गुजरात सरकार देने जा रही है निर्धन सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ ! लेकिन विचारणीय मुद्दा कि गरीब कौन ?

गुजरात के पाटीदार आरक्षण आन्दोलन के संयोजक और सूरत जेल में बंद हार्दिक पटेल ने एक पत्र क्या लिखा, गुजरात सरकार की बाछें खिल गईं ! जेल से हार्दिक पटेल ने शेष सवर्ण समाज से भी आन्दोलन में साथ देने की अपील करते हुए लिखा था कि आरक्षण आन्दोलन केवल पाटीदार समाज के लिए नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण सवर्ण समाज के हित में है !

इस पत्र के प्रकाश में आने के बाद गुजरात सरकार ने आनन् फानन में गैर आरक्षित वर्ग में आने वाले सभी लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का मसौदा तैयार कर लिया है ! इसके मुताबिक़ 5 से 7 फीसदी आरक्षण निर्धन सवर्णों को दिया जाएगा ! यह भी माना जा रहा है कि रविवार को होने वाले पाटीदारों के जेल भरो आन्दोलन के बाद राज्य सरकार इस फैसले की विधिवत घोषणा कर सकती है ! मसौदे में यह विशेष ध्यान रखा गया है कि वर्तमान में दिए जा रहे 49 प्रतिशत जाति आधारित आरक्षण पर कोई प्रभाव न पड़े ! उसे यथावत रखा जाएगा !

स्मरणीय है कि गुजरात में वर्तमान व्यवस्था के अनुसार अनुसूचित जन जाति को 15 फीसदी, अनुसूचित जाति को 7 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है !

शेष बचे अनारक्षित समुदाय को बचे हुए 51 फीसदी में से 5 – 7 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाएगा ! ओबीसी के समान इस वर्ग में भी आय की सीमा छः लाख से कम रखी गई है ! अर्थात पचास हजार रुपये मासिक से कम कमाने वाला गरीब ? 

यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि 2008 तक पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में आय सीमा ढाई लाख थी, जिसे तत्कालीन मनमोहन सरकार ने बढ़ाकर साढ़े चार लाख किया था ! 2013 में यह आय सीमा 4.5 लाख से बढ़ाकर छः लाख की गई ! राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इस सीमा को दस लाख करने का सुझाव दे चुका है ! 

ऐसे में ये सवाल उठना भी लाज़िमी है कि महज़ लाख-डेढ़ लाख रुपये या फिर उससे भी कम आय वाले लोग सरकारी नौकरियों में इन लोगों से कैसे प्रतिस्पर्धा कर पाएँगे जिनकी आमदनी पचास हजार रूपए मासिक है ?

क्या आपको नहीं लगता कि क्रीमी लेयर की जागरूकता काबिले तारीफ़ है ? जरा सोचिये कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को क्या कभी भी अवसर मिलने की गुन्जाईस है ?

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