संस्कृत को नष्ट करने के षड़यंत्र !

संस्कृत भाषा विश्व के समस्त हिन्दुओं को एक कर सकती है। इसी तथ्य को ध्यान में रख कर धीरे धीरे षड्यंत्र रच कर भारत से संस्कृत को लगभग मिटा सा दिया है । केवल कुछ गाँव ही हैं जहाँ आज भी संस्कृत भाषा का प्रयोग होता है । 

जैसा की सभी जानते हैँ सनातन धर्म के सभी ग्रंथ और पुराण संस्कृत भाषा मेँ और देवनागरी लिपि मेँ लिखे गये हैँ, अर्थात् मूल संस्कृत ही है। समय के परिवर्तन के साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ भी बनीँ जैसे - मराठी, गुजराती, कन्नड, तमिल, हिँदी, नेपाली, उडिया, मलयालम, राजस्थानी, सिँधी, इत्यादि। इनके अतिरिक्त बहुत सी भाषाएँ समय के साथ काल के गाल मेँ समा गयीँ। लेकिन जितनी भी भाषाएँ बनी, सभी संस्कृत से ही बनी हैँ सभी भाषाओँ मेँ संस्कृत के शब्द मिलते हैँ। यहाँ तक की कथित अंग्रेजी के शब्दकोश मेँ संस्कृत के शब्द अधिक मात्रा मेँ हैँ और साथ मेँ हिँदी के शब्द भी हैँ बाकीँ अन्य देशोँ के शब्दोँ को मिलाकर अंग्रेजी बनी है। 

स्वर्णिम काल मेँ भारत मेँ संस्कृत सर्वमान्य थी क्योँकी पहले बुद्धमान लोग पैदा होते थे। लेकिन आज कलियुग के प्रभाव के कारण मूर्खोँ के झुण्ड तैयार होते जा रहे हैँ जो संस्कृति की दुर्गति किये हुए हैँ। जब संस्कृत सर्वमान्य थी तब भारत महाज्ञानी विश्वगुरु और अखण्ड था। सभी सुःखपूर्वक रहते थे कोई मारा मारी नहीँ थी और आज स्थिति ये है की कौन सा देश किस देश पर कब परमाणु अस्त्रोँ का प्रयोग करके उसे नष्ट करदे कोई पता पता नहीँ। 

ये तो अधिकतर लोग जानते हैँ की हमारे पुस्तकालयोँ को जलाया एवं गुरुकुलोँ को नष्ट किया गया। लेकिन ये बहुत अल्प मात्रा मेँ लोग जानते हैँ की विदेशी लोगोँ ने भारी मात्रा मेँ पुस्तकोँ को चुराकर भारत से बाहर ले गये। जिनका आज गुप्त रुप से संस्कृत से अन्य भाषाओँ मेँ अनुवाद किया जा रहा है और साथ मेँ परीक्षण करके भारत के विरुद्ध ही प्रयोग मेँ लाया जा रहा है। जो आक्रमणकारी भारत को नष्ट भ्रष्ट करना चाहते हैँ, उनके जासूस भारत मेँ ही छिपकर सनातन संस्कृति और भारत के विरुद्ध षड्यंत्र कर रहे हैँ।

उन्हीँ के कुछ कठपुतली और जासूस संस्थाऐँ "संस्कृत भाषा" का पुरजोर विरोध कर रही हैँ। संस्कृत भाषा के साथ षड्यंत्र पर षड्यंत्र किये जा रहे हैँ। संस्कृत भाषी पुस्तकोँ का अपमान किया जा रहा है। अभी एक विदेशी षड्यंत्रकारी संस्थाओँ और देशोँ द्वारा संस्कृत के संड्गणक (SANSKRIT OPERATING SYSTEM- COMPUTER SOFTWARE) के साथ छेड़छाड़ की गई कई शब्दोँ के अर्थ बदले गये। 

सनातन धर्म के ज्ञान का सम्पूर्ण खजाना वेद शास्त्रोँ मेँ भरा है। (वो सभी संस्कृत भाषा मेँ हैँ।) लेकिन आज उनको बोल चाल मेँ संस्कृत भाषा का प्रयोग न होने और लगातार षड्यंत्र होने के कारण उनकोँ नहीँ पढा जा सकता। संस्कृत के अभाव मेँ हम शक्तिहीन और ज्ञानहीन होते जा रहे हैँ। संस्कृत के कारण ही हम महाशक्तिशाली और ज्ञानी एवं विश्वगुरु थे। यही कारण है की भारत लगातार कमजोर होता जा रहा है। 

गर आज सुरक्षित एवं शक्तिशाली बनना है तो एक ही विकल्प है - सनातन धर्म और संस्कृति का अनुशरण करना। सनातन धर्म को जानना है तो संस्कृत भाषा अनिवार्य है।

साभार - http://devwanisanskrit.blogspot.in

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