया कि ये महान हिन्दू राजा हर रात को एक नवयौवना (कुंवारी लड़की) का बलात्कार करता था ! 32 वर्षों तक राजधर्म का पालन करने वाले राजा के बारे में ये भी महज़ एक झूठ था !]

हिन्दू इतिहास पर गौर किया जाए तो पुण्य सलिला सिंध भूमि वैदिक काल से ही वीरों की भूमि रही है ! वेदों की ऋचाओं की रचना इस पवित्र भूमि पर बहने वाली सिंधु नदी के किनारों पर हुई ! इसी पवित्र भूमि पर पौराणिक काल में कई वीरों व वीरांगनाओं को जन्म दिया है ! जिनमें त्रेता युग में महाराज दशरथ की पत्नी कैकेयी और द्वापर युग में महाराजा जयदरथ का नाम भी शामिल है !

महाराजा दाहिर को 7 राज्य की सत्ता संभालते समय ही कई प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा ! उस समय गुर्जर, जाट और लोहाणा समाज उनके पिता द्वारा किए गए शासन से नाराज थे, तो ब्राह्मण समाज बौद्ध धर्म को राजधर्म घोषित करने के कारण नाराज थे ! मगर राजा दाहिर ने सभी समाजों को अपने साथ लेकर चलने का संकल्प लिया ! आगे चलकर महाराजा दाहिर ने सिंध का राजधर्म सनातन हिन्दू धर्म को घोषित कर ब्राह्मण समाज की भी नाराजगी दूर कर दूरदर्शिता का परिचय दिया !
दाहिर की पत्नी ने कई दूसरी औरतों के साथ जौहर कर लिया ताकि कोई भी अरबी उनके मृत शरीर से भी बलात्कार न कर सके !

पाकिस्तानी मुस्लिम सिंधी को भी राजा दाहिर के बारे में मालूम होना आवश्यक है एवं उनका शुक्रगुजार भी होना चाहिए कि उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के भागे हुए परिवार को खतरनाक उमायादों से बचाते हुए अपने पास रहने का स्थान दिया !

राजा दाहिर ने अपने महल में इमाम हुसैन के अनुयायी मुहम्मद बिन अल्लाफी को रहने की जगह दी ! उस समय अल्लाफी को उमायाद जान से मार देने के लिए तलाश रहे थे क्योंकि अल्लाफी अहल-ए-बैत (पैगम्बर मोहम्मद का सीधा खून) का आखिरी वंशज था !

यही नही राजा दाहिर ने पैगम्बर मोहम्मद के पौते हुसैन को भी शरण देने की पेशकश की थी ! मगर जब हुसैन शरण के लिए बढ़ रहा था, उसे कर्बला इराक में बंदी बना लिया गया और बाद में कड़ी यातनाएं देते हुए मार दिया गया !

राजा दाहिर एक महान हिन्दू शासक थे जिहोने युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए प्राण न्योछावर किये यह भयंकर युद्ध सन 712 ई. में हुआ था इस युद्ध में राजा दाहिर के साथियों ने ही उन्हें छल-कपट से मार दिया था ! उनकी सुंदर बेटियों को इस्लामी परंपरा के तहत युद्ध में लूट के रूप में कब्जा लिया गया ! अरब से भारत लूट के इरादे से आये मुहम्मद बिन कासिम ने उनकी बेटियों को उस समय के खलीफा सुलेमान बिन अब्द अल मलिक के सामने उपहार के रूप में भेजा !

अंत में उनकी ही बेटियों ने पहले सूझ बूझ और अक्लमंदी से खलीफा के हाथों मुहम्मद बिन कासिम को मरवा कर अपना बदला लिया और बाद में खुद को खलीफा से बचाते हुए एक दुसरे को ही मार दिया !

स्वतंत्र भारत का दुर्भाग्य है कि पराक्रमी राजा दाहिर का नाम भी हममें से अधिकाँश नहीं जानते ! इतिहासकारों ने भी उनके साथ न्याय नहीं किया ! अपने साथियों के ही धोखे का शिकार हुए राजा दाहिर की मृत्यु के बाद ही आतताई मोहम्मद बिन कासिम देश में घुस पाया था !

राजा और उनकी बेटियों के बलिदानों से प्रेरित होकर ही किसी सिंधी लेखक ने यह पंक्तियां लिखी हैं- 

“ हीउ मुहिजो वतन मुहिजो वतन मुहिजो वतन,
माखीअ खां मिठिड़ो, मिसरीअ खां मिठिड़ो,
संसार जे सभिनी देशनि खां सुठेरो।
कुर्बान तंहि वतन तां कयां पहिंजो तन बदन,
हीउ मुंहिजो वतन मुहिजों वतन मुहिजो वतन । “

- दिवाकर शर्मा 
सम्पादक "क्रांतिदूत"
मोवाईल - 8109449187

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3 टिप्पणियाँ

  1. Kabhi bhi swikar nahi the Muslims attakars kaie vir kings ne inki barbarata ko roki or inhe acha sabak diya lekin gart me chale gaye gaddaro ki wajah se itisahkaro ne bhi sahi c

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  2. Ase pundaatma ka itihas dabaya gya h hind ka sar fhakkre se upar uthgya

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  3. Thanks sir ji. Itihaskaro ne bhartiye rajao ko badnam kiya hain .muglo ki pransansa jyada ki.

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